करप्शन के केसों में कौन से देश देते हैं सज़ा-ए-मौत?

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भ्रष्टाचार के मामलों (Laws Against Corruption) में मौत की सज़ा (Death Penalty) को लेकर भारत में चर्चा जारी है, तो चीन में डंके की चोट पर भ्रष्ट अफसरों (Corrupt Officials) को सख्त सज़ाएं दी जा रही हैं. कई देशों में ऐसे कानून हैं तो भारत का क्या विचार है?
- News18Hindi
- Last Updated: January 31, 2021, 12:09 PM IST
चीन के मीडिया (Chinese Media) की मानें तो चीन के कंट्रोल वाली असेट मैनेजमेंट फर्म हुआरोंग के प्रमुख रहे शीर्ष असेट बैंकर लाई शायोमिन (Lai Xyaomin) को हाल में मौत के घाट उतार दिया गया. इससे पहले 8 जनवरी को हू हुआईबेंग (Hu Huaibang) को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सज़ा सुनाई गई थी. हू चीन विकास बैंक (CDB) के पूर्व चेयरमैन रहे. यह वही बैंक है जो चीन के बेल्ड एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के लिए फंड का सबसे बड़ा स्रोत रहा. खास बात यह है कि ये दोनों ही सज़ाएं भ्रष्टाचार के मामलों में दी गईं. भ्रष्टाचार के लिए मौत की सज़ा (Death for Corruption) देने पर चर्चा के बीच जानिए कि किन देशों में ऐसे प्रावधान हैं और भारत में क्या रुख है.
इससे पहले आपको जान लेना चाहिए कि चीन में लाई को रिश्वतखोरी के जिस केस में मौत की सज़ा दी गई, वो क्या है. लाई पर पिछले दस सालों के दौरान करीब 26 करोड़ डॉलर की रिश्वत लेने के आरोप थे. कोर्ट ने इसे ‘बेहद दुर्भावनापूर्ण इरादा’ करार देकर 5 जनवरी को मौत की सज़ा सुनाई थी. लेकिन चीन इकलौता देश नहीं है, जो भ्रष्टाचार के मामले में मौत की सज़ा देता है.
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सज़ा-ए-मौत के लिए बदनाम रहा चीनपहले आंकड़ों की ज़ुबानी बात करें तो चीन दुनिया में सबसे बड़ा ‘मृत्युदाता’ सिस्टम है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में मौत की सज़ा संबंधी डेटा को गोपनीय रखा जाता है इसलिए यहां वास्तविक आंकड़ों का सिर्फ अनुमान ही लग पाता है. उदाहरण के तौर पर एमनेस्टी ने 2019 में 20 देशों में 657 मौत की सज़ाओं का आंकड़ा बताते हुए कहा कि इसमें चीन में दिए गए हज़ारों मृत्युदंड शामिल नहीं किए गए.

चीन में कनविक्शन की दर 99 फीसदी है. मौत की सज़ा को लेकर पारदर्शिता के दावे खोखले साबित होते रहे हैं. साथ ही, भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सज़ा देना चीन में नई बात नहीं है. कई शहरों के उप मेयर रहे शू माइयोंग को 2011 में मौत की सज़ा दी गई थी और कहा गया था कि शू पर 5 करोड़ डॉलर की रिश्वतखोरी के इल्ज़ाम सही पाए गए. 2007, 2008 और 2010 में भी रिश्वत के केसों में आरोपियों को मारे जाने के मामले चर्चित रहे थे.
चीन के नक्शे-कदम पर उत्तर कोरिया
नॉर्थ कोरिया में जबसे शासन किम जोंग उन के हाथों में गया है, तबसे मौत की सज़ा को लेकर गोपनीयता बढ़ गई है. ताज्जुब की बात तो यह है कि नॉर्थ कोरिया में दिए गए मृत्युदंड के बारे में जानने के लिए दक्षिण कोरिया के सूत्रों पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
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उत्तर कोरिया में सज़ा-ए-मौत का सबसे विवादास्पद केस 2013 में चांग सोंग थएक की मौत का था. किम के अंकल कई अहम पदों पर रहे थे और कहा गया था कि भ्रष्टाचार के आरापों के चलते उन्हें मार डाला गया. इसी तरह, दक्षिण कोरियाई सूखें ने ही बताया था कि 2015 में जनरल प्योन को भी करप्शन के आरोपों के चलते ही मौत दी गई. 2015 में करीब 50 अधिकारी करप्शन से लेकर दक्षिण कोरिया टीवी सीरियल देखने के आरोपों के चलते मार डाले गए थे.

