चीन की राजधानी बीजिंग में इधर रेत का भयंकर तूफान उठा, जिसने पूरे शहर को ढंक लिया. इसे दशक का सबसे बड़ा तूफान कहा जा रहा है, जिसकी खास बात ये थी कि इससे शहर का आसमान पीले-नारंगी रंग का हो गया. इस तरह का पीला तूफान चीन में पहली बार नहीं आया है, बल्कि ये गोबी मरुस्थल से लगभग हर साल ही आता है. इस बार इस बवंडर की तीव्रता ज्यादा रही.
दशक का सबसे भयंकर तूफान कहा जा रहा
चीन के मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक दशक का सबसे विनाशकारी तूफान इनर मंगोलिया के रेगिस्तान से आया और बीजिंग के अलावा हेबेई, गंसू समेत कई शहरों को चपेट में ले लिया. वहीं चीन की सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक मंगोलिया में हालात और खराब हैं, जहां कम से कम 341 लोग तूफान के बाद से गुमशुदा हैं. वैसे चीन का ये पीला तूफान पड़ोसी देशों को भी जब-तब डराता रहा है. बता दें कि साल 2020 के अक्टूबर में भी मरुस्थल से ऐसी ही निवाशकारी रेतीली हवाएं चली थीं.
इसके बाद चीन से दोस्ती का दम भरने वाले देश उत्तर कोरिया ने आनन-फानन अपने देशवासियों को घरों से बाहर न निकलने का फरमान जारी कर दिया. उसे डर था कि पीली धूल में कोरोना वायरस भी हो सकता है.

यलो डस्ट असल में चीन और इनर मंगोलिया के रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल है
चाइना डस्ट भी कहते हैं इसे
यलो डस्ट असल में चीन और इनर मंगोलिया के रेगिस्तान से उड़ने वाली धूल है. इसे चाइना डस्ट स्टॉर्म या एशियन डस्ट भी कहते हैं. ये सितंबर-अक्टूबर के आसपास हर साल उड़ती देखी गई है, जिसकी वजह है इस दौरान चलने वाली तेज हवा. हवा से रेत के हल्के कण उड़ते हुए चीन से होते हुए उत्तर और दक्षिण कोरिया और जापान के आसमान को भी अपनी चपेट में ले लेते हैं. आंधी इतनी तेज होती है कि कई बार ये धूल अमेरिका के वायु स्तर पर भी असर डालती है. ये मौसम विज्ञानियों के लिए भी हैरत की बात है कि सर्दियों की शुरुआत में चलने वाली ये आंधी इस बार मार्च में क्यों आ गई.
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मरुस्थल को देता आया है दोष
चीन लगातार इस तूफान की वजह गोबी मरुस्थल को बताता रहा है. ये रेगिस्तान चीन के पश्चिमी-उत्तरी इलाके से लेकर इनर मंगोलिया तक फैला हुआ है, जहां तेज हवाओं के साथ रेत के बारीक कण उड़ते हुए सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करते हैं. मरुस्थल को तूफान के लिए जिम्मेदार बताते चीन के बारे में अमेरिका लगातार ये कहता रहा है कि इसकी वजह चीन खुद भी है. दरअसल अस्सी के दशक से चीन में औद्योगिकीकरण में तेजी आई. जंगल काटकर कारखाने बने. ऐसे में रेगिस्तान से चली आंधी को रोकने का कोई जरिया नहीं रहा. साथ में इस धूलभरी हवा में चीन के कारखाने की प्रदूषित हवा भी मिलने लगी, जो और खतरनाक है.

धूलभरी आंधी की वजह से बीजिंग में एयर क्वालिटी एकदम गिर गई है (Photo- moneycontrol via AP)
पीली धूल का एक कारण रूस भी है
सोवियत संघ (तत्कालीन) के दौरान आमू और सिर नदियों की दिशा बदली गई. इसके कारण कजाखस्तान और उजबेकिस्तान जैसे इलाकों में सूखा पड़ने लगा. दरअसल सोवियत एग्रीकल्चर प्रोग्राम के तहत दोनों ही नदियों को मध्य एशियाई रेगिस्तानों की ओर मोड़ दिया गया था ताकि वहां कपास की उपज हो सके. अब चूंकि कजाखस्तान और उजबेकिस्तान सूखने लगे हैं, लिहाजा वहां भी इस धूल को रोकने का कोई बंदोबस्त नहीं. यही वजह है कि बारिश के बाद और सर्दियां शुरू होने से पहले चलने वाली ये पीली आंधी चीन समेत पड़ोसियों के लिए आफत ले आती है.
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कितनी खतरनाक है ये धूल
इसपर स्टडी के नतीजे डराते हैं. इसके मुताबिक चीन की धूल में सिलिकॉन की मात्रा 24 से 32 प्रतिशत तक होती है. इसके अलावा एलुमीनियम, कैल्शियम, मर्करी और कैडियम जैसे खतरनाक तत्व होते हैं, जिसका सांस में जाना फेफड़ों से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा करता है. इससे लंग टिश्यू के मरने और लंग कैंसर जैसी बीमारियां भी बढ़ी हैं. धूल के कण छोटे से लेकर काफी छोटे भी होते हैं. ये सीधे खून में मिलकर गर्भ में शिशु को भी गंभीर विकृतियां दे सकते हैं.

चीन की लापरवाही बारे में कई बार इंटरनेशनल स्तर पर शिकायत की जा चुकी है (Photo- moneycontrol via AP)
ताजा हालातों की बात करें तो धूलभरी आंधी की वजह से बीजिंग में एयर क्वालिटी एकदम गिर गई है. यहां इंडेक्स सोमवार की सुबह अधिकतम स्तर पर पहुंच गया. साथ पीएम10 खतरनाक तरीके से बढ़ा. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की बात करें तो उसके मुताबिक बढ़ा हुआ ये स्तर फेफड़ों को तत्काल और गंभीर नुकसान पहुंचाता है.
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उत्तर और दक्षिण कोरिया पहले से हैं परेशान
चीन की ये पीली धूल उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों के गुस्से का कारण रही है. कोरियाई देशों की हवा में उपस्थित 30% सल्फ्यूरिक एसिड और 40% नाइट्रिक एसिड चीन से आ रहे हैं. इस बारे में कई बार इंटरनेशनल स्तर पर भी शिकायत की जा चुकी है. यहां तक कि जापान ने भी यलो डस्ट के बारे में कोई ठोस कदम उठाने की बात चीन से कही. विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद चीन लगातार पेड़ काटकर ऊंची इमारतें और कारखाने बनाता जा रहा है.undefined
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Tags: Air pollution, China, Deserts, Xi jinping
FIRST PUBLISHED : March 16, 2021, 08:02 IST