भीषण गर्मी और सूखे में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) से चीन को अपनी फसलें बचाने की उम्मीद है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
चीन (China) तकनीक के क्षेत्र में कई तरह के प्रयोग करता रहता है. उसके सैन्य और अंतरिक्ष प्रयोग उसे कई अलग तरह की उपलब्धियां दिलाते भी रहे हैं. अब चीन कृषि (Chinese Agriculutre) के क्षेत्र में एक नया प्रयोग करने जा रहा है. चीन पिछले कुछ समय से अभूतपूर्व भीषण गर्मी और सूखे से परेशान है और इसकी वजह से वहां की शरद ऋतु की अनाज की फसलों को भारी नुकसान हो सकता है. इससे निपटने के लिए चीन ने कृत्रिम वर्षण (Artificial Rain) करने का फैसला किया है. उसका कहना है कि वह अपने अनाज की फसलों को भीषण सूखे से बचाने के लिए बारिश पैदा करने के वाले रसायनों का उपयोग करेगा.
61 सालों में रिकॉर्ड गर्मी
चीन में पिछले 61 सालों में, जब से वहां बारिश की स्थितियों का रिकॉर्ड रखना शुरू किया गया है, यह सबसे गर्म और सूखा गर्मी का मौसम है. यहां भी फसलें सूख गई हैं और जलाशयों में समान्य जलस्तर से आधा पानी भी नहीं रह गया है. आलम यह है कि दक्षिण पश्चिम चीन में कई फैक्ट्रियां एक और हफ्ते के लिए बंद रहेंगी क्योंकि हाइड्रोपावर पैदा करने के लिए भी जरूरी पानी उपलब्ध नहीं है.
आने वाले 10 दिन धान के लिए अहम
सिचुआन प्रांतम पिछले हफ्ते सभी कारखानों को बंद कर दिया गया था जिससे घरों में बढ़ती एयरकंडीशनिंग की बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके क्यों कि इलाको में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. लेकिन इसी बीच चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन के कृषि मंत्री तांग रेनिजियान ने कहा है कि आने वाले दस दिन दक्षिण चीन की धान की फसल के लिए बहुत अहम हैं.
आपातकालीन कदम उठाने की तैयारी
रिपोर्ट के मुताबिक तांग ने कहा कि सरकार शरद ऋतु की अनाज की फसलों को बचाने के लिए हर तरह के आपात कदम उठाएगी. शरद ऋतु के अनाज की फसलें चीन की कुल अनाज के 75 प्रतिशत हिस्से की भागीदारी करती हैं. तांग के मंत्रालय ने अपने वेबसाइट पर कहा कि अधिकारी रसायनों को बादलों में डालकर बारिश को बढ़ाने की कोशिश करेगी और वाष्पीकरण को रोकरने के फसलों में पानी रोकने के रसायन का छिड़काव करेगी.
जिनपिंन के लिए चुनौती
चीन पहले से ही गंभीर आर्थिक चुनौतियां का सामना कर रहा है. इसी साल अक्टूबर नवंबर में चीन क राष्ट्रपति शी जिनपिन कम्यूनिस्ट पार्टी की मीटिंग में भाग लेंगे जहां वे अपने तीसरे पांच सालाना कार्यकाल की उपलब्धियों को सबके सामने रखेंगे ऐसे में फसलों को नुकसान उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकता है.
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होकर रहेगा पूरी दुनिया पर असर
इतना ही नहीं इस मौसम में अनाज के उत्पादन में कमी का वैश्विक प्रभाव भी पड़ सकता है. इसे आयात की मांग तेजी से बढ़ेगी. चीन दुनिया का सबसे बड़ा चावल का उत्पादक तो है, लेकिन वह चावल निर्यात नहीं करता है क्योंकि उसकी घरेलू मांग ही बहुत ज्यादा होती है. चीन में आयात की मांग अमेरका और यूरोप में महंगाई का दबाव बना सकती है. इतना ही नहीं चीन में सौर पैनल, प्रोसेसर चिप्स और अन्य औद्योगिक सामान निर्माण करने वाली फैक्ट्रियां बंद रहने से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विपरीत ही असर होगा.
कहीं देर तो नहीं हो गई?
कारखाने और फैक्ट्रियां बंद होने के बाद भी सरकार इस पर ज्यादा कुछ बोल नहीं रही है. कई इलाकों की फसलें पहले ही खराब हो चुकी हैं ऐसा कहा जाने लगा है. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा रहा है, ऑफिस शॉपिंग मॉल आदि को बिजली बंद रखने के आदेश दिए गए हैं.
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उत्तरपश्चिमी इलाकों में बाढ़ की समस्याएं गंभीर ह रही है. किंगहाई में 26 लोग मारे जा चुके हैं करीब 1500 से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं. यह समय चीन के लिए बहुत चुनौती भरा हो गया है. लेकिन फिलहाल चीन की सूखेक समस्या ज्यादा गंभीर और दूरगामी नजर आती है. देखने वाली बात यह है कि क्या कृत्रिम बारिश जैसे उपाय चीन को नुकसान से बचा सकेंगे भी या नहीं.
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