जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण पैदा हुए जलवायु संकट में पूरे संसार को मुसीबत में डाल रहे हैं. खतरनाक होता मौसम (Weather), अनियमित और चरम तापमान, अप्रत्याशित और तीव्र बारिश ,बेतरतीब हवाएं प्रबंधन और ज्यादा मुश्किल बना रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ये बदलाव स्थायी हैं. ये बदलाव गतिक हैं और आने वाले समय में इनमें और भी तीव्रता और विविधता हो सकती है. अब नए अध्ययन ने पूर्वानुमान लगाया है कि भविष्य में पूर्वी एशिया (East Asia)के पर्वतीय इलाकों के बारिश से आकाश से नदियां बहने जैसी सकती है.
वायुमंडल नदियों का प्रभाव
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह बहुत ज्यादा बारिश वायुमंडलीय नदियों के कारण आएगी. संघनित नमी के ये संकरे गलियारे तेजी से बाढ़ में बदल सकते हैं जब वे किसी पर्वत शृंखला जैसी बाधाओं का सामने आ जाते हैं. इससे बहुत ही कम समय में बहुत ज्यादा मात्रा में पानी गिरता है.
ऊष्मन बढ़ने का नतीजा
शोधकर्ताओं के मॉडल के मुताबिक आने वाले दशकों में जैसे जैसे ग्रह ज्यादा गर्म होता जाएगा, पूर्वी एशिया में बारिश की घटनाएं और भी ज्यादा नियमित हो जाएंगी. ऐसे माहौल में हवा में ज्यादा मात्रा में पानी का परिवहन होगा और ज्यादा मात्रा में जमीन पर बारिश होने की घटनाएं देखने को मिलेंगी.
चरम बारिश के हालात
जियोफिजिकल रिसर्च लैटर्स में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लिखा है, “हमने पाया कि जलवायु के गर्म होने पर पूर्वी एशिया के पर्वतों के पश्चिमी और दक्षिण ढालों के ऊपर वायुमंडलीय नदी संबंधित भाप का परिवहन और बारिश दोनों की ही तीव्रता देखने को मिलेगी. वायुमंडलीय नदी वैश्विक ऊष्मन के तहत पूर्वी एशिया में अप्रत्याशित चरम बारिश लेकर आएंगी.”
जलवायु परिवर्तन ही कारक
सामान्य तौर पर वायुमंडलीय नदियां गर्म क्षेत्रों से नमी उठाती हैं और ठंडे इलाकों में जमा कर देती हैं. उनकी गतिविधयों पर हवा और तापमान में बदालव से नियंत्रण हाता है. ऐसे बदलाव जलवायु परिवर्तन से भी आते हैं. अध्ययन में कहा गया है कि जापान, ताइवान, उत्तरपूर्वी चीन और कोरियाई प्रायद्वीप के इलाकों में बारिश रिकॉर्डतोड़ स्तर पर जा सकती है.
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सिम्यूलेशन से मॉडलिंग
अधिकांश बारिश जापानी आल्प्स पर्वतों के दक्षिण पश्चिम ढालों पर गिरेगी. अपने नतीजों पर पहुंचने के लिए वैज्ञानिकोंने 1951 से 2010 के बीच जमा किए गए आंकड़ों पर सिम्यूलेशन चलाया और उसमें पाता कि साल 2090 के नतीजे निकाले. उन्होंने ने माना का कि तापमान में बढ़ोत्तरी जलवायु परिवर्तन के अन्य चरम हालात के रहते रैखीय होगी.
पहले ही भी हो चुके हैं वायुमंडलीय नदियों के अध्ययन
जापानी पर्यावरण वैज्ञानिक योइची कामे का कहना है कि उनकी टीम ने उच्च विभेदन वैश्विक वायुमंडलीय परिसंचलन प्रतिमान सिम्यूलेशन का के साथ क्षेत्रीय जलवायु प्रतिमान डाउनस्केलिंग सिम्यूलेशन का भी उपयोग किया. वायुमंडलीय नदियों पर इससे पहले भी कई शोधकार्य हो चुके हैं, लेकिन इनके बर्ताव को पूरी तरह समझा नहीं जा सका था.
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शोधकर्ताओं का कहना है कि कुछ इलाकों में यह बढ़ती बारिश फायदेमंद होगी, लेकिन दूसरे इलाकों में यह बहुत घातक होगी. यह प्रतिमान दूसरे इलाकों पर भी लागू किया जा सकता है जहां वायुमंडलीय नदियां विकसित हो सकती हैं. पश्चिमी उत्तरी अमेरिका और यूरोप के मध्य अक्षांशों के इलाकों के पर्वतीय इलाकों में ऐसा प्रतिमान उपोयगी हो सकता है.
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