पुण्यतिथि विशेष: क्या फिल्मी सफर में बन गई थी NTR के राजनीति में आने की नींव

एनटीआर (NT Rama Rao) ने फिल्मों और राजनीति दोनों ही क्षेत्र में हमेशा शानदार प्रतिबद्धता दिखाई. (फाइल फोटो)
एनटी रामाराव (NT Rama Rao) की लोकप्रियता राजनीति (Politcs) में आने के बाद भी उतनी ही रही जितनी फिल्मों के दौरान थी. उन्होंने राजनीति के किरदार से भी बखूबी न्याय किया.
- News18Hindi
- Last Updated: January 18, 2021, 7:38 AM IST
दक्षिण भारत में फिल्मी सुपरस्टार की लोकप्रियता बहुत ही ज्यादा रहती आई है. यहां के फिल्म स्टार (Film Star) राजनीति में भी बहुत सफल रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय और प्रभावी नेता और सुपरस्टार रहे हैं एनटी रामाराव. 18 जनवरी 1996 को दुनिया को अलविदा कहने वाले एनटी आर का जीवन रोचक और प्रेरक किस्सों से भरपूर हैं, जिन्हे बहुत से लोग भगवान का दर्जा दिया करते थे.
एक्टिंग के लिए छोड़ी बढ़िया नौकरी
नन्दमूरि तारक रामाराव को एनटी रामाराव या एनटीआर के नाम से ज्यादा जाना जाता था. उनका जन्म 28 मई 1923 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गुडिवादा तालुका के निम्माकुरू गांव में हुआ था जो उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. उनके मामा ने उन्हें गोद लिया था. एक्टिंग को करिअर बनाने के लिए उन्होंने तीन हफ्ते की रजिस्ट्रार की शानदार नौकरी छोड़ दी थी.
धार्मिक फिल्मों में छाए एनटीआरएनटीआर का स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग के प्रति झुकाव था. स्कूल में अपने पहले प्ले में आउन्होंने एकमहिला का किरदार निभाया था. 1949 में माना देशम नाम फिल्म से उनका फिल्मी सफर की शुरुआत हुई जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उन्होंने ज्यादातर धार्मिक फिल्में की जिसमें से 17 फिल्मों में उन्होंने कृष्ण का किरदार निभाया था.
धार्मिक किरदारों से कितना लगाव
आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि उन्हें धार्मिक फिल्में करना पसंद था, लेकिन जब हम यह देखते हैं कि उनकी पहली धार्मिक फिल्म उनके फिल्मों में आने के 8 साल बाद आई और एक समय के बाद उन्होंने धार्मिक किरदार करना छोड़ पर एक आधुनिक युवा हीरो के किरदार ही करना शुरू कर दिया था तो ऐसे में यह बात सच नहीं लगती कि उन्हें धार्मिक किरदार पसंद थे.

प्रतिबद्धता की मिसाल
यह जरूर सच है कि उनके धार्मिक किरदार बहुत ही लोकप्रिय रहे. एनटीआर के पूरे जीवन में प्रतिबद्धता हमेशा से ही प्रमुखता झलकती दिखी. वे एकरसता को भी कई बार तोड़ते दिखे थे. लेकिन उन्होंने अपने नाट्यशाला फिल्म के किरदार की खातिर ही 40 साल की उम्र में मशहूर कुचिपुड़ी नृतक वेमपति चिन्ना सत्यम से नृत्य सीखा.
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हीरो का किरदार और..
जब अपने फिल्मी सफर के उत्तरार्ध में हीरो के तौर पर वे फिल्मों में आने लगे. इसी दौरान उन्होंने फिल्मों में पटकथा लिखना भी शुरू किया जिसका उनके पास कोई अनुभव या प्रशिक्षण नहीं था. इसके अलावा वे एक सफल फिल्म निर्माता भी बने. फिल्म निर्माता के तौर पर उनकी वित्तीय कार्यकुशलता के खासे चर्चे हुआ करते हैं. ये सभी अनुभव उन्हें एक कुशल राजनीतिज्ञ बनने में सहयक बने. शायद तभी से उनके राजनीति में आने की जमीन तैयार होने लगी.
राजनीति में भी उतने ही लोकप्रिय
माना जाता है कि फिल्मों से राजनीति में आने के बाद एनटीआर की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई. उनके राजनीति में आने को लेकर भी कई किस्से हैं. उनकी राजनीति में आने की वजह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भ्रष्टाचार से भरे कांग्रेस पार्टी के शासन को उखाड़ने के लिए 1982 में तेलुगुदेशम पार्टी की स्थापना की थी. वे कहा भी करते थे कि वे अपना पूरा परिवार पीछे छोड़ कर राजनीति में लोगों के सेवा के लिए आए हैं.