इराक का कुख्यात केस
एमनेस्टी ने लिखा कि चीन के अलावा सबसे ज़्यादा मौत की सज़ा के मामले जिन देशों में रहे, उनमें इराक, ईरान, इजिप्ट और सऊदी अरब में रहे. इराक में भ्रष्टाचार के मामले में मौत दिए जाने का सबसे बदनाम केस 2010 का था जब अली हसन अल मजीद उर्फ केमिकल अली को मार डज्ञला गया था. केमिकल अली पर कई संगीन आरोपों के साथ ही खुल्लम खुल्ला करप्शन के आरोप प्रमुख थे.
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ईरान भी गुपचुप देता है मौत
ईरान ह्यमन राइट्स के मुातबिक 2013 में जबसे हसन रूहानी प्रेसिडेंट बने, तबसे हज़ारों लोगों को मौत की सज़ा दी जा चुकी है. हालांकि सरकारी अधिकारियों को बड़े गुपचुप ढंग से मौत की सज़ा दी जाती है और इन केसों का खुलासा नहीं किया जाता. करप्शन तो है ही, ईरान में मौत की सज़ा का कारण सरकार के खिलाफ अफवाह फैलना भी हो सकता है.

यहां भी करप्शन की सज़ा मौत!
इंडोनेशिया ने 2013 से मौत की सज़ा को फिर लागू किया. यहां करप्शन के गंभीर मामलों में मौत की सज़ा देने का कानून है. थाईलैंड में रिश्वतखोरी के लिए मौत की सज़ा विदेशी अधिकारियों तक को दी जा सकती है, लेकिन अब तक ऐसा कोई केस नहीं रहा है. वियतनाम में अगर भ्रष्टाचार करीब 13 हज़ार डॉलर से ज़्यादा का हो तो सज़ा-ए-मौत मिल सकती है.
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मोरक्को, फिलीपीन्स, लाओस और म्यांमार भी इस लिस्ट में हैं, जहां भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सज़ा मुमकिन है. अब आपको बताते हैं कि इस मामले में भारत का रुख क्या है.
भारत में क्या कहता है कानून?
करप्शन के मामले में भारत में मौत की सज़ा दिए जाने जैसा कोई केस अब तक नहीं रहा है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों के घोटाले के एक मामले में साफ कहा था कि ‘हम भ्रष्टाचार के मामले में मृत्युदंड नहीं दे सकते.’ लेकिन, इस विषय में चर्चा रही और कहा जाता रहा कि भारत में भ्रष्टाचार की ज़डें बहुत गहरी हैं इसलिए सख्त कदम उठाने होंगे.

नवंबर 2020 में एडवोकेट सूर्यक्रषम ने सरकारी अधिकारियों द्वारा किसानों से रिश्वत मांगने के आरोप लगाकर जो याचिका दायर की थी, उस पर मद्रास हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि केंद्र सरकार को चीन, उत्तर कोरिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड व मोरक्को जैसे देशों की तरह रिश्वतखोरी जैसे भ्रष्टाचार मामलों में मौत की सज़ा जैसे सख्त प्रावधान करने के बारे में सोचना चाहिए.
इससे पहले आपको जान लेना चाहिए कि चीन में लाई को रिश्वतखोरी के जिस केस में मौत की सज़ा दी गई, वो क्या है. लाई पर पिछले दस सालों के दौरान करीब 26 करोड़ डॉलर की रिश्वत लेने के आरोप थे. कोर्ट ने इसे ‘बेहद दुर्भावनापूर्ण इरादा’ करार देकर 5 जनवरी को मौत की सज़ा सुनाई थी. लेकिन चीन इकलौता देश नहीं है, जो भ्रष्टाचार के मामले में मौत की सज़ा देता है.
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चीन में कनविक्शन रेट 99 फीसदी पाया गया.
चीन में कनविक्शन की दर 99 फीसदी है. मौत की सज़ा को लेकर पारदर्शिता के दावे खोखले साबित होते रहे हैं. साथ ही, भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सज़ा देना चीन में नई बात नहीं है. कई शहरों के उप मेयर रहे शू माइयोंग को 2011 में मौत की सज़ा दी गई थी और कहा गया था कि शू पर 5 करोड़ डॉलर की रिश्वतखोरी के इल्ज़ाम सही पाए गए. 2007, 2008 और 2010 में भी रिश्वत के केसों में आरोपियों को मारे जाने के मामले चर्चित रहे थे.
चीन के नक्शे-कदम पर उत्तर कोरिया
नॉर्थ कोरिया में जबसे शासन किम जोंग उन के हाथों में गया है, तबसे मौत की सज़ा को लेकर गोपनीयता बढ़ गई है. ताज्जुब की बात तो यह है कि नॉर्थ कोरिया में दिए गए मृत्युदंड के बारे में जानने के लिए दक्षिण कोरिया के सूत्रों पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
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उत्तर कोरिया में सज़ा-ए-मौत का सबसे विवादास्पद केस 2013 में चांग सोंग थएक की मौत का था. किम के अंकल कई अहम पदों पर रहे थे और कहा गया था कि भ्रष्टाचार के आरापों के चलते उन्हें मार डाला गया. इसी तरह, दक्षिण कोरियाई सूखें ने ही बताया था कि 2015 में जनरल प्योन को भी करप्शन के आरोपों के चलते ही मौत दी गई. 2015 में करीब 50 अधिकारी करप्शन से लेकर दक्षिण कोरिया टीवी सीरियल देखने के आरोपों के चलते मार डाले गए थे.

