बछेंद्री पाल, 1984 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची
23 मई, 1984 – यह दिन भारतीय इतिहास में ख़ास है क्योंकि बछेंद्री पाल ने इसी दिन माउंट एवरेस्ट की चोटी पर झंडे गाढ़े थे. ऐसा करने वाली वह भारत की पहले महिला पर्वतारोही हैं और यह उपलब्धि उन्होंने 29 साल की उम्र में हासिल की थी. इसके बाद तो जैसे बछेंद्री, कई पर्वतारोहियों के लिए मिसाल बन गईं, खासतौर पर महिलाओं के लिए.
1993 में पाल ने एवरेस्ट जाने वाले भारत के पहले महिला अभियान की अगुवाई की. इसमें नेपाल और भारत की कुल 16 महिला पर्वतारोही शामिल थीं जो चोटी पर पहुंची. इसमें संतोष यादव भी थीं जो दुनिया की पहली महिला बनी जो एक ही साल में दो बार एवरेस्ट की चोटी पर गई. इसके अलावा पाल ने प्रेमलता अग्रवाल का भी मार्गदर्शन किया जो 48 साल की उम्र में चोटी पर पहुंचकर ऐसा करने वाली भारत की सबसे ज्यादा उम्र की महिला थीं.
हालांकि एक महिला पर्वतारोही होने के नाते उनके हिस्से के संघर्ष भी बहुत थे. वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए एक इंटरव्यू में पाल ने बताया कि किस तरह उन्होंने यह पाया कि अभियान के दौरान उनके बेहतर प्रदर्शन करने से उनके कुछ पुरुष साथियों के अहं को चोट पहुंचती थी. महिला से किसी भी तरह की मदद का स्वागत नहीं किया जाता था. पाल ने कहा कि वह नहीं जानती कि वक्त के साथ पुरुषों की सोच में बदलाव आया है या नहीं लेकिन उन्हें उम्मीद है कि महिलाओं ने जिस तरह बीते सालों में कामयाबी हासिल की है, उसने पुरुषों को अपनी मानसिकता बदलने के लिए मजबूर कर दिया होगा.
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