समर्थक ही नहीं, विरोधी भी थे अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों के कायल

सभी दीवाने थे वाजपेयी के भाषणों के
ये अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ ऐसे भाषण हैं जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं और कई बार वे सोशल मीडिया पर भी शेयर होते रहते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: December 25, 2018, 5:00 AM IST
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अद्वितीय भाषण शैली के फैन आपको देश के हर कोने में मिलेंगे. जब वे भाषण के दौरान रुककर विचारते हुए दार्शनिक सी भंगिमा लेते थे तो हर देशवासी के मन में यह विश्वास घर कर रहा होता था कि हमारा प्रधानमंत्री बिना विचारे कुछ भी नहीं बोल देता है. एक राजनीतिज्ञ के तौर पर ही नहींं, जनता और कई बार विपक्ष का भी सच में जनता के बारे में विचारने वाले एक नेता के रूप में उनसे संबंध था. ऐसे में उनके कुछ पुराने भाषणों को याद कर रहे हैं. ये अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ ऐसे भाषण हैं जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं और कई बार वे सोशल मीडिया पर भी शेयर होते रहते हैं.
आज पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है... इस मौके पर यहां सुने उनके चर्चित भाषण...
13 दिन की सरकार के बाद इस्तीफे से पहले संसद में दिया गया भाषण
1996 में अपनी 13 दिन पुरानी सरकार के गिरने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफे से पहले यह भाषण दिया था (इस वीडियो के नीचे पढ़ें उनका भाषण) -
"कहा जाता है कि हम केवल काऊ बेल्ट में जीते हैं. किस तरह की आप बात कर रहे हैं. हरियाणा में जीते हैं हमने कर्नाटक में समर्थन प्राप्त किया है. ये ठीक है केरल और तमिलनाडु में हम उतने शक्तिशाली नहीं हैं, मगर हमारा संगठन है. प. बंगाल में भी हमें 10% से थोड़ा कम वोट मिला हुआ है. इस सदन में एक-एक व्यक्ति की पार्टी है. और वे हमारे खिलाफ जमघट करके हमें हटाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें प्रयास करने का पूरा अधिकार है. मगर हैं वे एक व्यक्ति की पार्टी, एकला चलो रे. और चलो एकला अपने चुनाव क्षेत्र से. मगर दिल्ली में आकर हो जाओ इकट्ठे रे. किसलिए इकट्ठे हो जाओ, देश के भले के लिए? स्वागत है! हम भी अपने ढ़ंग से देश की सेवा कर रहे हैं. और अगर हम देशभक्त न होते, और अगर हम निस्वार्थ भाव से राजनीति में अपना स्थान बनाने का प्रयास न करते. और हमारे इन प्रयासों के पीछे 40 साल की साधना है.
ये कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है, ये कोई चमत्कार नहीं हुआ है. हमने मेहनत की है. हम लोगों में गये हैं. हमने संघर्ष किया है. पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है. यह कोई चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह उग आने वाली पार्टी नहीं है. और आज हमें अकारण कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला सकें. हम मानते हैं कि हमारी कमजोरी है. हमें बहुमत मिलना चाहिए था.
राष्ट्रपति ने हमें अवसर दिया, हमें सफलता नहीं मिली वह अलग बात है. लेकिन फिर भी हम सदन में सबसे बड़े विरोधी दल के रूप में बैठेंगे. और आपको हमारा सहयोग लेकर सदन चलाना पड़ेगा इसबात को मत भूलिये. सदन चलाने में हम आपको पूरा सहयोग देंगे. ये आपको आश्वासन हम आपको देना चाहते हैं. मगर सरकार आप कैसी बनाएंगे, वो सरकार किस कार्यक्रम पर बनेगी. वो सरकार कैसी चलेगी, मैं नहीं जानता.
जहां तक दलितों का सवाल है. शिड्यूल कास्ट के कुल मेंबर हैं 77 और उनमें से 29 मेंबर बीजेपी के चुने गए हैं. सीपीआईएम के 5 मेंबर हैं. सीपीआई 1 मेंबर है. कांग्रेस के 15 मेंबर हैं. जनता दल 7 मेंबर हैं. और सबसे ज्यादा हमारे मेंबर हैं. ST यानि शिड्यूल ट्राइब में भी कुल लोग 41 हैं जिनमें बीजेपी के 11 सांसद हैं. हमारा जनाधार नहीं है. हमें लोगों का व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं है.
अगर आप हमें छोड़कर सत्ता में रहने चाहते हैं. और सोचते हैं कि वह सरकार टिकाऊ होगी तो मुझे तो उसके टिकने के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं. पहले तो उसका जन्म लेना कठिन है, जन्म लेने के बाद जीवित रहना कठिन है. और यह सरकार अंतरविरोधों में घिरी हुई देश का कितना लाभ कर सकेगी, यह प्रश्नवाचक चिन्ह है. हर बात के लिए आपको कांग्रेस के पास दौड़ना पड़ेगा. और जब आप उनपर निर्भर हो जायेंगे. अभी तो मैं नहीं जानता. पहले चर्चा हुई थी कि कुछ शर्तें लगाई जा रही हैं. फिर पता चला कि कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जायेगी. सदन में भी हम कॉर्डिनेशन करते हैं. आप बिना कॉर्डिनेशन के देश चलाना चाहते हैं.
हम संख्याबल के आगे बल झुकाते हैं और आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो काम हमने अपने हाथ में लिया है. उसे जबतक पूरा नहीं कर लेते तब तक आराम से नहीं बैठेंगे. अध्यक्ष महोदय मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति महोदय को देने जा रहा हूं."
पोखरण के भाषण के बाद पत्रकारों को संबोधन (इस वीडियो के नीचे पढ़ें उनका भाषण)
"मुझे एक छोटी सी घोषणा करनी है. आज 3 बजकर 45 मिनट पर भारत ने पोखरण रेंज में तीन परमाणु परीक्षण किए. आज यह परीक्षण एक विखंडन उपकरण, कम क्षमता के उपकरण और एक थर्मोन्यूक्लियर उपकरण के जरिए किए गये. इनका प्रभाव अनुमान के हिसाब से ही रहा. नापने पर यह भी कंफर्म हो गया है कि वातावरण में कोई रेडियोएक्टिविटी नहीं फैली है. ये सब मई, 1974 के प्रयोग की तरह ही जमीन के अंदर किए गये विस्फोट थे. मैं उन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बहुत बधाई देता हूं जिन्होंने इस परीक्षण को सफल बनाया."
सन 2000 में अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए
अटल बिहारी वाजपेयी ने 2000 में अमेरिकी संसद के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था (इस वीडियो के नीचे पढ़ें उनका भाषण) -
जैसे ही हम खरेपन की बात करते हैं, हम लोकतंत्र की प्रगति के लिए सहयोग, आतंकवाद से लड़ाई, ऊर्जा और पर्यावरण में, विज्ञान और तकनीकी में और अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखने के लिए में नई संभावनाओं के द्वार खोल देते हैं. और हम पाते हैं कि हमारे साझे मूल्य और साझे रुझान हमें एक साझे प्रयासों के प्राकृतिक समझौते की तरफ बढ़ाते हैं. भारत और अमेरिका ने भूतकाल से अलग एक निर्णायक कदम उठाया है. शताब्दी की शुरुआत हमारे रिश्तों में एक नई शुरुआत का प्रतीक बनी है. हमें अब अपने और अपने लक्ष्यों के बीच आने वाली आवेश की छाया को निकाल देना चाहिये. इस ताकत का प्रयोग हमें अपने साझा भविष्य को बनाने में प्रयोग करना चाहिये ताकि जैसा हम अपने लिए और जिस दुनिया में रहते हैं उसके लिए चाहते हैं.
