पॉर्न ऑडियंस में बढ़ रही हैं महिलाएं, क्या आप जानते हैं महिलाएं क्यों देखती हैं पॉर्न?

पॉर्न वेबसाइटों पर महिला दर्शकों की संख्या बढ़ रही है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
पॉर्न वेबसाइटों (Porn Websites) पर वीडियो या फिल्में (Porn Films) देखने वाले लोगों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन इसके पीछे की वजह क्या समाज के समीकरण में है, संस्कृति के मुताबिक है या फिर कारण बायोलॉजी है?
- News18India
- Last Updated: November 27, 2020, 11:50 AM IST
क्या आपको लगता है कि वो महिलाएं कम हैं, जो पॉर्न देखती हैं? मशहूर पॉर्न वेबसाइटों के एक हालिया सर्वे (Porn Websites' Survey) की मानें तो पॉर्न कंटेंट के दर्शकों में करीब एक तिहाई महिलाएं हैं और इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है. इस सर्वे के बाद सवाल यह खड़ा है कि महिलाएं पॉर्न क्यों देखती हैं? पुरुषों से जुड़े इस सवाल पर कई तरह के अध्ययन सामने आ चुके हैं लेकिन महिलाओं के पॉर्न देखने (Why Women Watch Porn) के बारे में ज़्यादा रिसर्च नहीं हुई है. फिर भी एक बड़ा कारण यह पता चला है कि मिरर न्यूरॉन्स के कारण महिलाएं इस इंडस्ट्री (Porn Industry) की दर्शक बन रही हैं.
मिरर न्यूरॉन्स अस्ल में वो होते हैं जो हमारे भीतर एक तरह से नकल की प्रवृत्ति पैदा करते हैं. जैसे आप किसी दृश्य में किसी को हंसते या रोते देखकर खुद हंसने या रोने लगते हैं क्योंकि मिरर न्यूरॉन्स की वजह से आपको लगता है कि वो एक्शन आप ही कर रहे हैं. इन्हीं मिरर न्यूरॉन्स के चलते पॉर्न कंटेंट की तरफ रुझान बढ़ता है. पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही ये न्यूरॉन्स होते हैं. अब जानिए कि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ महिलाओं के पॉर्न देखने को कैसे समझते हैं.
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बेहतर होती है सेक्स लाइफ?मनुष्यों के साथ ही, शुरूआती प्रजातियों और पक्षियों में भी मिरर न्यूरॉन्स पाए गए. लेकिन इनकी वजह से अगर महिलाएं पॉर्न की दर्शक बनती हैं तो उन्हें इससे क्या लाभ होता है. मनोविज्ञान के विशेषज्ञों की एक हालिया स्टडी में पाया गया कि ज़्यादा पॉर्न देखने से सेक्स संबंधी आनंद लेने की क्षमता बढ़ती है और प्रक्रिया आसान हो जाती है. एक फैक्ट यह भी है कम उम्र और शिक्षित महिलाएं पॉर्न ज़्यादा देख रही हैं.

जी हां, एक पॉर्न वेबसाइट ने आंकड़े दिए कि 1 लाख लोगों के बीच किए गए सर्वे में पाया गया कि 33.8% महिला दर्शकों की उम्र 18 से 24 साल के बीच थी और 60% महिला दर्शकों ने माना उनकी पॉर्न देखने से उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हुई. इससे पहले 2019 के एक सर्वे में बताया गया था कि 32% दर्शक महिलाएं थीं, जिनकी संख्या पिछले साल की तुलना में 3% ज़्यादा थी.
फीमेल सेक्सुअलिटी अब भी है अभिशप्त
सर्वे के आधार पर विशेषज्ञ इस संभावना से इनकार नहीं कर सके कि कहीं महिलाओं के कंप्यूटरों या मोबाइल फोन का इस्तेमाल पुरुष ज़्यादा कर रहे हों इसलिए आंकड़े बढ़ते दिख रहे हैं. बहरहाल, जर्मनी के कल्चरल स्कॉलर मैदिता ईमिंग के हवाले से एक रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं की यौन इच्छाएं या उनकी सेक्सुअलिटी को लेकर अब भी एक हिचक समाज में बरकरार है.
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ईमिंग कहती हैं कि रोमांस या बच्चे पैदा करने के मकसद से ही नहीं, महिलाएं सिर्फ आनंद के लिए भी सेक्स करना चाहती हैं और जब यह बात कही जाती है तो पुरुष प्रधान समाज में इसे पचा पाना अब भी आसान नहीं है. लेकिन पिछले दशक के मुकाबले हालात बदले हैं और अब पॉर्न कंटेंट पत्रिकाओं की जगह फोन में आसानी से उपलब्ध है और महिलाएं धीरे धीरे इनकी दर्शक के तौर पर संख्या में बढ़ रही हैं, यह फैक्ट है, लेकिन ईमिंग के मुताबिक यह इज़ाफा पश्चिमी संंस्कृतियों में ज़्यादा है.

