नई दिल्ली: कोरोना वायरस (Corona-virus) के कहर की वजह से दुनिया भर में औद्योगिक गतिविधियां ठप्प हो गई हैं. भारत सहित कई देशों में लॉक डाउन (Lock-down) हो चुका है. इससे पर्यावरण को भी फायदा पहुंचा है पिछले कई दशकों से पृथ्वी पर हमारी रक्षा कर रही ओजोन परत (Ozone layer) को जो उद्योगों से नुकसान पहुंच रहा था उसमें कमी आने से इसकी हालत में सुधार आ रहा है.
ओजोन परत को सबसे ज्यादा नुकसान अंटार्कटिका के ऊपर हो रहा था वैज्ञानिकों ने पाया है कि इस परत में अब उल्लेखनीय सुधार आ रहा है. नेचर में प्रकाशित ताजा शोध के अनुसार जो केमिकल ओजोन परत के नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, उनके उत्सर्जन में कमी होने के कारण यह सुधार हो रहा है.
खास केमिकल्स पहुंचा रहे थे नुकसान
मोट्रियल प्रोटोकॉल (1987) समझौते के मुताबिक इस तरह के केमिकल्स के उत्पादन पर बैन लगा है. इन हानिकारक कैमिकल्स को ओजोन डिप्लीटिंग पदार्थ (ODS) कहा जाता है. इन पदार्थों की कमी की वजह से दुनिया भर में सकारात्मक वायु संचार बना है जिसका असर एंटार्टिका के ऊपर वाले वायुमंडल के हिस्से में भी हुआ है.

Corona Effect भारत सहित दुनिया के कई देशों में लॉक डाउन है.
क्या हुआ है बदलाव
नेचर रिसर्च में प्रकाशित एक शोध में यह जानकारी सामने आई है. हाल में कम हुए ओडीएस के उत्सर्जन से दक्षिण ध्रुव में अंटार्कटिका के ऊपर जो तेज हवाओं का भंवर बनता है उसका खिसकना भी बंद होकर विपरीत दिशा में जाने लगा है.
कैसे पहुंच रहा है इसे नुकसान
पृथ्वी भूमध्य रेखा के मुकाबले ध्रुवों पर तेजी से अपना चक्कर लगाती है. इस वजह से ध्रुवों के ऊपर एक बहुत बड़ा भंवर बन जाता है जिसे जेट स्ट्रीम कहा जाता है. यह एक प्राकृतिक घटना है. लेकिन ओडीएस पदार्थ इस भंवर में तेजी रासायनिक क्रिया करते हुए एक चेन रिएक्शन बना लेते हैं और ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं. वे इस भंवर को भी दक्षिण की ओर धकेल रहे थे. इससे जलवायु परिवर्तन समेट बहुत सारे नुकसान हमें हो रहे थे. हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग की वजहों में से एक यह भी बड़ी वजह थी.
क्या खास सुधार हो रहा है
इन पदार्थों की कमी से न केवल ओजन परत सुधर रही है, बल्कि अंटार्कटिकाके ऊपर का भंवर भी सही जगह वापस आने लगा है. उम्मीद की जा रही है कि इससे बाकी सकारात्मक सुधारों के साथ वर्षा में होने वाले स्वरूप में सकारातमक बदलाव आएगा.
क्या हो सकता है सबसे बड़ा फायदा
इस शोध से मोलबर्न यूनिवर्सिटी के ऑर्गेनिक केमिस्ट लैन रे (Ian Rae) बहुत उत्साहित हैं. उनका मानना है कि इससे ऑस्ट्रेलिया के पास कोरल रीफ क्षेत्र में जो वर्षा होना कम हो गई थी उसमें सुधार हो सकता है. हालिया बदलाव से वर्षा इस क्षेत्र में पहले की तरह ज्यादा होने लगेगी जो पिछले कुछ दशकों से कम होने लगी थी.

लॉक डाउन से पर्यावरण को नुकसान होना बंद हो गया है.
अभी नतीजे पर पहुंचना शायद जल्दबाजी हो
वैज्ञानिक इस मामले में अभी किसी जल्दबाजी में नहीं दिखना चाहते. उन्हें अंदेशा है कि जब औद्योगिक गतिविधियां फिर से शुरू हो जाएंगी तब फिर से बड़े पैमाने पर कार्बन डाइ ऑक्साइड औरअन्य ओडीएस का उत्सर्जन शुरू होगा और फिर शायद पहले की स्थिति लौट न आए.
क्यों है यह आशंका
कोलोराडो बाउल्डर यूनिवर्सिटी की अंतरा बैनर्जी का कहना है “हम इसे ‘विराम’ (Pause) कहना चाहेंगे क्योंकि पुरानी स्थिति वापस आ सकती है. यह ओजोन सुधार और ग्रीन हाउस गैसों के बीच एक तरह की रस्साकशी है.”
ओजोन परत में सुधार की क्यों है जरूरत
पृथ्वी को वायुमंडल की पहली परत क्षोभमंडल (Troposphere) के ठीक ऊपर ओजोन की परत है जो अंतरिक्ष से आने वाले अल्ट्रावॉयलेट (पराबैगनी) किरणों को धरती की सतह तक आने नहीं देती हैं. यह परत भूमध्य रेखा के ऊपर 15 किलोमीटर तो ध्रुवों के ऊपर करीब 8 किलोमीटर मोटी है. पराबैगनी किरणों से हमारी आंखों और त्वचा को खास तौर पर नुकसान होता है. इन किरणों से लोगों में कैसर जैसी बीमारी तक हो सकती है.
और क्या फायदा हो रहा है कोरोना के कारण लॉक डाउन से
दुनिया भर में उद्योगों के बंद होने से वायुमंडल को नुकासन पहुंचाने वाली गैसों का उत्सर्जन बंद हो गया है. वहीं दूसरी तरह सार्वजनिक और निजी यातायात लगभग बंद होने से पैट्रोल और डीजल के कारण वाहनों से निकलने वाली कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसी गैसें निकलना भी बहुत ही कम हो गई हैं. ऐसे में प्रदूषण का स्तर, खासतौर पर महानगरों में अभी से दिखाने भी लगा.

लॉक डाउन से प्रदूषण में खासी कमी आई है.
यहां भी हो रहा है फायदा
इस बंद से निर्माण कार्यों के ठप्प होने से भी हवा साफ होने लगी है. निर्माण कार्य भी वायुप्रदूषण में उल्लेखनीय योगदान देते हैं. इसके अलावा वाहनों के शोर ने ध्वनि प्रदूषण में प्रभावी कमी कर दी है.
अभी समय नहीं इसके आंकलन का
पर्यावरण को इस बंद की वजह से कितना फायदा हो रहा है इसका आंकलन अभी नहीं हो रहा है. फिलहाल सभी का ध्यान दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के खतरे से बचाव पर है. दुनिया भर के शोधकर्ता इस संकट से निपटने के लिए इस पर जोरों से लगे हुए हैं, लेकिन दुनिया भर हो रही प्राकृतिक गतिविधियों पर वैज्ञानिकों की नजरें जरूर हैं.
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Tags: Climate Change, Corona, Corona Virus, Coronavi, Coronavirus in India, Health, Health Explainer
FIRST PUBLISHED : March 26, 2020, 13:15 IST