6.6 करोड़ साल पहले क्षुद्रग्रह के पृथ्वी (Asteroid Impact) के टकराने से आधी दुनिया में सुनामी आई थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
6.6 करोड़ साल पहले के क्षुद्रग्रह के टकराव (Asteroid Impact) और उससे डायनासोर खत्म करने वाले महाविनाश की घटना हुई थी. अगर आपको लगता है कि इस पर हुए बहुत सारे शोधों के बाद अब और नई जानकारी नहीं मिलेगी तो ऐसा नहीं है. नए अध्ययन ने खुलासा किया है कि मैक्सिको की खाड़ी (Gulf of Maxico) में जो विशालकाय पिंड टकराया था उससे ऊंची सुनामी लहरें (Tsunami Waves) पैदा हुई थीं जो दुनिया के बहुत सारे हिस्से में फैल गई थीं. नए अध्ययन में पाया गया है कि उस समय आधी दुनिया में एक मील ऊंची लहरें फैल गई थीं. इस अध्ययन में शोधकर्ताओ ने टकराव के बाद के कुछ अलग अलग समय पर होने वाले सुनामी के प्रभावों का आंकलन किया है.
डिजिटल प्रतिमान के जरिए विश्लेषण
शोधकर्ताओं नेदुनिया भर की सौ से अधिक जगहों के अध्यय कर और उनके आधार पर बनाए मैग्सिकों के यूकाटेन प्रायद्वीप से टकराए क्षुद्रग्रह से पैदा हुईं विशालकाय लहरों के डिजिटल प्रतिमान बनाकर किए विश्लेषण में इन सुनामी के प्रमाण हासिल किए. यह अध्ययन मिशिगन यूनिवर्सिटी में अर्थ एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेस विभाग में मास्टर्स की थीसिस करने वाली मॉली रेंज ने किया है.
आधे ग्रह के महासागरों को किया प्रभावित
रेंज इस अध्ययन की प्रमुख लेखक हैं. उन्होंने बताया कि यह सुनामी इतनी शक्तिशाली थी कि उसने पूरे ग्रह के आधे महासागरीय बेसिनों की अवसादों में व्यवधान डाल कर उनका अपरदन कर दिया था. माइल हाई सुनामी नाम का यह शोध पहले साल 2019 में अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की वार्षिक मीटिंग में प्रस्तुत किया गया था जो इसी सप्ताह एजीयू एडवांस जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
कैसा था टकराव
रेंज ने टकराव के फौरन बाद की स्थिति का अध्ययन किया पुरानी पड़तालों के आधार पर उनकी टीम ने 14 किलोमीटर चौड़े क्षुद्रग्रह का प्रतिमान बनाया जो 43,500 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी से टकराया था. जिसके बाद डायनासोर सहित पृथ्वी की दो तिहाई जीव नष्ट हो गए थे. शोधकर्ता इसके बाद के प्रभाव, जैसे कई इलाकों में आग, घातक अम्लवर्षा, लंबे समय कर वैश्विक ठंडक जैसी घटनाओं से भी अवगत थे. लेकिन सुनामी के नतीजों के लिए उन्होंने पृथ्वी केक्रिटेशियस काल के अंत वाले समुद्री अवसादों का भूगर्भीय अध्ययन किया.
किस तरह से फैली लहरें
इस सिम्यूलेशन ने बताया कि टकराव होते ही एक सौ किलोमीटर चौड़ा क्रेटर बना जिससे एक वायुमडंल में धूल और कालिक के घने बादल छा गए. टकराव के ठीक 2.5 मिनट बाद 4.5 किलोमीटर ऊंची सुनामी लहर उठी लेकिन टकराव से उठे मलबे गिरते हुए फौरन दबा दिया. फिर इसके 10 मिनट बाद 220 किलोमीटर दूर तर 1.5 किलोमीटर ऊंची सुनामी उत्तरी अटलांटिक तक फैल गई और चार घंटे बाद सुनामी उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के साथ प्रशांत महासागर में फैली. टकराव के एक दिन बाद लहरें प्रशांत और अटलांटिक के अधिकांश हिस्सों से होती हुईं हिंद महासागर के दोनों ओर प्रवेश कर गईं. वहीं 48 घंटे बाद तक वे ग्रह के अधिकांश किनारों को छू चुकी थीं.
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किस तरह का कितना असर
इस सुनामी का असर पूर्व और उत्तर पूर्व की ओर ज्यादा दिखाई दिया था पहले उत्तरी अटलांटिंक और फिर मध्य अमेरिका का समुद्री इलाका और फिर दक्षिणी प्रशांत में पहले इसका प्रभाव पहुंचा था जहां लहरों की गति 0.6 किमी प्रति घंटा की रफ्तार थी. जो महासागरों के निचले तल के अवसादों को अपरदन के लिए पर्याप्त थी.इसके बाद दक्षिण अटलांटिक, उत्तरी प्रशांत और हिंद महासागर प्रभावित हुए जहां पानी की गति 0.4 किमी प्रति घंटा हो गई थी.
12 हजार किमी दूर तक प्रभाव
शोधकर्ताओं ने चट्टानों मे निक्षेप भी पाए हैं जो टकराव की घटना की वजह से जमे थे. ऐसे निक्षेप कास तौर पर न्यूजीलैंड के उत्तरी और दक्षिणी द्वीपों में दिखाई दिए जो टकराव की जगह से 12 हजार किलोमीटर दूर थे. पहले वैज्ञानिकों को लगता था कि ये स्थानी टेक्टोनिक गतिविधियों के कारण हैं, लेकिन ऐसा नहीं पाया गया. शोधकर्ताओं का मानना है कि यह उस सुनामी के वैश्विक प्रभावों में से एक है.
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इस अध्ययन में महासागरों के तटीय इलाकों पर हुए प्रभावों का अध्ययन शामिल नहीं किया. तटीय क्षेत्र उथले होने के कारण वहां लहरे जरूर ज्यादा ऊंची हो गई होंगी लेकिन काफी कुछ इलाकों की आकृति पर निर्भर करता है. लेकिन अधिकांश तटीय इलाकों में भी भारी अपरदन देखने को मिला है. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह इतिहास की सबसे बड़ी सुनामी घटना रही होगी.
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Tags: Dinosaurs, Earth, Research, Science, Tsunami
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