भारत में कोरोना की दूसरी लहर युवाओं के अलावा बच्चों पर भी असर डालती दिखी. इससे पहले कई स्टडीज ने वायरस को बच्चों के लिए काफी कम घातक बताते हुए कहा था कि बच्चे ज्यादातर मामलों में वायरस फैलाने का काम कर सकते हैं लेकिन वे खुद सेफ रहेंगे. हालांकि अप्रैल-मई में आए कोरोना पीक के बाद से बच्चों में संक्रमण का ग्राफ बढ़ रहा है. इस बीच एक्सपर्ट दावा करते दिखे कि सामान्य फ्लू शॉट लेना भी कोरोना से उन्हें काफी हद तक बचा सकता है.
तीसरी लहर बच्चों को कर सकती है बीमार
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका इसलिए भी ज्यादा भयावह लग रही है कि इसमें सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को बताया जा रहा है. कई विशेषज्ञ दावे करते दिखे कि दूसरी लहर के 3 से 5 महीने के भीतर तीसरी वेव आएगी, जो बच्चों को टारगेट करेगी. इसके पीछे हालांकि कोई पक्का प्रमाण नहीं लेकिन पिछले दो वेब्स का पैटर्न यही बताता है.
क्यों लग रही ये आशंका
पहली लहर में 60 या उससे अधिक उम्र के लोग प्रभावित हुए. दूसरी यानी मौजूदा लहर का असर युवा और मिडिल एज वालों पर दिख रहा है. बहुत से स्वस्थ लोग अस्पताल तक पहुंच गए. अब चूंकि 18 साल और ऊपर के आयुवर्ग के लिए तेजी से टीकाकरण चल रहा है, लिहाजा अनुमान है कि बड़ी आबादी आने वाले महीनों में संक्रमण से काफी हद तक सुरक्षित हो जाएगी.

फ्लू शॉट सर्दी-जुकाम को गंभीर होने से बचाने वाला शॉट होता है जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को देते हैं- सांकेतिक फोटो (news18 English via PTI)
वैक्सीन न होने कारण बच्चे खतरे में
इसके बाद बचते हैं बच्चे. बच्चों के लिए फिलहाल हमारे यहां कोई टीका नहीं. यहां तक कि पश्चिमी देशों में भी 12 साल के बच्चों के लिए टीकों पर ट्रायल तो अंतिम चरण मे हैं लेकिन पेरेंट्स को ये यकीन करने में समय लगेगा कि वैक्सीन उनके बच्चों के लिए पूरी तरह सेफ है. ऐसे में बच्चों पर वाकई वायरस का खतरा मंडरा रहा है.
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फ्लू शॉट की हो रही बात
फिलहाल बच्चों की कोविड वैक्सीन न होने के कारण विशेषज्ञ उसके विकल्प तलाश रहे हैं. इसी कड़ी में बार-बार फ्लू शॉट की बात हो रही है. बता दें कि ये सर्दी-जुकाम को गंभीर होने से बचाने वाला शॉट होता है जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को हर साल दिया जाता है. खुद इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) इसकी बात करता है.
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क्या कहती है स्टडी
अमेरिका के मिशिगन और मिसौरी में इसपर स्टडी हुई, जिसके नतीजे राहत देने वाले हो सकते हैं. यहां कोविड संक्रमित बच्चों पर हुई स्टडी में दिखा कि जिन बच्चों ने साल 2019-20 में फ्लू का शॉट लिया था, उनके कोविड संक्रमित होने का डर कम रहा. या फिर उनमें संक्रमण हुआ भी तो सामान्य लक्षणों के बाद वे रिकवर हो गए. ये रिपोर्ट इंडिया टुडे में आ चुकी है. अमेरिका के अलावा रिसर्च करने वाली नीदरलैंड्स की रेडबाउंड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में भी यही पाया गया. यहां दिखा कि जिन्हें फ्लू का टीका लगा, उनमें कोरोना से संक्रमित होने का खतरा 39 फीसदी तक कम था.

न तो फ्लू का टीका कोरोना से बचाने की गारंटी है और न ही कोविड का टीका फ्लू का विकल्प है- सांकेतिक फोटो
फ्लू शॉट का कोरोना कनेक्शन
क्यों फ्लू का टीका कोरोना वायरस पर काम करता है, ये समझना जरूरी है. दरअसल फ्लू यानी इंफ्लूएंजा और कोरोना वायरस के क्लिनिकल फीचर एक से होते हैं. मौजूदा हालात में कोरोना और फ्लू होने महामारी को ट्विनडेमिक (twindemic) में बदल सकता है. इससे महामारी और घातक हो जाएगी. वहीं फ्लू का टीका लग जाए तो बच्चों में न केवल फ्लू, बल्कि कोविड का डर भी घटेगा. कुल मिलाकर ये जोखिम को रोकने की तैयारी मानी जा सकती है. यही कारण है कि एक्सपर्ट बच्चों को सालाना फ्लू शॉट के लिए कह रहे हैं, खासकर जिनकी उम्र 5 साल से कम हो.
क्या बच्चे फ्लू और कोरोना दोनों की वैक्सीन ले सकते हैं?
अगर बच्चों पर भी कोरोना वैक्सीन उतनी ही असरदार और सुरक्षित लगे तो जाहिर तौर पर टीकाकरण शुरू हो जाएगा. हालांकि न तो फ्लू का टीका कोरोना से बचाने की गारंटी है और न ही कोविड का टीका फ्लू का विकल्प है. यानी दोनों ही टीके देने होंगे. हां, ये बात जरूर है कि दोनों टीकों के बीच एक निश्चित समय का अंतर रखना होगा ताकि एंटीबॉडी आसानी से बन सके.
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Tags: Coronavirus Case in India, Coronavirus vaccine update, Influenza, Research on corona
FIRST PUBLISHED : June 01, 2021, 14:00 IST