उत्तर कोरिया तानाशाही के लिए सुर्खियों में रहा है.
इराक का कुख्यात केस
एमनेस्टी ने लिखा कि चीन के अलावा सबसे ज़्यादा मौत की सज़ा के मामले जिन देशों में रहे, उनमें इराक, ईरान, इजिप्ट और सऊदी अरब में रहे. इराक में भ्रष्टाचार के मामले में मौत दिए जाने का सबसे बदनाम केस 2010 का था जब अली हसन अल मजीद उर्फ केमिकल अली को मार डज्ञला गया था. केमिकल अली पर कई संगीन आरोपों के साथ ही खुल्लम खुल्ला करप्शन के आरोप प्रमुख थे.
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ईरान भी गुपचुप देता है मौत
ईरान ह्यमन राइट्स के मुातबिक 2013 में जबसे हसन रूहानी प्रेसिडेंट बने, तबसे हज़ारों लोगों को मौत की सज़ा दी जा चुकी है. हालांकि सरकारी अधिकारियों को बड़े गुपचुप ढंग से मौत की सज़ा दी जाती है और इन केसों का खुलासा नहीं किया जाता. करप्शन तो है ही, ईरान में मौत की सज़ा का कारण सरकार के खिलाफ अफवाह फैलना भी हो सकता है.

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यहां भी करप्शन की सज़ा मौत!
इंडोनेशिया ने 2013 से मौत की सज़ा को फिर लागू किया. यहां करप्शन के गंभीर मामलों में मौत की सज़ा देने का कानून है. थाईलैंड में रिश्वतखोरी के लिए मौत की सज़ा विदेशी अधिकारियों तक को दी जा सकती है, लेकिन अब तक ऐसा कोई केस नहीं रहा है. वियतनाम में अगर भ्रष्टाचार करीब 13 हज़ार डॉलर से ज़्यादा का हो तो सज़ा-ए-मौत मिल सकती है.
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मोरक्को, फिलीपीन्स, लाओस और म्यांमार भी इस लिस्ट में हैं, जहां भ्रष्टाचार के मामलों में मौत की सज़ा मुमकिन है. अब आपको बताते हैं कि इस मामले में भारत का रुख क्या है.
भारत में क्या कहता है कानून?
करप्शन के मामले में भारत में मौत की सज़ा दिए जाने जैसा कोई केस अब तक नहीं रहा है. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों के घोटाले के एक मामले में साफ कहा था कि ‘हम भ्रष्टाचार के मामले में मृत्युदंड नहीं दे सकते.’ लेकिन, इस विषय में चर्चा रही और कहा जाता रहा कि भारत में भ्रष्टाचार की ज़डें बहुत गहरी हैं इसलिए सख्त कदम उठाने होंगे.

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नवंबर 2020 में एडवोकेट सूर्यक्रषम ने सरकारी अधिकारियों द्वारा किसानों से रिश्वत मांगने के आरोप लगाकर जो याचिका दायर की थी, उस पर मद्रास हाईकोर्ट की बेंच ने कहा था कि केंद्र सरकार को चीन, उत्तर कोरिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड व मोरक्को जैसे देशों की तरह रिश्वतखोरी जैसे भ्रष्टाचार मामलों में मौत की सज़ा जैसे सख्त प्रावधान करने के बारे में सोचना चाहिए.