जानें चीन ने सैनिकों के लिए बनाए कैसे क्विल्ट जो -40 डिग्री में रहेंगे गर्म और हल्के

एलएसी पर तैनात चीनी सैनिकों को हाई-टेक कपड़े मुहैया कराए गए- सांकेतिक फोटो
हड्डियां जमा देने वाली सर्दियों में भी एलएसी (LAC) पर जमे चीनी सैनिकों (Chinese army) के लिए पूरी तरह से थर्मल कपड़े, चश्मे और यहां तक रजाइयां भी तैयार की गईं.
- News18Hindi
- Last Updated: November 27, 2020, 1:34 PM IST
बहुत कोशिशों के बाद भी भारत-चीन के बीच सीमा पर तनाव (India-China border tesnion) कम होता नहीं दिख रहा. पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के सैनिक आर-पार जमे हुए हैं. इस बीच सर्दियों के साथ ही सीमा पर तापमान भी तेजी से गिरा है. इसे देखते हुए भारतीय सेना के साथ-साथ चीन के सैनिकों ने भी पूरी तैयारी कर ली है. वे ऐसे साजो-सामान जमा कर चुके हैं, जो लगभग -55 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी उन्हें गर्म रख सकें.
एलएसी पर तैनात चीनी सैनिकों को हाई-टेक कपड़े मुहैया कराए गए हैं. इसमें न केवल सिर और शरीर को बचाने वाले, बल्कि आंखों और नाक को बचाने वाले कपड़े भी शामिल हैं. इनकी खासियत है कि ये पहनने में काफी हल्के हैं. ये इस तरह से तैयार किए गए हैं कि अगर कभी लड़ाई के हालात बनें या नौबत आ ही जाए तो ऊंचे पहाड़ों पर भी सैनिकों को कोई उलझन न हो. साथ ही साथ ऐसी रजाइयां बनाई गई हैं जो - 40 डिग्री तापमान पर भी गर्म रहती हैं, साथ ही साथ ये हल्की भी होती है ताकि ओढ़ने में सैनिकों को दम घुटता हुआ न लगे.
माइनस तापमान में आंखों को नुकसान का काफी खतरा रहता है. सैनिकों को इससे बचाने के लिए एंटी-रिफलेक्टिव चश्मे दिए गए हैं. ये बर्फ की चमक से होने वाले नुकसान को रोकते हैं. हाथों के लिए खास दस्ताने तो हैं हीं. साथ ही आंतरिक वस्त्रों पर भी ध्यान दिया गया है. ये कपड़े इस तरह के मटेरियल से बनाए गए हैं जो मिनटों में सूख जाएं.

सैनिकों के कपड़ों के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि वे जिस टेंट में रह रहे हैं, वो गर्म रहे. इसके लिए एंटी-थर्मल टेंट तैयार किए गए. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ये टेंट खुद आर्मी इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी ऑफ पीएलए की देखरेख में बनाया गया. ये केवल एक कमरा नहीं, बल्कि एक पूरे घर की तरह है, जिसमें डॉरमेट्री, कैंटीन, टॉयलेट और हथियार आदि रखने के लिए गोदाम भी है. साथ ही साथ इसमें इस तरह की तकनीक का उपयोग हुआ है कि ये काफी ऊंचाई और माइनस 55 डिग्री सेल्सियस पर भी काम करे.
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पीएलए डेली के मुताबिक इस तरह के शेल्टर वैसे तो दो सालों से ऊंचे स्थानों पर काम में लाए जा रहे थे, लेकिन अब ये पूरी तरह से इस तकनीक से लैस हैं. चीनी मीडिया के अनुसार ये टेंट इस तरह से तैयार हुए हैं कि बिना बिजली और पानी के लगाए जा सकते हैं. साथ ही जरूरत के अनुसार इन्हें छोटा या बड़ा किया जा सकता है.
बीजिंग में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट ऑफ शिन्हुआ यूनिवर्सिटी के शोध विभाग के डायरेक्टर Qian Feng का मानना है कि इस शेल्टर के एलएसी पर इंस्टॉल करने की घोषणा से चीनी सैनिकों का जोश और बढ़ेगा.
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दूसरी ओर भारतीय सेना भी तैयारियों में कम नहीं है. बता दें कि लद्दाख में ठंड में तापमान -30 से -40 डिग्री सेंटिग्रेड तक भी चला जाता है. ऐसे में भारी और कितनी ही लेयर वाले कपड़े क्यों न पहने जाएं, आंधी-तूफान में किसी काम के नहीं रह जाते. यही देखते हुए सेना वहां आर्कटिक टेंट लगा रही है.

