पिछले एक साल में भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की छवि और ज्यादा मजबूत हुई है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
अमेरिका (USA) का कहना है कि भारत रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है. उसका कहना है कि वह ऐसे किसी भी प्रयास का स्वागत करेगा जिसमें युद्ध रोकने की कोशिशें शामिल हों और उसका मानना है कि इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के उनकी ओर से किए प्रयास भी हो सकते हैं. इसमें कोई शक नहीं की भूरणनीतिक नजरिए से भारत की रूस यूक्रेन के मामले में एक बहुत ही विशेष स्थिति है, लेकिन एक सवाल जो अभी प्रासंगिक है कि क्या भारत ऐसा कर सकता है और उसके लिए यह वास्तव में कितना संभव है.
क्यों कैसे खड़े हुए ये सवाल
अमेरिका के नेशनल सिक्यूरिटी काउंसिल कोऑर्डिनेटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्यूनिकेशन जॉन किर्बी का शुक्रवार को दिया गया यह बयान आने के बाद युद्ध को लेकर ये सवाल एक बार फिर से खड़े हो गए हैं जो करीब एक साल पहले शुरू हुआ था. किर्बी का यह बयान तब आया है जब हाल ही में भारत के नेशनल सिक्यूरिटी एडवाइजर अजीत दोवाल ने अन्य नेताओं सहित रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की है.
क्या है भारत की स्थिति
लेकिन कई विशेषज्ञों का कहना है भारत की आज दुनिया में ऐसी खास स्थिति है जिससे वह इस युद्ध को खत्म करने के प्रयासों में सार्थक योगदान दे सकता है, लेकिन किर्बी का कहना है कि भारत के लिए अभी बहुत देर नहीं हुई है. भारत एकमात्र ऐसा बड़ा देश है जिसके रूस, पश्चिमी और यूक्रेन सभी से अच्छे संबंध हैं.
रूस यूक्रेन किसी को नहीं किया नजरअंदाज
जानकारों का कहना है कि लेकिन समय के साथ भारत के लिए यह काम और ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है. पिछले साल 24 फरवरी को युद्ध शुरू होते ही भारत ने यूक्रेन में मानवीय सहायता भेजी और पश्चिमी दबाव के बाद भी रूस से ना केवल अपने दोस्ताना संबंध बनाए रखे, बल्कि उससे कच्चा तेल भी खरीदा.
सभी से संबंध साधने की कोशिश
वहीं ऐसा नहीं है कि भारत के अमेरिका और यूरोप से संबंध खराब हो गए. भारत ने भी इस बात का ख्याल रखा है. रूस के खिलाफ किसी कदम का भले ही उसने समर्थन नहीं किया हो, लेकिन भारत ने इसे केवल अपने हितों के नजरिए से ही तय करने की बात की और हर मंच पर युद्ध को अनुचित ही बताने का काम किया है और हर देश से संबंधों को द्विपक्षीय नजरिए से मजबूत करने का प्रयास किया है.
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क्या बदल रहा है भारत का स्टैंड
लेकिन पिछले कई महीनों से जैसे जैसे युद्ध बढ़ने से ऊर्जा और खाद्य की समस्याएं दुनिया में बढ़ रही हैं, भारत पर एक तरह का नैतिक दबाव है कि वह रूस के साथ अपने संबंधों की फिर से समीक्षा करे. वहीं भारत हर मंच पर यह स्पष्ट करता रहा है कि रूस से दोस्ती का मतलब यह नहीं कि वह युद्ध का समर्थक है, बल्कि वह रूस और यूक्रेन दोनों को बार बार याद दिलाने का मौका नहीं छोड़ रहा है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं और दोनों देशों को मुद्दा कूटनीति और बातचीत से सुलझाना चाहिए.
भारत का बढ़ता प्रभाव
वहीं नए हालातों में भारत की स्थिति में भी एकऔर बदलाव आया है. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक नई दिल्ली के ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो विवेक मिश्रा का भी यही कहना है. उनका मानना है कि पिछले 10 महीनों में भारत के युद्ध में मध्यस्थता करने का दायरा बढ़ गया है. भारत इस समय जी20 की मेजबानी कर रहा है इससे उसका प्रभाव बढ़ेगा ही जर्नन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन के जॉन-जोसेफ विल्किंस का कहन है कि अब भारत की दुनिया में भागीदारी और भूमिका दोनों ही बढ़ रही है.
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रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने पिछली मुलाकातों में भारत के प्रधानमंत्री से कहा है कि वे युद्ध को रोकने के प्रयास में सहयोग करना चाहेंगे. लेकिन युद्ध के लंबा खिचने के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार मानते हैं. दुनिया में अलग थलग पड़े पुतिन भारत से संबंध कमजोर करना नहीं चाहेंगे. वे व्यापारिक संबंधों के जरिए भारत को साथ रखने का प्रयास कर रहे हैं. और बार बार दोनों देशों के बीच बढ़ने व्यापार का हवाला देने से नहीं चूक रहे हैं. वहीं भारत भी ऊर्जा के क्षेत्र में रूस पर निर्भरता कम करने के लिए तेजी से काम कर रहा है जिसमें उसके व्यापारिक हित भी छिपे हैं. इसके साथ यूरोप अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों से भारत के बेहतर होते परस्पर संबंध पूरी दुनिया की निगाहें भारत की ओर होंगी वह युद्ध खत्म करने का प्रयास करे जो बेकार नहीं जाएंग
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