क्यों इस नेपाली नेता को China से जान का खतरा महसूस हो रहा है?

नेपाल के साथ चीन की दोस्ती की पोल धीरे-धीरे खुलने लगी है (news18 hindi)
नेपाली सांसद जीवन बहादुर शाही ( Jeevan Bahadur Shahi) ने चीन से खतरे (threat from China) की बात की. नेपाल पर चीन के कब्जे के खुलासे के बाद से कथित तौर पर चीन उनसे भड़का हुआ है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 27, 2020, 7:25 PM IST
ऐसा लगता है कि नेपाल के साथ चीन की दोस्ती की पोल धीरे-धीरे खुलने लगी है. भारत से तनाव के बीच नेपाल से दोस्ती का दिखावा कर रहा चीन अब नेपाल के नेताओं पर आक्रामक हो रहा है. हाल ही में नेपाल के हुमला इलाके में चीन के कब्जे का खुलासा करने वाले वरिष्ठ नेपाली नेता जीवन बहादुर शाही (Jeevan Bahadur Shahi) को चीन से धमकियां मिलने लगीं.
नेपाल की स्थानीय मीडिया खबरहब ने इस बारे में लंबी-चौड़ी रिपोर्ट की, जिसमें पाया गया कि हुमला जिले में बॉर्डर से दो किलोमीटर अंदर की तरफ आकर चीन के सैनिकों ने एक इमारत बना डाली है. ये 9 मंजिला इमारत जाहिर है कि एक-दो रोज में तो बनी नहीं होगी. यानी निर्माण के दौरान कम से कम स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी रही होगी.
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हुमला जिला नेपाली सांसद जीवन बहादुर शाही का गृह जिला है. लिहाजा सांसद ने तहकीकात के बाद इस बारे में आवाज उठाई. उन्होंने बताया कि कैसे 11 नंबर का सीमा स्तम्भ ही गायब कर दिया गया और चीन ने नेपाली भूमि अतिक्रमण करते हुए इमारत बना डाली.
हो-हल्ला मचने पर चीन ने पहले तो इस बात पर बात करने से ही इनकार कर दिया. फिर कहा कि ये इमारतें और दूसरे निर्माण जहां हुए हैं, वो हिस्सा चीन का ही है. ये बताते हुए चीन ने वहां नेपाल के लोगों के आने-जाने पर भी रोक लगा दी.
नेपाल की केंद्र सरकार यानी ओली प्रशासन ने चीनी कब्जे से साफ इनकार कर दिया. उसने कहा कि कथित तौर पर नेपाल के हुमला क्षेत्र में बनाईं गई इमारतें असल में नेपाल-चीन सीमा से एक किमी दूर चीन के इलाके में हैं. साथ ही साथ ये भी बताया गया कि इसी बात को लेकर पहले भी एक बार विवाद हो चुका है, जो बेबुनियाद है.
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हालांकि चीन हाल में नेपाल में काफी सक्रिय हो गया है और कुछ समय पहले भी उसके गोरखा जिले के एक गांव पर कब्जे की खबर आई थी. रूई गांव पर कब्जे की खबर के साथ ही नेपाल की आंतरिक राजनीति में भूचाल आ गया था. विपक्षी पार्टी के लोगों का आरोप है कि ओली सरकार रिश्वत के बदले चीन को नेपाल में घुसपैठ करने दे रही है.
इधर नेपाली कांग्रेस के नेता शाही के चीन पर बयान के बाद से उन्हें धमकियां मिल रही हैं. सबसे पहले तो काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर शाही की बात को पक्षपातपूर्ण बताया. यहां तक कि प्रोटोकॉल तोड़ते हुए दूतावास ने नेपाली कांग्रेस को धमकाते हुए चिट्ठी लिख डाली कि शाही के बयान से चीन और नेपाल के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं.

बात यहीं पर खत्म नहीं हुई. चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख लिखा, जिसमें शाही और उनकी पार्टी के बारे में अनाप-शनाप बातों के साथ ये भी लिखा हुआ था कि वे भारत के पक्षधर लोग हैं. इसके तुरंत बाद ही शाही को कथित तौर पर चीन की ओर से धमकियां भी मिलने लगीं.
स्वराज्यमैग की एक रिपोर्ट में नेपाली मीडिया खबरहब के हवाले से ये बताया गया है कि शाही ने अपनी जान को खतरा बताया है. उनका कहना है कि उन्हें लगातार अज्ञात स्त्रोतों से धमकियां मिल रही हैं और अगर उन्हें कुछ हुआ तो इसके लिए चीन जिम्मेदार होगा.
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अपने ही सांसद के खिलाफ चीन का पक्ष लेने वाली ओली सरकार के खिलाफ भी अब नेपाल की मीडिया और लोग बोल रहे हैं. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली को भी कथित तौर पर चीन से बड़ी रकम मिल रही है. ओली ने साल 2015-16 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान कंबोडिया के टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश किया. इस डील के लिए तब नेपाल में चीनी राजूदत वी चुन्टई ने उनकी मदद की. तब ओली लगभग 8 महीने ही कुर्सी पर रहे थे, जिस दौरान ये सब हुआ. दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही ओली पर चीन के साथ मिलकर करप्शन में लिप्त रहने का आरोप लगा. साल 2020 में ही एक चीनी कंपनी जेटीई के साथ कोर 4 जी नेटवर्क के लिए करार हुआ है. लगभग 1106 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में भी ओली पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने घपला किया है.

