ये टेस्ट 10 मिनट में बता देगा कि कैंसर है या नहीं
ये नया तरीका ब्लड टेस्ट है, जिसमें एक खास द्रव्य में ब्लड की कुछ बूंदें डाली जाती हैं. खून में मौजूद डीएनए अगर स्वस्थ हैं तो द्रव्य अलग प्रतिक्रिया करता है और उसका रंग नीला हो जाता है, वहीं अगर कैंसर है तो उसका रंग नहीं बदलता है.
News18Hindi
Updated: December 6, 2018, 10:22 AM IST
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Updated: December 6, 2018, 10:22 AM IST
वैज्ञानिकों ने एक नई शोध की है, जिसके तहत एक टेस्ट से 10 मिनट में कैंसर का पता लग सकता है. माना जा रहा है कि ये ब्लड टेस्ट शरीर में कहीं भी और किसी भी तरह के कैंसर को पकड़ सकेगा. यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड ऑस्ट्रेलिया में चल रहे इस शोध को चिकित्सा विज्ञान की दुनिया में चमत्कार माना जा सकता है, जहां बीमारी के देर से सामने आने की वजह से हर साल अलग-अलग कैंसर से लाखों जानें चली जाती हैं. फिलहाल शोध जारी है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि ये टेस्ट किट जल्द ही मार्केट में होगी.
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कैंसर की स्क्रीनिंग यानी जांच फिलहाल लंबी चलती है और खर्चीली भी है. इसके साथ ही कई बार शुरुआती अवस्था में जांच के सही न आने का भी खतरा रहता है. वहीं ये नया तरीका ब्लड टेस्ट है, जिसमें एक खास द्रव्य में ब्लड की कुछ बूंदें डाली जाती हैं. खून में मौजूद डीएनए अगर स्वस्थ हैं तो द्रव्य अलग प्रतिक्रिया करता है और उसका रंग नीला हो जाता है, वहीं अगर कैंसर है तो उसका रंग नहीं बदलता है.
ये टेस्ट मौजूदा कई तरह की जांचों से सस्ता है और लगभग 90 प्रतिशत मामलों में एकदम सही रिजल्ट देता है.
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ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी के शोध विभाग में ये शोध की जा रही है. शोधकर्ता मैट ट्राऊ ने बताया कि फिलहाल जांच चल ही रही है. हमें नहीं पता कि ये कितनी जल्दी मार्केट में आ सकेगी. लेकिन कैंसर की शुरुआती जांच के लिए ये पूरी दुनिया में यूनिवर्सल मार्कर की तरह काम कर सकती है. इसके साथ ही ये इतनी सस्ती होगी कि कोई भी इसे अफोर्ड कर सके और सबसे अहम ये कि 10 मिनट में जांच का परिणाम आ जाएगा, जिससे इलाज जल्द से जल्द शुरू हो सकेगा. शुरुआती स्टेज में ही जांच हो जाने से इलाज आसान होगा और कैंसर से होने वाली मौतौं की दर में गिरावट आने की उम्मीद की जा सकती है.फिलहाल इस टेस्ट पर और शोध चल रहा है, इसकी सफलता मेडिकल साइंस की दुनिया में चमत्कार साबित हो सकती है.
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कैंसर की स्क्रीनिंग यानी जांच फिलहाल लंबी चलती है और खर्चीली भी है. इसके साथ ही कई बार शुरुआती अवस्था में जांच के सही न आने का भी खतरा रहता है. वहीं ये नया तरीका ब्लड टेस्ट है, जिसमें एक खास द्रव्य में ब्लड की कुछ बूंदें डाली जाती हैं. खून में मौजूद डीएनए अगर स्वस्थ हैं तो द्रव्य अलग प्रतिक्रिया करता है और उसका रंग नीला हो जाता है, वहीं अगर कैंसर है तो उसका रंग नहीं बदलता है.

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ऑस्ट्रेलियाई यूनिवर्सिटी के शोध विभाग में ये शोध की जा रही है. शोधकर्ता मैट ट्राऊ ने बताया कि फिलहाल जांच चल ही रही है. हमें नहीं पता कि ये कितनी जल्दी मार्केट में आ सकेगी. लेकिन कैंसर की शुरुआती जांच के लिए ये पूरी दुनिया में यूनिवर्सल मार्कर की तरह काम कर सकती है. इसके साथ ही ये इतनी सस्ती होगी कि कोई भी इसे अफोर्ड कर सके और सबसे अहम ये कि 10 मिनट में जांच का परिणाम आ जाएगा, जिससे इलाज जल्द से जल्द शुरू हो सकेगा. शुरुआती स्टेज में ही जांच हो जाने से इलाज आसान होगा और कैंसर से होने वाली मौतौं की दर में गिरावट आने की उम्मीद की जा सकती है.
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