क्या कहती है बायोलॉजी?
विकासवादी बायोलॉजिस्ट थॉमस जंकर की मानें तो पॉर्न फिल्में देखने के लिए महिलाओं के कारण पुरुषों से अलग होते हैं. एक तरफ पुरुष जहां महिला के सौंदर्य, शारीरिक बनावट बच्चे पैदा करने के लिए स्वास्थ्य को तवज्जो ज़्यादा देते हैं तो दूसरी तरफ महिलाओं के लिए बोलचाल और स्पर्श ज़्यादा उत्तेजक पहलू होते हैं. महिलाओं को पार्टनर चुनने के लिए ज़िम्मेदार, मददगार और संवेदनशील व्यक्ति की तलाश ज़्यादा होती है.
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इस तरह की दलीलों के बाद जंकर कहते हैं कि शायद यह कभी नहीं समझा जा सकेगा कि पॉर्न देखने की इच्छा कुदरती होती है या फिर यह क्रमिक विकास का कोई नतीजा है. जंकर के मुताबिक महिलाओं में मिरर न्यूरॉन्स पिछले कुछ समय से ज़्यादा एक्टिव हो गए हैं.
मिरर न्यूरॉन्स अस्ल में वो होते हैं जो हमारे भीतर एक तरह से नकल की प्रवृत्ति पैदा करते हैं. जैसे आप किसी दृश्य में किसी को हंसते या रोते देखकर खुद हंसने या रोने लगते हैं क्योंकि मिरर न्यूरॉन्स की वजह से आपको लगता है कि वो एक्शन आप ही कर रहे हैं. इन्हीं मिरर न्यूरॉन्स के चलते पॉर्न कंटेंट की तरफ रुझान बढ़ता है. पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही ये न्यूरॉन्स होते हैं. अब जानिए कि वैज्ञानिक और विशेषज्ञ महिलाओं के पॉर्न देखने को कैसे समझते हैं.
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बेहतर होती है सेक्स लाइफ?मनुष्यों के साथ ही, शुरूआती प्रजातियों और पक्षियों में भी मिरर न्यूरॉन्स पाए गए. लेकिन इनकी वजह से अगर महिलाएं पॉर्न की दर्शक बनती हैं तो उन्हें इससे क्या लाभ होता है. मनोविज्ञान के विशेषज्ञों की एक हालिया स्टडी में पाया गया कि ज़्यादा पॉर्न देखने से सेक्स संबंधी आनंद लेने की क्षमता बढ़ती है और प्रक्रिया आसान हो जाती है. एक फैक्ट यह भी है कम उम्र और शिक्षित महिलाएं पॉर्न ज़्यादा देख रही हैं.

साल 2018 के ट्रेंड्स बताने वाला पॉर्नहब का यह सर्वे काफी चर्चित रहा था.
जी हां, एक पॉर्न वेबसाइट ने आंकड़े दिए कि 1 लाख लोगों के बीच किए गए सर्वे में पाया गया कि 33.8% महिला दर्शकों की उम्र 18 से 24 साल के बीच थी और 60% महिला दर्शकों ने माना उनकी पॉर्न देखने से उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हुई. इससे पहले 2019 के एक सर्वे में बताया गया था कि 32% दर्शक महिलाएं थीं, जिनकी संख्या पिछले साल की तुलना में 3% ज़्यादा थी.
फीमेल सेक्सुअलिटी अब भी है अभिशप्त
सर्वे के आधार पर विशेषज्ञ इस संभावना से इनकार नहीं कर सके कि कहीं महिलाओं के कंप्यूटरों या मोबाइल फोन का इस्तेमाल पुरुष ज़्यादा कर रहे हों इसलिए आंकड़े बढ़ते दिख रहे हैं. बहरहाल, जर्मनी के कल्चरल स्कॉलर मैदिता ईमिंग के हवाले से एक रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं की यौन इच्छाएं या उनकी सेक्सुअलिटी को लेकर अब भी एक हिचक समाज में बरकरार है.
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ईमिंग कहती हैं कि रोमांस या बच्चे पैदा करने के मकसद से ही नहीं, महिलाएं सिर्फ आनंद के लिए भी सेक्स करना चाहती हैं और जब यह बात कही जाती है तो पुरुष प्रधान समाज में इसे पचा पाना अब भी आसान नहीं है. लेकिन पिछले दशक के मुकाबले हालात बदले हैं और अब पॉर्न कंटेंट पत्रिकाओं की जगह फोन में आसानी से उपलब्ध है और महिलाएं धीरे धीरे इनकी दर्शक के तौर पर संख्या में बढ़ रही हैं, यह फैक्ट है, लेकिन ईमिंग के मुताबिक यह इज़ाफा पश्चिमी संंस्कृतियों में ज़्यादा है.

पॉर्न ऑडियंस में महिलाओं का इज़ाफा वास्तव में वेस्टर्न कल्चर में ज़्यादा है.
क्या कहती है बायोलॉजी?
विकासवादी बायोलॉजिस्ट थॉमस जंकर की मानें तो पॉर्न फिल्में देखने के लिए महिलाओं के कारण पुरुषों से अलग होते हैं. एक तरफ पुरुष जहां महिला के सौंदर्य, शारीरिक बनावट बच्चे पैदा करने के लिए स्वास्थ्य को तवज्जो ज़्यादा देते हैं तो दूसरी तरफ महिलाओं के लिए बोलचाल और स्पर्श ज़्यादा उत्तेजक पहलू होते हैं. महिलाओं को पार्टनर चुनने के लिए ज़िम्मेदार, मददगार और संवेदनशील व्यक्ति की तलाश ज़्यादा होती है.
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इस तरह की दलीलों के बाद जंकर कहते हैं कि शायद यह कभी नहीं समझा जा सकेगा कि पॉर्न देखने की इच्छा कुदरती होती है या फिर यह क्रमिक विकास का कोई नतीजा है. जंकर के मुताबिक महिलाओं में मिरर न्यूरॉन्स पिछले कुछ समय से ज़्यादा एक्टिव हो गए हैं.