नेपाल में चाइनीज राजदूत होऊ यांगी के नेपाल की आंतरिक राजनीति में दखल देने की बात भी लगातार सामने आती रही है. वे बिना रोकटोक ओली और दूसरे नेताओं से मिल पाती हैं और यहां तक कि देश के मामलों में अपनी राय दे पाती हैं. यांगी की पहुंच का अनुमान इस बात से लग सकता है कि राजदूत के प्रोटोकॉल से अलग नेताओं से गुप्त मुलाकातें भी करती रही हैं. नेपाल में खुले तौर पर यांगी ने डिप्लोमेटिक कोड कंडक्ट तोड़ा है, जिसपर नेपाल के मीडिया में भी आवाजें उठ रही हैं.
नेपाल में चीनी कब्जे की बात करने वाले नेता के अलावा चीन उस सारे मीडिया पर भी आक्रामक हो रहा है, जिसने उसके खिलाफ कहा. खासतौर पर चीन काठमांडू पोस्ट पर भड़का हुआ है, जिसने नाटो के पूर्व अमेरिकी राजदूत Ivo Daalder का संपादकीय प्रकाशित किया. पहले ये आर्टिकल कोरियन हेराल्ड में आया था. इसके बाद से चीन लगातार अखबार के संपादक पर आक्रामक होने लगा.
काठमांडू पोस्ट के संपादक अनूप काफले के बारे में चीनी दूतावास ने यहां तक कह दिया कि वे एंटी-चाइना ताकतों के मिट्ठू हैं. इसके बाद नेपाल और दूसरे देशों के पत्रकार भी भड़के और कुल 17 अखबारों और पोर्टल्स ने चीन की आलोचना की.
नेपाल की स्थानीय मीडिया खबरहब ने इस बारे में लंबी-चौड़ी रिपोर्ट की, जिसमें पाया गया कि हुमला जिले में बॉर्डर से दो किलोमीटर अंदर की तरफ आकर चीन के सैनिकों ने एक इमारत बना डाली है. ये 9 मंजिला इमारत जाहिर है कि एक-दो रोज में तो बनी नहीं होगी. यानी निर्माण के दौरान कम से कम स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी रही होगी.
ये भी पढ़ें: वो कौन-सा नया एशियाई देश है जो चीन के कर्ज के जाल में फंस गया?
हुमला जिला नेपाली सांसद जीवन बहादुर शाही का गृह जिला है. लिहाजा सांसद ने तहकीकात के बाद इस बारे में आवाज उठाई. उन्होंने बताया कि कैसे 11 नंबर का सीमा स्तम्भ ही गायब कर दिया गया और चीन ने नेपाली भूमि अतिक्रमण करते हुए इमारत बना डाली.

नेपाल के सांसद जीवन बहादुर शाही
हो-हल्ला मचने पर चीन ने पहले तो इस बात पर बात करने से ही इनकार कर दिया. फिर कहा कि ये इमारतें और दूसरे निर्माण जहां हुए हैं, वो हिस्सा चीन का ही है. ये बताते हुए चीन ने वहां नेपाल के लोगों के आने-जाने पर भी रोक लगा दी.
नेपाल की केंद्र सरकार यानी ओली प्रशासन ने चीनी कब्जे से साफ इनकार कर दिया. उसने कहा कि कथित तौर पर नेपाल के हुमला क्षेत्र में बनाईं गई इमारतें असल में नेपाल-चीन सीमा से एक किमी दूर चीन के इलाके में हैं. साथ ही साथ ये भी बताया गया कि इसी बात को लेकर पहले भी एक बार विवाद हो चुका है, जो बेबुनियाद है.
ये भी पढ़ें: कितने खतरनाक होते हैं वॉटर कैनन, जो पुलिस प्रदर्शनकारियों पर इस्तेमाल करती है
हालांकि चीन हाल में नेपाल में काफी सक्रिय हो गया है और कुछ समय पहले भी उसके गोरखा जिले के एक गांव पर कब्जे की खबर आई थी. रूई गांव पर कब्जे की खबर के साथ ही नेपाल की आंतरिक राजनीति में भूचाल आ गया था. विपक्षी पार्टी के लोगों का आरोप है कि ओली सरकार रिश्वत के बदले चीन को नेपाल में घुसपैठ करने दे रही है.
इधर नेपाली कांग्रेस के नेता शाही के चीन पर बयान के बाद से उन्हें धमकियां मिल रही हैं. सबसे पहले तो काठमांडू स्थित चीनी दूतावास ने एक बयान जारी कर शाही की बात को पक्षपातपूर्ण बताया. यहां तक कि प्रोटोकॉल तोड़ते हुए दूतावास ने नेपाली कांग्रेस को धमकाते हुए चिट्ठी लिख डाली कि शाही के बयान से चीन और नेपाल के रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं.

