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दूसरी प्रजातियों में संचार के काम आ रहे हैं, चीते के पेड़ों पर लगाए गए संकेत

वैज्ञानिकों चीतों (Cheetah) के छोड़े संकेत वाले पेड़ों पर कैमरे निगाह रखकर अपने अध्ययन का विश्लेषण किया.  (तस्वीर: Wikimedia Commons)

वैज्ञानिकों चीतों (Cheetah) के छोड़े संकेत वाले पेड़ों पर कैमरे निगाह रखकर अपने अध्ययन का विश्लेषण किया. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

चीते (Cheetah) के द्वारा पेड़ों पर छोड़े गए संकेत (Marking on Trees) का उपयोग उनके आसपास रहने वाले अन्य जानवरों, विशेषक ...अधिक पढ़ें

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वन्यजीवन (Wildlife) पर हुए प्रमुख अवलोकन में वैज्ञानिकों ने पाया है जंगल में कई स्तनपायी जानवर (Mammals) उन संकेतों का उपयोग संचार के लिए करते हैं जो चीते (Cheetah) कुछ पेड़ों पर छोड़ जाते हैं. ये संकेत खुद चीतों के द्वारा भी आपस में संचार के लिए इस्तेमाल करते हैं. दूसरे जानवरो में गीदड़, अफ्रीकी बिल्ली, अफ्रीकी जंगली सुअर, आदि शामिल हैं जो चीते की गंध, पेशाब और मल आदि को इन संकेतों के रूप में इस्तेमाल करते हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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शोधकर्ताओं की टीम ने दर्शाया है कि नामीबिया (Namibia) के जंगली मैदानों में बहुत सी स्तनपायी प्रजातियां (Mammals) चीतों (Cheetah) के इन खास पेड़ों को संचार के लिए उपयोग कर पता लगाती हैं कि अमुक इलाका चीते का है या नहीं. वे पता लगा लेते हैं कि चीता अन्य पेड़ों की तुलना में इन जगहों पर ज्यादा मिलते हैं. इससे चीतों के द्वारा शिकार किए जाने वाली प्रजातियां ऐसी जगहों पर आने से बचती हैं. शोधकर्ताओ ने इसके लिए कई जगह कैमरा लगाकर तस्वीरों और वीडियो के जरिए जानवरों के बर्तावों का अध्ययन किया. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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ये स्तनपायी प्रजातियां (Mammals) चीते (Cheetah) की गंध, पेशाब या मल आदि के जरिए चीते के इलाके, प्रजनन की तैयारी, खुराक और सेहत आदि के बारे में पता करती हैं. लिबनिज IZW चीता रिसर्च प्रोजेक्ट ने 8 ऐसे चीतों के संकेत वाले पेड़ों (Cheetah marking Trees) का अवलोकन किया और 9 ऐसे ही दूसरे पेड़ों जिन्हें उन्होंने कंट्रोल ट्री कहा, पर भी निगाह रखी. उन्होंने पाया कि कुछ प्रजाति कंट्रोल पेड़ों की तुलना में चीते के संकेतों वाले पेड़ों के पास ज्यादा आते हैं उन्हें सूंघते हैं, जबकि अन्य जानवर दोनों पेड़ों के साथ समान बर्ताव करते हैं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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65 दिन के अवलोकन में 29 प्रजातियां (species) इन पेड़ों के आसपास आईं जहां चीते (Cheetah) के संकेत वाले पेड़ों पर आने वाले जानवरों (Animals) की विविधता ज्यादा थी लेकिन अधिकांश कुछ ही समय के लिए यहां आए. जबकि 20 बार आने वाली प्रजातियों में से 13 केवल आकर चले गए, 9 ने पेड़ के आसपास सूंघा, और एक प्रजाति ने अपने आने के संकेत छोड़े. इनमें गीदड़, अफ्रीकी बिल्ली, अफ्रीकी जंगली सुअर के साथ दो छोटी मांसाहारी प्रजातियां और एक सर्वहारी प्रजाति के जानवर थे. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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जहां छोटी मांसाहारी प्रजातियां चीतों (Cheetah) के जाने के बाद उनके मल में बिना पचे हुए भोजन को खाने या यह जानने के चीते या चीता वहां कब आया था. मल से भोजन खाने वालों में जंगली सुअर (warthogs) भी थे उन्होंने ही अपने संकेत भी वहां छोड़े. वे भी अपने संचार के लिए ऐसी जगहों का उपयोग करते हैं. वहीं मृग जैसे दिखने वाले ड्यूइकर (Duikers), जो चीतों के सामान्य शिकार होते हैं, वे भी चीते के संकेत वाले पड़ों पर ज्यादा आती पाई गईं. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
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वहीं तेंदुए (Leopard) जो इस अध्ययन क्षेत्र के शीर्ष शिकारी जानवर (Predators) हैं, चीतों (Cheetah) के संकेत वाले पेड़ों और नियंत्रण पेड़ों के पास आते पाए गए और चीतों की तरह ही बर्ताव करते देखे गए. शोधकर्ताओं का मानना है कि तेंदुए खुद अपनी प्रजाति के लिए संकेत छोड़ने काम करते हैं और चीतों के लिए भी संकेत छोड़ कर जाते हैं. प्रजातियों में अन्य प्रजातियों के साथ भी संचार होता पाया गया है. ऐसा खासतौर पर शिकारी और शिकार प्रजातियों में देखने को मिला है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)

Tags: Animals, Environment, Namibia, Research, Science, Wildlife

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