ऐसे ही यूनाइटेड नेशंस में हिंदी में पहला भाषण उन्होंने दिया था. और इस तरह से भारत की राजभाषा को सम्मान दिलाया था. यह भाषण उन्होंने मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने दिया था. बताते चलें कि इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में जनता पार्टी की सरकार बनी थी, जिसमें मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे.
यह भी पढ़ें : जब नाराज़ मनमोहन को मनाने पहुंच गए थे अटल बिहारी वाजपेयी
आज पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है... इस मौके पर यहां सुने उनके चर्चित भाषण...
13 दिन की सरकार के बाद इस्तीफे से पहले संसद में दिया गया भाषण
1996 में अपनी 13 दिन पुरानी सरकार के गिरने पर अटल बिहारी वाजपेयी ने इस्तीफे से पहले यह भाषण दिया था (इस वीडियो के नीचे पढ़ें उनका भाषण) -

"कहा जाता है कि हम केवल काऊ बेल्ट में जीते हैं. किस तरह की आप बात कर रहे हैं. हरियाणा में जीते हैं हमने कर्नाटक में समर्थन प्राप्त किया है. ये ठीक है केरल और तमिलनाडु में हम उतने शक्तिशाली नहीं हैं, मगर हमारा संगठन है. प. बंगाल में भी हमें 10% से थोड़ा कम वोट मिला हुआ है. इस सदन में एक-एक व्यक्ति की पार्टी है. और वे हमारे खिलाफ जमघट करके हमें हटाने का प्रयास कर रहे हैं. उन्हें प्रयास करने का पूरा अधिकार है. मगर हैं वे एक व्यक्ति की पार्टी, एकला चलो रे. और चलो एकला अपने चुनाव क्षेत्र से. मगर दिल्ली में आकर हो जाओ इकट्ठे रे. किसलिए इकट्ठे हो जाओ, देश के भले के लिए? स्वागत है! हम भी अपने ढ़ंग से देश की सेवा कर रहे हैं. और अगर हम देशभक्त न होते, और अगर हम निस्वार्थ भाव से राजनीति में अपना स्थान बनाने का प्रयास न करते. और हमारे इन प्रयासों के पीछे 40 साल की साधना है.
ये कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है, ये कोई चमत्कार नहीं हुआ है. हमने मेहनत की है. हम लोगों में गये हैं. हमने संघर्ष किया है. पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है. यह कोई चुनाव में कुकुरमुत्ते की तरह उग आने वाली पार्टी नहीं है. और आज हमें अकारण कटघरे में खड़ा किया जा रहा है. क्योंकि हम थोड़ी ज्यादा सीटें नहीं ला सकें. हम मानते हैं कि हमारी कमजोरी है. हमें बहुमत मिलना चाहिए था.
राष्ट्रपति ने हमें अवसर दिया, हमें सफलता नहीं मिली वह अलग बात है. लेकिन फिर भी हम सदन में सबसे बड़े विरोधी दल के रूप में बैठेंगे. और आपको हमारा सहयोग लेकर सदन चलाना पड़ेगा इसबात को मत भूलिये. सदन चलाने में हम आपको पूरा सहयोग देंगे. ये आपको आश्वासन हम आपको देना चाहते हैं. मगर सरकार आप कैसी बनाएंगे, वो सरकार किस कार्यक्रम पर बनेगी. वो सरकार कैसी चलेगी, मैं नहीं जानता.
जहां तक दलितों का सवाल है. शिड्यूल कास्ट के कुल मेंबर हैं 77 और उनमें से 29 मेंबर बीजेपी के चुने गए हैं. सीपीआईएम के 5 मेंबर हैं. सीपीआई 1 मेंबर है. कांग्रेस के 15 मेंबर हैं. जनता दल 7 मेंबर हैं. और सबसे ज्यादा हमारे मेंबर हैं. ST यानि शिड्यूल ट्राइब में भी कुल लोग 41 हैं जिनमें बीजेपी के 11 सांसद हैं. हमारा जनाधार नहीं है. हमें लोगों का व्यापक समर्थन प्राप्त नहीं है.
