मध्य एशिया में चंगेज खान नहीं, जलवायु परिवर्तन बना था सभ्यताओं के पतन की वजह

अभी तक 13वीं सदी की मध्य एशिया (Central Asia) सभ्यताओं के पतन का कारण चंगेज खान (Genghis Khan) और मगोल हमलों को माना जाता था. (तस्वीर: Pixabay)
चंगेज खान (Genghis Khan) और मंगोल हमले (Mongol Invasion) को 13वीं सदी की मध्य एशिया (Central Asia) की सभ्यताओं के विनाश के लिए जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन ताजा शोध का दावा है कि इसकी वजह जलवायु परिवर्तन (Climate change) है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 21, 2021, 5:50 PM IST
मध्य एशिया के 13वीं सदी के शुरुआती इतिहास (History) के बारे में अब तक माना जाता था कि तब की नदियों के पास की सभ्यताओं का नष्ट होना चंगेज खान (Genghis Khan) के नेतृत्व में हुए मंगोल हमलों (Mongol Invasion) का नतीजा था. लेकिन नया अध्ययन इस मान्यता को चुनौती दे रहा है. इस शोध के मुताबिक लंबी समय चली आ रही यह धारणा गलत है बल्कि इन सभ्यताओं के खात्मे की वजह जलवायु परिवर्तन (Climate Change) है.
कहां है यह इलाका
यह इलाका मध्य एशिया यानि एशिया महाद्वीप का मध्य या केन्द्रीय भाग में स्थित है. यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफगानिस्तान तक फैला हुआ है. आमतौर पर मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पांच देश कजाखस्तान, किरगिजस्तान, ताजिकस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान गिने जाते हैं.
बाढ़ के पानी से सिंचाई वाली खेतीमध्य एशिया के अराल सागर से निकली नदियों की घाटी और उनके आसपास के इलाकों में एक समय आधुनिक सभ्यताओं का वास था. जिसमें बाढ़ के पानी का उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाता था. इस इलाके की सभ्यताओं के पतन के बारे में कहा जाता है कि इसकी वजह चंगेज खान के नेतृत्व में हुए मंगोलियाई हमले थे.
क्या अध्ययन किया गया शोध में
इस अध्ययन के मुताबिक लंबे समय तक नदियों की सक्रियता और पुरातन सिंचाई के जाल दर्शाते हैं कि जलवायु परिवर्तन और सूखे हालात इसकी वास्तविक वजह हो सकते हैं. यूके की लिंकन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुए शोध में इस इलाके में बाढ़ के पानी से होने वाली खेती पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन किया गया.

घटता गया पानी और
इस अध्ययन में पाया गया है कि कभी संपन्न रहे शहरों वाली सभ्यता के पतन में घटते पानी का बहाव का भी अहम योगदान था. लिंकन यूनिवर्सिटी में लिंकन सेंटर फॉर वाटर एंड प्लैनेटरी हेल्थ के निदेशक और लेखक मार्क मैक्लिन ने बताया कि उनका शोध दर्शाता है कि वास्तव में चंगेज खान का हमला नहीं जलवायु परिवर्तन मध्य एशिया की भुला दी गई सभ्यताओं के पतन का प्रमुख कारण था.
क्या वाकई मर चुके व्यक्तियों की आवाज सुन सकते हैं कुछ लोग?
हमला बड़ी समस्या नहीं रहा
मैक्लिन ने बताया, “हमने पाया कि मध्य एशिया 7वीं और 8वीं सदी में हुए अरब आक्रमण के बाद तेजी से उबरने में सफल रहा जिसकी वजह यह रही कि उस समय के हालात बहुत अच्छे थे. लेकिन मंगोलों के हमले पहले, दौरान और बाद में पड़े लगातार सूखे के कारण स्थानीय जनता का जुझारूपन कम हो गया और बड़े पैमाने पर खेती पर लौटना संभव नहीं हो सका.”

इस खास जगह का हुआ अध्ययन
शोध में यूनिस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के ओट्रार नखलिस्तान में पुरातत्व इलाकों और सिंचाई नहरों पर ध्यान केंद्रित रखा गया. यह इलाका एक समय में सिल्क रोड व्यापास को केंद्र था जो दक्षिणी कजाकिस्तान में सिरदार्या और आयरिस नदियों के मिलन बिंदु पर स्थित है.
क्या था डार्क वेब का सबसे बड़ा डार्क मार्केट, जो बंद हो गया
शोधकर्ताओं ने इस इलाकों में उस समय का अध्ययन किया जब यहां सिंचाई नहरों खत्म हो गई थीं. उन्होंने आरिस नदी के पुराने बहाव की अध्ययन किया जिससे नहरों को पानी मिलता था. बंद हुई नहर की व्यवस्थाका सम जो 10वी और 14वीं सदी के बीच का थ वह सूखे के समय से मेल खाता है ना कि उस दौर में हुए मंगोली आक्रमणों से.
कहां है यह इलाका
यह इलाका मध्य एशिया यानि एशिया महाद्वीप का मध्य या केन्द्रीय भाग में स्थित है. यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफगानिस्तान तक फैला हुआ है. आमतौर पर मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पांच देश कजाखस्तान, किरगिजस्तान, ताजिकस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान गिने जाते हैं.
बाढ़ के पानी से सिंचाई वाली खेतीमध्य एशिया के अराल सागर से निकली नदियों की घाटी और उनके आसपास के इलाकों में एक समय आधुनिक सभ्यताओं का वास था. जिसमें बाढ़ के पानी का उपयोग खेतों में सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जाता था. इस इलाके की सभ्यताओं के पतन के बारे में कहा जाता है कि इसकी वजह चंगेज खान के नेतृत्व में हुए मंगोलियाई हमले थे.
क्या अध्ययन किया गया शोध में
इस अध्ययन के मुताबिक लंबे समय तक नदियों की सक्रियता और पुरातन सिंचाई के जाल दर्शाते हैं कि जलवायु परिवर्तन और सूखे हालात इसकी वास्तविक वजह हो सकते हैं. यूके की लिंकन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुआई में हुए शोध में इस इलाके में बाढ़ के पानी से होने वाली खेती पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन किया गया.

13वीं सदी की मध्य एशिया (Central Asia) सभ्यताओं के अस्तित्व में बाढ़ के पानी की खेती की अहम भूमिका थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
घटता गया पानी और
इस अध्ययन में पाया गया है कि कभी संपन्न रहे शहरों वाली सभ्यता के पतन में घटते पानी का बहाव का भी अहम योगदान था. लिंकन यूनिवर्सिटी में लिंकन सेंटर फॉर वाटर एंड प्लैनेटरी हेल्थ के निदेशक और लेखक मार्क मैक्लिन ने बताया कि उनका शोध दर्शाता है कि वास्तव में चंगेज खान का हमला नहीं जलवायु परिवर्तन मध्य एशिया की भुला दी गई सभ्यताओं के पतन का प्रमुख कारण था.
क्या वाकई मर चुके व्यक्तियों की आवाज सुन सकते हैं कुछ लोग?
हमला बड़ी समस्या नहीं रहा
मैक्लिन ने बताया, “हमने पाया कि मध्य एशिया 7वीं और 8वीं सदी में हुए अरब आक्रमण के बाद तेजी से उबरने में सफल रहा जिसकी वजह यह रही कि उस समय के हालात बहुत अच्छे थे. लेकिन मंगोलों के हमले पहले, दौरान और बाद में पड़े लगातार सूखे के कारण स्थानीय जनता का जुझारूपन कम हो गया और बड़े पैमाने पर खेती पर लौटना संभव नहीं हो सका.”

13वीं सदी की मध्य एशिया (Central Asia) सभ्यताओं के पतन का कारण वास्तविक कारण जलवायु परिवर्तन था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
इस खास जगह का हुआ अध्ययन
शोध में यूनिस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के ओट्रार नखलिस्तान में पुरातत्व इलाकों और सिंचाई नहरों पर ध्यान केंद्रित रखा गया. यह इलाका एक समय में सिल्क रोड व्यापास को केंद्र था जो दक्षिणी कजाकिस्तान में सिरदार्या और आयरिस नदियों के मिलन बिंदु पर स्थित है.
क्या था डार्क वेब का सबसे बड़ा डार्क मार्केट, जो बंद हो गया
शोधकर्ताओं ने इस इलाकों में उस समय का अध्ययन किया जब यहां सिंचाई नहरों खत्म हो गई थीं. उन्होंने आरिस नदी के पुराने बहाव की अध्ययन किया जिससे नहरों को पानी मिलता था. बंद हुई नहर की व्यवस्थाका सम जो 10वी और 14वीं सदी के बीच का थ वह सूखे के समय से मेल खाता है ना कि उस दौर में हुए मंगोली आक्रमणों से.