केंद्र सरकार ने गंगा (Ganga) के घाटों पर मूर्तियों के विसर्जन (Idol Immersion) को लेकर कड़े निर्देश दिए हैं. गंगा में मूर्ति विसर्जन को लेकर निर्देश इतने कड़े हैं कि उसका उल्लंघन करने पर 50 हजार तक के जुर्माने (fine) का प्रावधान है. गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्तियों के विसर्जन को रोकने के लिए घाटों की तारबंदी से लेकर 50 हजार के जुर्माने को सख्ती से लागू किया जाएगा. गंगा में मूर्ति विसर्जन पर रोक दुर्गा पूजा, दिवाली, छठ से लेकर सरस्वती पूजा में भी जारी रहेगी.
ये निर्देश नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (NMCG) ने दिए हैं. NMCG ने उन 11 राज्यों को 15 पॉइंट का निर्देश जारी किया है, जिससे होकर गंगा बहती है. सभी राज्यों के सचिवों को इसे सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है. निर्देश में लिखा है कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर एक भी मूर्ति का विसर्जन नहीं होगा. पिछले महीने ही राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ NMCG की बैठक में ये फैसला लिया गया है.
मूर्ति विसर्जन को लेकर कितने सख्त हैं नियम
पर्यावरण सुरक्षा कानून 1986 के एक्ट 5 के अंतर्गत विसर्जन को लेकर निर्देश दिया गया है कि गंगा के घाटों और उसकी सहायक नदियों की घाटों पर मूर्ति विसर्जन करने पर 50 हजार का जुर्माना देना होगा. केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वो घाटों की घेरेबंदी करवाए ताकि किसी भी मूर्ति का विसर्जन नहीं हो.
विसर्जन स्थल बनवाएं जाएं और लोगों को उसके बारे में जानकारी दी जाए. मूर्ति विर्सजन के लिए कृत्रिम तौर पर छोटे तालाब या पोखर बनवाए जाएं. इन तालाबों या पोखरों की सतह पर सिंथेटिक लाइनर्स लगवाएं जाएं ताकि मूर्ति के खतरनाक तत्व धरती में न समा पाएं.

मूर्ति विसर्जन की वजह से नदियों का प्रदूषण बढ़ रहा है
राज्यों, विभिन्न प्रशासनों और संबंधित बोर्ड या कॉरपोरेशन को ये निर्देश दिया गया है कि वो इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति बनाने में किसी भी तरह का सिंथेटिक मैटेरियल, नॉन बायोडिग्रीडेबल मैटेरियल, प्लास्टर ऑफ पेरिस, रेसिन फाइबर्स और थर्मोकोल का इस्तेमाल न हो रहा हो. केमिकल डाइस, हानिकारक केमिकल वाले पेंट या सिंथेटिक पेंट का इस्तेमाल भी बैन है.
हर राज्य के सचिव को ये निर्देश दिया गया है कि किसी भी त्योहार के बीतने के 7 दिन के भीतर वो एक्शन टेकेन रिपोर्ट भेजें. इस बारे में जिलों के डीएम को नियमों के पालन करवाने के निर्देश दिए गए हैं. अगर किसी भी तरह का उल्लंघन होता हुआ दिखाई देता है तो जुर्माने के तौर पर 50 हजार रुपए वसूले जाएं और उसे राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करवाया जाए.
मूर्तियों से कैसे फैलता है प्रदूषण
नदियों में मूर्तियों के विसर्जन से जल प्रदूषण फैल रहा है. मूर्तियों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टर ऑफ पेरिस, खतरनाक केमिकल्स, पेंट्स और थर्मोकोल जैसे चीजों की वजह से जल प्रदूषण फैल रहा है. गंगा में हर तरह की पूजा के बाद बड़ी संख्या में मूर्तियों का विसर्जन होता है. गंगा के पानी में प्रदूषण की एक वजह ये भी है. 2014 में मोदी सरकार ने गंगा को साफ करने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट चलाया था. इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपए का बजट रखा गया था. 2017 में एनजीटी ने गंगा में किसी भी तरह का अवशेष बहाने पर पाबंदी लगा दी.

मूर्ति विसर्जन को लेकर पहले भी सख्त नियम बनाए गए हैं
हर पूजा के बाद बढ़ जाता है नदियों का प्रदूषण
मूर्ति विसर्जन की वजह से हर नदी का प्रदूषण बढ़ रहा है. गंगा की तरह यमुना के प्रदूषण की एक वजह मूर्तियों का विसर्जन है. पिछले दिनों हुए एक शोध में पता चला कि हर धार्मिक आयोजन के बाद मूर्ति विसर्जन होने की वजह से यमुना का प्रदूषण बढ़ जाता है.
मूर्तियां बनाने में हेवी मेटल्स और खतरनाक केमिकल्स का धड़ल्ले से उपयोग होता है. इसकी वजह से नदियां प्रदूषित होती हैं. यमुना नदी में क्रोमियम, लोहा, निकेल और लेड की मात्रा काफी अधिक दर्ज की गई है. इसके पीछे मूर्तियों का विसर्जन अहम वजह रही.
ये भी पढ़ें: जानिए कितने कारनामे कर रखे हैं विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे छोटा राजन के भाई ने!
दिल्ली की हवा फिर से क्यों प्रदूषित होने वाली है?
शी जिनपिंग से मुलाकात के लिए पीएम मोदी ने महाबलीपुरम को क्यों चुना?
'वर्मा' से 'शास्त्री' कैसे बने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर?
नॉलेज
जब कार खरीदने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने PNB बैंक से लिया था लोन
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Maa durga, Navratri 2019, Navratri Celebration, Pollution, River pollution
FIRST PUBLISHED : October 05, 2019, 08:51 IST