कांग्रेस के नेता शाही के चीन पर बयान के बाद से उन्हें धमकियां मिल रही हैं सांकेतिक फोटो (flickr)
बात यहीं पर खत्म नहीं हुई. चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख लिखा, जिसमें शाही और उनकी पार्टी के बारे में अनाप-शनाप बातों के साथ ये भी लिखा हुआ था कि वे भारत के पक्षधर लोग हैं. इसके तुरंत बाद ही शाही को कथित तौर पर चीन की ओर से धमकियां भी मिलने लगीं.
स्वराज्यमैग की एक रिपोर्ट में नेपाली मीडिया खबरहब के हवाले से ये बताया गया है कि शाही ने अपनी जान को खतरा बताया है. उनका कहना है कि उन्हें लगातार अज्ञात स्त्रोतों से धमकियां मिल रही हैं और अगर उन्हें कुछ हुआ तो इसके लिए चीन जिम्मेदार होगा.
ये भी पढ़ें: Explained: कैसे एक झूठ ने ऑस्ट्रेलिया में दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगवा दिया?
अपने ही सांसद के खिलाफ चीन का पक्ष लेने वाली ओली सरकार के खिलाफ भी अब नेपाल की मीडिया और लोग बोल रहे हैं. नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली को भी कथित तौर पर चीन से बड़ी रकम मिल रही है. ओली ने साल 2015-16 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान कंबोडिया के टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश किया. इस डील के लिए तब नेपाल में चीनी राजूदत वी चुन्टई ने उनकी मदद की. तब ओली लगभग 8 महीने ही कुर्सी पर रहे थे, जिस दौरान ये सब हुआ. दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही ओली पर चीन के साथ मिलकर करप्शन में लिप्त रहने का आरोप लगा. साल 2020 में ही एक चीनी कंपनी जेटीई के साथ कोर 4 जी नेटवर्क के लिए करार हुआ है. लगभग 1106 करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट में भी ओली पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने घपला किया है.

नेपाल में चीनी राजदूत होऊ यांगी
नेपाल में चाइनीज राजदूत होऊ यांगी के नेपाल की आंतरिक राजनीति में दखल देने की बात भी लगातार सामने आती रही है. वे बिना रोकटोक ओली और दूसरे नेताओं से मिल पाती हैं और यहां तक कि देश के मामलों में अपनी राय दे पाती हैं. यांगी की पहुंच का अनुमान इस बात से लग सकता है कि राजदूत के प्रोटोकॉल से अलग नेताओं से गुप्त मुलाकातें भी करती रही हैं. नेपाल में खुले तौर पर यांगी ने डिप्लोमेटिक कोड कंडक्ट तोड़ा है, जिसपर नेपाल के मीडिया में भी आवाजें उठ रही हैं.
नेपाल में चीनी कब्जे की बात करने वाले नेता के अलावा चीन उस सारे मीडिया पर भी आक्रामक हो रहा है, जिसने उसके खिलाफ कहा. खासतौर पर चीन काठमांडू पोस्ट पर भड़का हुआ है, जिसने नाटो के पूर्व अमेरिकी राजदूत Ivo Daalder का संपादकीय प्रकाशित किया. पहले ये आर्टिकल कोरियन हेराल्ड में आया था. इसके बाद से चीन लगातार अखबार के संपादक पर आक्रामक होने लगा.
काठमांडू पोस्ट के संपादक अनूप काफले के बारे में चीनी दूतावास ने यहां तक कह दिया कि वे एंटी-चाइना ताकतों के मिट्ठू हैं. इसके बाद नेपाल और दूसरे देशों के पत्रकार भी भड़के और कुल 17 अखबारों और पोर्टल्स ने चीन की आलोचना की.