भूरे बौने (Brown Dwarfs) ग्रहों और तारों के बारे में बहुत सी जानकारी दे सकते हैं जो अन्यत्र नहीं मिलती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: hubblesite)
अंतरिक्ष में सभी पिंड तारों या उनकी वजह से ही बने होते हैं. ग्रहों के निर्माण में तारों की भूमिका होती है. कुछ पिंड तारों और ग्रहों के बीच की श्रेणी के भी होते हैं. भूरे बौने (Brown Dwarf) वाले ये पिंड हलके तारे (Lightest stars) और भारी ग्रह (Heaviest Planets) के बीच की स्थिति केहोते हैं जिन्हें तारे या ग्रह की श्रेणी में रखना मुश्किल होता है. ये अजीब पिंड दोनों के मिले जुले गुण भी दिखाते हैं और इनके अध्ययन के हमें विशाल ग्रहों और हलके तारों के बारे में बहुत सी जरूरी जानकारी भी मिल सकती है. नए अध्ययन में खगोलविदों ने एक साथ चार नए भूरे बौनों की सीधी तस्वीरें हासिल की हैं.
क्यों अहम होते हैं भूरे बौने
अपने तारे का चक्कर लाने वाले और उससे पर्याप्त दूरी पर स्थित भूरे बौने विशेष तौर पर अहम होते हैं क्योंकि उनकी सीधी तस्वीर ली जा सकती है. जबकि तारे के पास स्थित ऐसे ग्रह तारों की चमक के पीछे छिप जाते हैं और उनसे ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती है. तारे से दूर स्थित भूरे बौनों से शोधकर्ताओं को उनका गहराई से अध्ययन करने का दुर्लभ मौका मिल जाता है.
सीधी तस्वीरों की चुनौती
नए और उन्नत खगोलीय उपकरणों के आगमन के बाद भी, अभी तक तीन दशकों की खोज से हमारे खगोलविदो को केवल 40 ऐसे तंत्र मिले हैं जिनमें इस तरह के भूरे बौने सीधे दिखाई देते हैं और अब भी ये बहुत ही कम ही दिखाई दे पाते हैं. लेकिन ओपन यूनिवर्सिटी की मैरिएंजेला बोनाविटा और सेंटर फॉर स्पेस एंड हैबिटेबलिटी की क्लेमेंस फोंटेनाइव की अगुआई में बर्न यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं की टीम ने चार भूरे बौनों की सीधी तस्वीरें ली हैं.
आसान नहीं है इनकी खोज
शोधकर्ताओं की यह पड़ता मंथली नोटेसिस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित हुई हैं. यह पहली बार है कि भूरे बौने वाले बहुल तंत्रों का पता चला है और उनकी खोज का एक ही साथ ऐलान हुआ है. चौड़ी कक्षा वाले भूरे बौनेस साथी बहुत कम मिलते हैं और उन्हें सीधे देख पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है क्योंकि उनका तारे हमारे टेलीस्कोप को पूरी तरह से अंधा कर देते हैं.
दूसरे तरीके से करनी होगी खोज
शोधकर्ताओं का कहना है कि अंतरिक्ष में अध्ययन के लिए जो अधिकांश सर्व होते हैं वे युवा तारासूह में अनायास ही तारों को लक्षित किए जाते हैं. लेकिन इसका एक वैकल्पिक तरीका यह है कि केवल ऐसे तारों का ही अवलोकन किया जाए जो तंत्र में किसी अतिरिक्त संकेत दे रहे हों जिससे नए पिंडों की पहचान की संख्या बढ़ सकती है.
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एक नया उपकरण
फोंटेनाइव ने बताया कि जिसतरह से तारा साथी ग्रह या पिंड के गुरुत्व के प्रभाव विचरण करता है उससे भी पास में किसी पिंड की उपस्थिति का पता चलता है. उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं ने COPAINS नाम का उपकरण विकसित किया है जो साथी के प्रकार का पूर्वानुमान लगाता है जो तारे की गतिविधि में असामन्यता पैदा करता है.
25 तारों पर इस्तेमाल की गई तकनीक
शोधकर्ताओं ने COPAINS उपकरणों को पास के चुने हुए 25 तारों पर लागू किया और छिपे हुए कम भार के साथी पिंडों की सीधे खोज की. इसके लिए उन्होंने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गाइया अंतरिक्ष यान के आंकड़ों का उपयोग किया. इसके बाद उन्होंने चिली के वेरी लार्ज टेलीस्कोप के स्फियर प्लैनेट फाइंडर के जरिए इन तारों का अवलोकन किया.
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दस पिंडों की खोज
इस तरह से उन्होंने तारों के 10 साथियों का पता लगाया जो उनका चक्कर लगा रहे थे और उनका भार गुरु ग्रह से भार से लेकर प्लूटो ग्रह के बीच का था. इनमें पांच कम भार के तारे, एक सफेद बौना और चार नए भूरे बौने थे. बोनाविटा का कहना है कि पिंडों के पहचान की यह दर बहुत उत्साहजनक है. इससे भूरे तारों की खोज में तेजी आएगी जो अपने तारे से पर्याप्त दूरी पर हैं.
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