होम /न्यूज /नॉलेज /वेजिटेरियन नहीं हो सकते मुस्लिम लोग, इस बारे में क्या कहता है कुरान?

वेजिटेरियन नहीं हो सकते मुस्लिम लोग, इस बारे में क्या कहता है कुरान?

क्या इस्लाम मानने वाला कोई व्यक्ति वेजिटेरियन हो सकता है?

क्या इस्लाम मानने वाला कोई व्यक्ति वेजिटेरियन हो सकता है?

Can A Muslim Be Vegetarian: क्या नॉनवेज नहीं खाना गैर इस्लामिक है या फिर मुस्लिम समुदाय का कोई व्यक्ति वेजिटेरियन नहीं ...अधिक पढ़ें

Can A Muslim Be Vegetarian: सुपर स्टार सलमान खान की सुपर हिट फिल्म बजरंगी भाईजान की कहानी तो आप जानते ही होंगे. इसमें पाकिस्तान से दिल्ली आई बच्ची मुन्नी के अपनी मां से बिछुड़ने, फिर उसके पाकिस्तान लौटने और अपनी मां से मिलने की कहानी है. लेकिन, हम आज इस कहानी पर बात नहीं कर रहे हैं. न ही इस फिल्म की बात हो रही है. बल्कि इस फिल्म के एक सीन की चर्चा के साथ हम अपनी आज की स्टोरी बढ़ा रहे हैं. फिल्म में मुन्नी बजरंगी के साथ लग जाती है. बजरंगी एक ब्राह्मण पहलवान है और उसके घर में प्याज-लहसुन तक का भी सेवन नहीं किया जाता है. मुन्नी बजरंगी के घर में रहने लगती है. जहां उसे दिखाया गया है कि वह वेज खाना बेमन से खाती है. वह चिकन खाने के लिए पड़ोस मुस्लिम परिवार के घर में चली जाती है. फिर एक दिन बजरंगी उसे नॉनवेज खाना खिलाने एक रेस्टोरेंट में ले लाजा है. वहां वह खूब मन से चिकन खाती हुई दिखती है.

इस दृष्य की चर्चा का मकसद यह जानना है कि क्या मुस्लिम समुदाय के सभी लोग नॉनवेज खाते हैं. इस फिल्म के इस दृष्य से तो यही लगता है कि दुनिया का हर मुस्लिम नॉनवेज खाना पसंद करता है. वह नॉनवेज के बिना नहीं रह सकता है. क्या कोई मुस्लिम व्यक्ति वेजिटेरियन नहीं हो सकता है? वेजिटेरियन फूड के बारे में इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रंथ कुरान क्या कहता है?

ये तो एक फिल्मी कहानी है. लेकिन एक और वास्तविक कहानी है. आपने जाने-माने दिवंगत अभिनेता इरफान खान के बारे में सुना होगा. पान सिंह तोमर, मकबूल, हिंदी मीडियम जैसी तमाम बेहतरीन फिल्में देने वाले इरफान दरअसल वास्विक जीवन में एक ‘ब्राह्मण’ थे. कुछ साल पहले कैंसर की वजह से इस अभिनेता ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. इरफान को उनके परिवार वाले ब्राह्मण कहते थे. उनके बारे में कहा जाता था कि एक पठान परिवार में एक ब्राह्मण पैदा हुआ है. इरफान पूरी तरह वेजिटेरियन थे.

तुलसी केवल हिंदू लोगों का पौधा है, मुस्लिम घरों में नहीं होता यह? क्या कहता है कुरान

मीट-मछली से दूर रह सकता है कोई मुस्लिम
यह एक धारणा का सवाल है. दरअसल, हमारे दिमाग में मुस्लिम समाज के प्रति ऐसी धारणा बनी है कि उसका मुख्य भोजन मीट-मछली ही होता है. इस समाज का हर एक इंसान मीट-मछली खाता है. जबकि वास्तविकता इससे अलग है. सच्चाई यह है कि मुस्लिम समुदाय के अधिकतर लोग नॉन वेज फूड पसंद करते हैं, लेकिन कई ऐसे लोग होते हैं जो वेज ही खाते हैं. यह धर्म के बजाय निजी पसंद का मसला ज्यादा है.

क्या कहता है कुरान
इंटरनेशनल लर्निंग मूवमेंट नामक संस्था की वेबसाइट ilmuk.org में इस बारे में डिटेल में बात की गई है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई मुस्लिम निजी कारणों और स्वाद पसंद नहीं होने की वजह से नॉनवेज नहीं खाता है तो वह ऐसा कर सकता है. लेकिन एक मुस्लिम व्यक्ति धार्मिक कारणों से नॉनवेज फूड को खारिज नहीं कर सकता. मांस पर पूरी तरह से प्रतिबंध इस्लामिक कायदों के खिलाफ है. कहने के मतलब है कि इस्लाम में नॉन वेज से कोई घृणा नहीं कर सकता. शाकाहारी खाने वाला व्यक्ति मांसाहारी खाने वाले के साथ बैठकर खाना खाता है. शाकाहारी होना उसका पसंद है न कि वह किसी नियम कायदे के तहत ऐसा किया है.

80 की उम्र में बाप बनने की ताकत! बकरा नहीं, यह मीट खाते हैं रईस, भाव मात्र रु. 40 हजार किलो

वेजिटेरियन परिवार कैसे मनाता है कुर्बानी का त्योहार?
इस्लाम में कुर्बानी के त्योहार का बड़ा महत्व है. इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग बकरे या अन्य जानवरों की कुर्बानी देते हैं. इस समुदाय में यह पर्व बेहद पवित्र होता है. ऐसे में पश्चिमी देशों के कई मुस्लिम परिवार जो नॉनवेज फूड नहीं खाते हैं, उनके सामने कुर्बानी पर समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे में वे लोग कुर्बानी दान करते हैं. यानी ये पैसे देते हैं और इनके नाम पर जानवर खरीदे जाते हैं और उनकी कुर्बानी दी जाती है और उसके मांस गरीब लोगों में बांट दिए जाते हैं.

धार्मिक तौर कोई मुस्लिम नहीं कर सकता नॉनवेज का विरोध
कुरान में स्पष्ट किया गया है कि किसी व्यक्ति को नॉनवेज खाना पसंद नहीं हो तो वह नॉनवेज नहीं खाए. लेकिन धर्म की दुहाई देकर कोई मुस्लिम व्यक्ति मांस खाने का विरोध या उसे खारिज नहीं कर सकता. इंटरनेशनल लर्निंग मूवमेंट लिखता है कि यह पूरी तरह भरोसे का मामला है. अगर किसी परिवार में कुछ लोग नॉनवेज नहीं खाते हैं तो वे इस आधार पर नॉनवेज खाने वाले सदस्यों के साथ भेदभाव या उनको कमतर नहीं करार दे सकते. यह गैर इस्लामिक होगा. यहां पर दोनों को एक दूसरे का सम्मान करना होगा और इसमें धर्म को आड़े नहीं लाना होगा. यानी कुल मिलाकर इस्लाम की दुहाई देकर नॉनवेज का विरोध करना गैर इस्लामिक है.

Tags: Islam religion, Islamic Law

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें