अब राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं हैं. राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बनाए रखने की मांग अब भी जारी है. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसी मांग को दोहराते हुए कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफा भी दे दिया है. इस बीच कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष से लेकर नए अध्यक्ष के नामों की चर्चा भी जारी है. कभी मोतीलाल वोरा का नाम सामने आता है तो कभी सुशील कुमार शिंदे का. कांग्रेस के नए अध्यक्ष के तौर पर मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर अशोक गहलोत, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक तक का नाम सामने आ रहा है.
आखिर गांधी परिवार के बाहर से कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने को लेकर कांग्रेस के भीतर इतना विरोध क्यों हो रहा है? इतिहास में गैर गांधी परिवार से आने वाले कांग्रेस अध्यक्षों की भरमार है. ऐसा नहीं है कि गांधी फैमिली से नहीं आने वाले कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ हो. आइए थोड़ा समझने की कोशिश करते हैं कि किस वक्त पर गांधी फैमिली से बाहर का सदस्य अध्यक्ष रहा और उस दौरान कांग्रेस की स्थिति कैसी रही.
आजादी के बाद नेहरू के अध्यक्ष बनने तक 3 गैर गांधी परिवार के अध्यक्ष बने
आजादी के वक्त जेबी कृपलानी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 1947 के मेरठ सेशन के दौरान उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. गांधी के पक्के शिष्य रहे कृपलानी के वक्त में ही ब्रिटिश सरकार से सत्ता का हस्तांतरण हुआ और भारत में लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ. इसके बाद 1948 और 1949 में पट्टाभि सीतारमैया कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए.
जयपुर कांफ्रेंस में उन्होंने ही अध्यक्षता की थी. वो भाषायी आधार पर प्रांतों के गठन के सच्चे हिमायती थे. 1950 में पुरुषोत्तम दास टंडन कांग्रेस अध्यक्ष बने और उन्होंने नासिक सेशन की अध्यक्षता की. वो हिंदी को सरकार की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के हिमायती थे. इन तीन चेहरों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी नेहरू के पास चली गई. जवाहरलाल नेहरू 1951 से लेकर 1954 तक लगातार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे.

बाबू जगजीवन राम
नेहरू के बाद 1978 में इंदिरा गांधी तक 8 बार गैर गांधी परिवार के सदस्य अध्यक्ष रहे
1954 से लेकर आपातकाल के बाद 1978 तक 8 बार गैर गांधी परिवार के कांग्रेस अध्यक्ष रहे. बीच में सिर्फ 1984 में दिल्ली के स्पेशल सेशन में इंदिरा गांधी अध्यक्ष थीं. 1955 से लेकर 1959 तक यूएन ढेबर कांग्रेस अध्यक्ष रहे. उन्होंने इस दौरान अवाडी, अमृतसर, इंदौर, गुवाहाटी और नागपुर के सेशंस की अध्यक्षता की. 1960 से 1963 तक नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे उन्होंने बेंगलोर, भावनगर और पटना के सेशंस की अध्यक्षता की. वो भारत के छठे राष्ट्रपति भी बने.
1964 से 1967 तक के कामराज कांग्रेस अध्यक्ष रहे. उन्हें इंडियन पॉलिटिक्स का किंगमेकर कहा गया. जवाहरलाल नेहरू की मौत के बाद लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही. कांग्रेस के भीतर के विरोध को खत्म करने के लिए उनका कामराज प्लान मशहूर हुआ. 1968 और 1969 में एस निजलिंगप्पा कांग्रेस अध्यक्ष रहे. कर्नाटक को एकीकृत करने में उनकी अहम भूमिका रही थी. 1970 से 71 तक जगजीवन राम कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. वो पिछड़ों, दलितो, वंचितों के लोकप्रिय नेता रहे. सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उन्होंने खूब काम किया था और 1946 में नेहरू की अंतरिम सरकार में सबसे युवा मंत्री बने थे.
1972 से 74 तक शंकर दयाल शर्मा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. वो भारत के नौवें राष्ट्रपति भी बने. 1975 से लेकर 1977 तक देवकांत बरुआ कांग्रेस अध्यक्ष रहे. ये आपातकाल का दौर था. बरुआ ने ही एक बार इंडिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इंडिया का नारा दिया था. हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और कांग्रेस (सोशलिस्ट) में शामिल हो गए. 1977-78 में कासु ब्रह्मानंद रेड्डी कांग्रेस अध्यक्ष बने. उन्होंने दक्षिण दिल्ली के अधिवेशन की अध्यक्षता की. इसके बाद इंदिरा और राजीव का दौर आया. 1978 से लेकर 1991 तक इंदिरा-राजीव ने कांग्रेस की कमान संभाली

शंकर दयाल शर्मा
राजीव से लेकर सोनिया तक दो लोग गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष चुने गए
1991 से लेकर 1996 तक पीवी नरसिम्हाराव कांग्रेस के अध्यक्ष बने. वो प्रधानमंत्री बनने वाले दक्षिण भारत के पहले नेता बने. नरसिम्हाराव की सरकार ने उदारीकरण की शुरुआत की. जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को संभालने का काम किया. 1996 से लेकर 1998 तक सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष रहे. उन्हें विवादित तरीके से पार्टी से बाहर किया गया. इसके बाद 1998 में सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं. इसके बाद सोनिया- राहुल का दौर शुरू हुआ.
सबसे बड़ी बात है कि आजादी के बाद नेहरू-गांधी परिवार ने इतना ज्यादा भी कांग्रेस पर राज नहीं किया है, जितना इसे एक परिवार की पार्टी बताकर तंज कसा जाता है. इस परिवार से जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी अध्यक्ष रहे हैं. आजादी के बाद 72 साल में 38 साल इस परिवार का ही कोई न कोई सदस्य अध्यक्ष रहा.
यानी बाकी बचे 34 साल में परिवार से अलग कोई सदस्य पार्टी के अध्यक्ष पद पर रहा. इसमें भी 1998 के बाद लगातार सोनिया या राहुल गांधी ही अध्यक्ष रहे हैं. यानी उससे पहले के 51 साल में 17 साल ही गांधी-नेहरू परिवार का कोई सदस्य अध्यक्ष था. सोनिया गांधी के 19 साल हटा दें, तो परिवार के बाकी सदस्य मिलकर 19 साल ही अध्यक्ष रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 04, 2019, 17:13 IST