खास तरह के इस टेंट को आर्कटिक ओवन टेंट भी कहते हैं. साल 1987 में बर्फीले इलाकों में कैंपिंग के साथ सैनिकों के लिए तैयार किए गए इन टेंट की खासियत इसका फैब्रिक है. वेपेक्स नाम का मटेरियल कुछ ऐसा होता है कि टेंट से बाहर भारी बारिश के साथ बर्फबारी भी हो रही हो तो भी अंदर के तापमान को सूखा रखता है. साथ ही अंदर की नमी भी बनाए रखता है ताकि सांस लेने में कोई समस्या न हो.
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इस टेंट की दीवारें नमी-रहित होती हैं, लिहाजा अगर एक टेंट में 6 फीट से लंबा व्यक्ति हो तो भी वो बिना पैर सिकोड़े एक से दूसरे कोने तक फैलकर सो सकता है. टेंट ठीक से एडजस्ट हो, इसके लिए उसके फैब्रिक के भीतर एलुमीनियम की मोटी ट्यूब होती है. इससे टेंट खुद ही खड़ा हो जाता है और भारी बर्फबारी में भी गिरता नहीं है. इसके ऊपर भी बर्फ जमा हो जाए तो ये सीधा रहता है. इसे खोलकर एक से दूसरी जगह भी ले जाना उतना ही आसान है. यानी ये सैनिकों के लिहाज से बिल्कुल सही टेंट है.
आर्कटिक टेंट के साथ-साथ प्री-फैब्रिकेटेड झोपड़ीनुमा स्ट्रक्चर बनाए जाने की भी तैयारी है. ये prefab भी कहलाते हैं. असल में ये टेंट की तरह ही होते हैं लेकिन सारे मौसमों के लिए हैं. इन्हें असेंबल करके बनाया जाता है और इनके भीतर रहने के लिए सारे इंतजाम होते हैं. अब भी कई देशों में ऑनसाइट रहने वाले इंजीनियरों और स्टाफ के लिए प्री-फैब ही दिए जाते हैं.
एलएसी पर तैनात चीनी सैनिकों को हाई-टेक कपड़े मुहैया कराए गए हैं. इसमें न केवल सिर और शरीर को बचाने वाले, बल्कि आंखों और नाक को बचाने वाले कपड़े भी शामिल हैं. इनकी खासियत है कि ये पहनने में काफी हल्के हैं. ये इस तरह से तैयार किए गए हैं कि अगर कभी लड़ाई के हालात बनें या नौबत आ ही जाए तो ऊंचे पहाड़ों पर भी सैनिकों को कोई उलझन न हो. साथ ही साथ ऐसी रजाइयां बनाई गई हैं जो - 40 डिग्री तापमान पर भी गर्म रहती हैं, साथ ही साथ ये हल्की भी होती है ताकि ओढ़ने में सैनिकों को दम घुटता हुआ न लगे.
#Chinese PLA Self-powered thermal insulation cabins at Ladakh border
Consists of dormitory, canteen, integrated bathroom, dry self-cleaning toilet, warehouse, micro grid, heating equipment, etc. Outdoors at -40℃, the indoor temperature can be guaranteed to be higher than 15℃. pic.twitter.com/AikNVLMakD— Vengeance Is Mine! (@PromoterBoxing) October 8, 2020
माइनस तापमान में आंखों को नुकसान का काफी खतरा रहता है. सैनिकों को इससे बचाने के लिए एंटी-रिफलेक्टिव चश्मे दिए गए हैं. ये बर्फ की चमक से होने वाले नुकसान को रोकते हैं. हाथों के लिए खास दस्ताने तो हैं हीं. साथ ही आंतरिक वस्त्रों पर भी ध्यान दिया गया है. ये कपड़े इस तरह के मटेरियल से बनाए गए हैं जो मिनटों में सूख जाएं.

