vकोविड-19 (Covid-19) की दूसरी लहर का प्रकोप अभी खत्म नहीं हुआ है. हालांकि अभी कई राज्यों में ऐसा जरूर लग रहा है कि वहां संक्रमण की चरमअवस्था यानि पीक गुजर चुका है, अभी यह सोचना जल्दबाजी होगी. फिलहाल संक्रमण को रोकने के प्रयासों पर जोर देते रहना होगा. इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षणों में कुछ इजाफा हुआ है. तो वहीं उसके कुछ और भी ज्यादा प्रभाव देखने में आए हैं. एक सर्वे के मुताबिक, इस महामारी के फैलने के समय से 5 में से एक बड़े व्यस्क (Older Adult) का मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) और नींद पर महामारी का दुष्प्रभाव पड़ा है.
किसने किया ये सर्वे
इस सर्वे में देखा गया है कि मार्च 2020 से बड़े व्यस्कों के मानसिक स्वास्थ्य और नींद पर कोविड-19 महामारी का सबसे ज्यादा असर हुआ है. वहीं चार में से एक बड़े वयस्क कोरोना काल के पहले के मुकाबले ज्यादा बैचेन और चिंतित दिखाई दिए. हेल्दी एजिंग पर किया गया यह राष्ट्रीय सर्वे यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थकेयर पॉलिस एंड इनोवेशन इन यूएस ने किया है.
कितने लोगों ने भाग लिया इस सर्वे में
इस सर्वे में दो हजार से ज्यादा व्यस्कों का शामिल किया गया था जिनकी उम्र 50 से 80 साल के बीच की थी. इसके प्रतिभागियों पर यह सर्वे जनवरी के अंत में किया गया था जब बुजुर्गों के लिए वैक्सीन की शुरुआत ही हुई थी. इस सर्वे में पाया गया कि ज्यादा उम्र वाले व्यस्क ज्यादा निराश, घबराए हुए, चिंचित और तनाव में थे.

मानसिक स्वास्थ्य का प्रतिरोध क्षमता (Immunity) पर गहरा असर होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
कितने लोगों में थी समस्याएं
सर्वे के मुताबिक 28 प्रतिशत बड़े व्यस्क निराश या नाउम्मीद थे तो इनमें से 34 प्रतिशत घबराए या बेचैन थे. पाया गया कि 44 प्रतिशत प्रतिभागी तनाव में थे. इनमें से करीब 64 प्रतिशत को नींद ना आने की समस्या होने लगी या एक बार नींद आने पर सोते रहने की समस्या का सामना किया था.
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और यह बदलाव भी
इस सर्वे से यह खुलासा भी हुआ कि बहुते से बड़े वयस्कों में लंबे समय तक फिर से स्वास्थ्य हासिल करने की क्षमता भी पाई गई. करीब 80 प्रतिशत प्रतिभागियों ने पाया कि उनका मानसिक स्वास्थ्य उतना ही बेहतर था जितना 20 साल पहले था. वहीं करीब 29 प्रतिशत ने माना कि उन्होंने महामारी शुरू होने पर लाइफ स्टाइल में कसरत, डाइट, ध्यान जैसे बदलाव किए हैं.

देखा गया है कि जिन लोगों को बेचैनी (Anxiety), नींद, और अन्य समस्याएं आती है उन्हें इस बीमारी ने ज्यादा नुकसान पहुंचाया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा पर भी ध्यान देना जरूरी
मिशिगन मेडिसिन की जीरियाटिक साइकिएट्रिस्ट लॉरेन गेरलैच कहती हैं, “महामारी के नए दौर में प्रवेश करते समय जब ज्यादा बुजुर्गों को टीका लग रहा है, हमें मानसिक स्वास्थ्य जांच तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करनी होगी और लंबे समय तक तनाव के समय के प्रभाव को पहचान कर से निपटने के लिए व्यवस्था भी करनी होगी.”
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प्रतिभागियों ने भी दिखाई चिंता
गैरलैच का मानना है कि यह उन लोगों के लिए बहुत अहम है जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिकित्सा को पाने में मुश्किल हालातों का सामान किया हो. इसमें कम आय वाले और खराब शारीरिक स्वास्थ्य वाले भी शामिल हैं. सर्वे में 71 प्रतिशत लोगों ने यह भी कहा कि वे भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेने में नहीं हिचकिचाएंगे. तो 13 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने महामारी शुरु होते समय उनके प्रमुख चिकित्सक से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी नई चिंताओं के बारे में चर्चा की थी.undefined
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Tags: Coronavirus, COVID 19, Health, Research, Science
FIRST PUBLISHED : May 05, 2021, 06:43 IST