एक किस्सा ये भी
कहा जाता है कि एक बार एनटीआर एक होटल में गए तो उन्हें रुकने के लिए कमरा नहीं मिल रहा था. उस होटल में एक ही कमरा खाली था जो किसी नेता के लिए पहले से बुक था, लेकिन वे नेता अभी होटल पहुंचे नहीं थे. होटल स्टाफ ने एनटीआर से कहा कि अगर उन्हें यह कमरा दे दिया गया तो स्टाफ को भुगतना होगा. और यही हुआ. एनटीआर ने इस अपमान के बाद ही राजनीति में आने का फैसला किया.
सुप्रीम कोर्ट के वो जज, जिन्होंने सेंट्रल विस्टा फैसला मामले में जाहिर की अलग राय
जो भी हो यह सच है कि एनटीआर ने अपने फिल्मी किरदारों की तरह ही राजनीति के अपने किरदार के साथ भी शानदार न्याय किया और आंध्र प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने इस दौरान उनकी लोकप्रियता में रत्ती भर भी कमी नहीं आई.
एक्टिंग के लिए छोड़ी बढ़िया नौकरी
नन्दमूरि तारक रामाराव को एनटी रामाराव या एनटीआर के नाम से ज्यादा जाना जाता था. उनका जन्म 28 मई 1923 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गुडिवादा तालुका के निम्माकुरू गांव में हुआ था जो उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा था. उनके मामा ने उन्हें गोद लिया था. एक्टिंग को करिअर बनाने के लिए उन्होंने तीन हफ्ते की रजिस्ट्रार की शानदार नौकरी छोड़ दी थी.
धार्मिक फिल्मों में छाए एनटीआरएनटीआर का स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग के प्रति झुकाव था. स्कूल में अपने पहले प्ले में आउन्होंने एकमहिला का किरदार निभाया था. 1949 में माना देशम नाम फिल्म से उनका फिल्मी सफर की शुरुआत हुई जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उन्होंने ज्यादातर धार्मिक फिल्में की जिसमें से 17 फिल्मों में उन्होंने कृष्ण का किरदार निभाया था.
धार्मिक किरदारों से कितना लगाव
आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि उन्हें धार्मिक फिल्में करना पसंद था, लेकिन जब हम यह देखते हैं कि उनकी पहली धार्मिक फिल्म उनके फिल्मों में आने के 8 साल बाद आई और एक समय के बाद उन्होंने धार्मिक किरदार करना छोड़ पर एक आधुनिक युवा हीरो के किरदार ही करना शुरू कर दिया था तो ऐसे में यह बात सच नहीं लगती कि उन्हें धार्मिक किरदार पसंद थे.

एनटीआर (NT Rama Rao) ने धार्मिक फिल्मों में काम करना फिल्मों में आने के 8 साल बाद शुरू किया था. (फाइल फोटो)
प्रतिबद्धता की मिसाल
यह जरूर सच है कि उनके धार्मिक किरदार बहुत ही लोकप्रिय रहे. एनटीआर के पूरे जीवन में प्रतिबद्धता हमेशा से ही प्रमुखता झलकती दिखी. वे एकरसता को भी कई बार तोड़ते दिखे थे. लेकिन उन्होंने अपने नाट्यशाला फिल्म के किरदार की खातिर ही 40 साल की उम्र में मशहूर कुचिपुड़ी नृतक वेमपति चिन्ना सत्यम से नृत्य सीखा.
जानिए कौन हैं भूपिंदर सिंह मान जो कृषि कानूनों पर बनी समिति से खुद हुए हैं अलग
हीरो का किरदार और..
जब अपने फिल्मी सफर के उत्तरार्ध में हीरो के तौर पर वे फिल्मों में आने लगे. इसी दौरान उन्होंने फिल्मों में पटकथा लिखना भी शुरू किया जिसका उनके पास कोई अनुभव या प्रशिक्षण नहीं था. इसके अलावा वे एक सफल फिल्म निर्माता भी बने. फिल्म निर्माता के तौर पर उनकी वित्तीय कार्यकुशलता के खासे चर्चे हुआ करते हैं. ये सभी अनुभव उन्हें एक कुशल राजनीतिज्ञ बनने में सहयक बने. शायद तभी से उनके राजनीति में आने की जमीन तैयार होने लगी.
राजनीति में भी उतने ही लोकप्रिय
माना जाता है कि फिल्मों से राजनीति में आने के बाद एनटीआर की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई. उनके राजनीति में आने को लेकर भी कई किस्से हैं. उनकी राजनीति में आने की वजह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने भ्रष्टाचार से भरे कांग्रेस पार्टी के शासन को उखाड़ने के लिए 1982 में तेलुगुदेशम पार्टी की स्थापना की थी. वे कहा भी करते थे कि वे अपना पूरा परिवार पीछे छोड़ कर राजनीति में लोगों के सेवा के लिए आए हैं.

एनटीआर (NT Rama Rao) की लोकप्रियता राजनीति में आने के बाद बढ़ती गई जो बहुत कम फिल्म्स्टार के साथ होता है. (फाइल फोटो)
एक किस्सा ये भी
कहा जाता है कि एक बार एनटीआर एक होटल में गए तो उन्हें रुकने के लिए कमरा नहीं मिल रहा था. उस होटल में एक ही कमरा खाली था जो किसी नेता के लिए पहले से बुक था, लेकिन वे नेता अभी होटल पहुंचे नहीं थे. होटल स्टाफ ने एनटीआर से कहा कि अगर उन्हें यह कमरा दे दिया गया तो स्टाफ को भुगतना होगा. और यही हुआ. एनटीआर ने इस अपमान के बाद ही राजनीति में आने का फैसला किया.
सुप्रीम कोर्ट के वो जज, जिन्होंने सेंट्रल विस्टा फैसला मामले में जाहिर की अलग राय
जो भी हो यह सच है कि एनटीआर ने अपने फिल्मी किरदारों की तरह ही राजनीति के अपने किरदार के साथ भी शानदार न्याय किया और आंध्र प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने इस दौरान उनकी लोकप्रियता में रत्ती भर भी कमी नहीं आई.