अगर आप हमें छोड़कर सत्ता में रहने चाहते हैं. और सोचते हैं कि वह सरकार टिकाऊ होगी तो मुझे तो उसके टिकने के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं. पहले तो उसका जन्म लेना कठिन है, जन्म लेने के बाद जीवित रहना कठिन है. और यह सरकार अंतरविरोधों में घिरी हुई देश का कितना लाभ कर सकेगी, यह प्रश्नवाचक चिन्ह है. हर बात के लिए आपको कांग्रेस के पास दौड़ना पड़ेगा. और जब आप उनपर निर्भर हो जायेंगे. अभी तो मैं नहीं जानता. पहले चर्चा हुई थी कि कुछ शर्तें लगाई जा रही हैं. फिर पता चला कि कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जायेगी. सदन में भी हम कॉर्डिनेशन करते हैं. आप बिना कॉर्डिनेशन के देश चलाना चाहते हैं.
हम संख्याबल के आगे बल झुकाते हैं और आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो काम हमने अपने हाथ में लिया है. उसे जबतक पूरा नहीं कर लेते तब तक आराम से नहीं बैठेंगे. अध्यक्ष महोदय मैं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति महोदय को देने जा रहा हूं."
पोखरण के भाषण के बाद पत्रकारों को संबोधन (इस वीडियो के नीचे पढ़ें उनका भाषण)

"मुझे एक छोटी सी घोषणा करनी है. आज 3 बजकर 45 मिनट पर भारत ने पोखरण रेंज में तीन परमाणु परीक्षण किए. आज यह परीक्षण एक विखंडन उपकरण, कम क्षमता के उपकरण और एक थर्मोन्यूक्लियर उपकरण के जरिए किए गये. इनका प्रभाव अनुमान के हिसाब से ही रहा. नापने पर यह भी कंफर्म हो गया है कि वातावरण में कोई रेडियोएक्टिविटी नहीं फैली है. ये सब मई, 1974 के प्रयोग की तरह ही जमीन के अंदर किए गये विस्फोट थे. मैं उन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को बहुत बधाई देता हूं जिन्होंने इस परीक्षण को सफल बनाया."
सन 2000 में अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए
अटल बिहारी वाजपेयी ने 2000 में अमेरिकी संसद के एक संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा था (इस वीडियो के नीचे पढ़ें उनका भाषण) -

जैसे ही हम खरेपन की बात करते हैं, हम लोकतंत्र की प्रगति के लिए सहयोग, आतंकवाद से लड़ाई, ऊर्जा और पर्यावरण में, विज्ञान और तकनीकी में और अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखने के लिए में नई संभावनाओं के द्वार खोल देते हैं. और हम पाते हैं कि हमारे साझे मूल्य और साझे रुझान हमें एक साझे प्रयासों के प्राकृतिक समझौते की तरफ बढ़ाते हैं. भारत और अमेरिका ने भूतकाल से अलग एक निर्णायक कदम उठाया है. शताब्दी की शुरुआत हमारे रिश्तों में एक नई शुरुआत का प्रतीक बनी है. हमें अब अपने और अपने लक्ष्यों के बीच आने वाली आवेश की छाया को निकाल देना चाहिये. इस ताकत का प्रयोग हमें अपने साझा भविष्य को बनाने में प्रयोग करना चाहिये ताकि जैसा हम अपने लिए और जिस दुनिया में रहते हैं उसके लिए चाहते हैं.
ऐसे ही यूनाइटेड नेशंस में हिंदी में पहला भाषण उन्होंने दिया था. और इस तरह से भारत की राजभाषा को सम्मान दिलाया था. यह भाषण उन्होंने मोरारजी देसाई की सरकार में विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने दिया था. बताते चलें कि इमरजेंसी के बाद हुए चुनावों में जनता पार्टी की सरकार बनी थी, जिसमें मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने थे.

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