इन थर्मल कपड़ों की खासियत है कि ये पहनने में काफी हल्के और गर्म हैं- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
सैनिकों के कपड़ों के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि वे जिस टेंट में रह रहे हैं, वो गर्म रहे. इसके लिए एंटी-थर्मल टेंट तैयार किए गए. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ये टेंट खुद आर्मी इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी ऑफ पीएलए की देखरेख में बनाया गया. ये केवल एक कमरा नहीं, बल्कि एक पूरे घर की तरह है, जिसमें डॉरमेट्री, कैंटीन, टॉयलेट और हथियार आदि रखने के लिए गोदाम भी है. साथ ही साथ इसमें इस तरह की तकनीक का उपयोग हुआ है कि ये काफी ऊंचाई और माइनस 55 डिग्री सेल्सियस पर भी काम करे.
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पीएलए डेली के मुताबिक इस तरह के शेल्टर वैसे तो दो सालों से ऊंचे स्थानों पर काम में लाए जा रहे थे, लेकिन अब ये पूरी तरह से इस तकनीक से लैस हैं. चीनी मीडिया के अनुसार ये टेंट इस तरह से तैयार हुए हैं कि बिना बिजली और पानी के लगाए जा सकते हैं. साथ ही जरूरत के अनुसार इन्हें छोटा या बड़ा किया जा सकता है.
बीजिंग में नेशनल स्ट्रेटजी इंस्टीट्यूट ऑफ शिन्हुआ यूनिवर्सिटी के शोध विभाग के डायरेक्टर Qian Feng का मानना है कि इस शेल्टर के एलएसी पर इंस्टॉल करने की घोषणा से चीनी सैनिकों का जोश और बढ़ेगा.
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दूसरी ओर भारतीय सेना भी तैयारियों में कम नहीं है. बता दें कि लद्दाख में ठंड में तापमान -30 से -40 डिग्री सेंटिग्रेड तक भी चला जाता है. ऐसे में भारी और कितनी ही लेयर वाले कपड़े क्यों न पहने जाएं, आंधी-तूफान में किसी काम के नहीं रह जाते. यही देखते हुए सेना वहां आर्कटिक टेंट लगा रही है.

खास तरह के इस टेंट को आर्कटिक ओवन टेंट भी कहते हैं- सांकेतिक फोटो (pikist)
खास तरह के इस टेंट को आर्कटिक ओवन टेंट भी कहते हैं. साल 1987 में बर्फीले इलाकों में कैंपिंग के साथ सैनिकों के लिए तैयार किए गए इन टेंट की खासियत इसका फैब्रिक है. वेपेक्स नाम का मटेरियल कुछ ऐसा होता है कि टेंट से बाहर भारी बारिश के साथ बर्फबारी भी हो रही हो तो भी अंदर के तापमान को सूखा रखता है. साथ ही अंदर की नमी भी बनाए रखता है ताकि सांस लेने में कोई समस्या न हो.
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इस टेंट की दीवारें नमी-रहित होती हैं, लिहाजा अगर एक टेंट में 6 फीट से लंबा व्यक्ति हो तो भी वो बिना पैर सिकोड़े एक से दूसरे कोने तक फैलकर सो सकता है. टेंट ठीक से एडजस्ट हो, इसके लिए उसके फैब्रिक के भीतर एलुमीनियम की मोटी ट्यूब होती है. इससे टेंट खुद ही खड़ा हो जाता है और भारी बर्फबारी में भी गिरता नहीं है. इसके ऊपर भी बर्फ जमा हो जाए तो ये सीधा रहता है. इसे खोलकर एक से दूसरी जगह भी ले जाना उतना ही आसान है. यानी ये सैनिकों के लिहाज से बिल्कुल सही टेंट है.
आर्कटिक टेंट के साथ-साथ प्री-फैब्रिकेटेड झोपड़ीनुमा स्ट्रक्चर बनाए जाने की भी तैयारी है. ये prefab भी कहलाते हैं. असल में ये टेंट की तरह ही होते हैं लेकिन सारे मौसमों के लिए हैं. इन्हें असेंबल करके बनाया जाता है और इनके भीतर रहने के लिए सारे इंतजाम होते हैं. अब भी कई देशों में ऑनसाइट रहने वाले इंजीनियरों और स्टाफ के लिए प्री-फैब ही दिए जाते हैं.