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जानिए कैसे शार्क के नुकीले दांतों ने बताया करोड़ साल पहले का इतिहास

वैज्ञानिकों के सैंड टाइगर शार्क के दांत (Teeth of Sharks) अंटार्कटिका में मिले हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

वैज्ञानिकों के सैंड टाइगर शार्क के दांत (Teeth of Sharks) अंटार्कटिका में मिले हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

Earth climate: अंटार्कटिका (Antarctica) में पाए गए शार्क के दांतों (Teeth of Shark) की जीवाश्म से वैज्ञानिकों प्रादिनूत ...अधिक पढ़ें

    पृथ्वी के इतिहास के बारे में जीवाश्म से मिलने वाली जानकारी प्रमुख है. जीवाश्मों से हमारे वैज्ञानिक कई बार जटिल से जटिल जानकारी भी हासिल कर लेते हैं. इसी तरह की जानकारी हमारे जीवाश्म विज्ञानिकों को  शार्क के दांतों (Teeth of Shark) से मिली है जो उन्हें अंटार्कटिका (Antarcitca) से मिले हैं. इन दांतों से वैज्ञानिकों को पता चला है कि एक करोड़ साल पहले टाइगर शार्क अंटार्कटिका प्रायद्वीप के पास समुद्री इलाके में शिकार किया करती थीं जो एक समद्ध समुद्री जीवन (Marine Ecoystem) में तैरा करती थीं.

    इस रहस्य को सुलझाने का प्रयास
    जीवविज्ञानियों को यह सारी जानकारी केवल शार्क के नुकीले दांतों से मिली है. इन जीवाश्मों से हमारे वैज्ञानिकों को 5 करोड़ साल पहले की पृथ्वी के कई रहस्यों को सुलझाने में मदद मिलने की उम्मीद है. इसमें सबसे प्रमुख यह है कि उस समय आज से भी गर्म जलवायु हालात कैसे और क्यों ठंडे हालात की ओर बढ़ने लगे थे.

    उस समय हुए थे बहुत सारे बदलाव
    अंटार्कटिका में हुए जलवायु के इस बदलाव को लेकर कई सिद्धांत दिए गए हैं. इस बात के भूगर्भीय प्रमाण मौजूद हैं कि दक्षिण अमेरिका और आंटार्कटिका प्रायद्वीप एवं तासमैन के बीच, ऑस्ट्रेलिया और पूर्वी अंटार्कटिका के बीच होकर जाने वाले, दोनों ही डार्क पैसेज इसी काल में चौड़े और गहरे हो गए थे. इसकी वजह उस समय के टैक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियां थीं.

    अंटार्कटिका की महासागरीय जलधारा
    इस चौड़े और गहरे रास्ते की वजह से महासागरों का पानी मिला और एंटार्कटिका सर्कमपोलर  धारा का निर्माण हुआ. यह धारा आज भी अंटार्कटिका के पास बहती है और दक्षिणी महासागरों का ठंडा पानी हासिल करती है जिससे अंटार्कटिका ठंडा और जमा हुआ रहता है.

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    वैज्ञानिकों के शार्क के दांत (Teeth of Sharks) अंटार्कटिका में मिले हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

    कहां मिला है दांत
    आज सैंड टाइगर शार्क की प्रजातियां स्ट्रियाटोलामिया माक्रोटा भले ही विलुप्त हो चुकी हो, लकिन कभी यह अंटार्किटिक प्रायद्वीप में लगातार बनी रहा करती थीं. इस प्रायद्वीप के सिरे पर स्थित सेमौर द्वीप में इसके दांतों का जीवाश्म मिला है.

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    मिली यह अहम जानकारी
    शार्क के इन दातों के रासायनिक अध्ययन से शोधकर्ताओं ने पाया कि यह उस समय का दांत है जब ड्राके पैसेज खुल गए थे. जिससे प्रशांत और अंटलांटिक महासागरों का पानी मिल गया था. दांतो के अध्ययन से पता चला है कि उस दौर में अंटार्कटिक महासागर का तापमान सबसे ज्यादा हुआ करता था. इतना ही हीं इससे क्लाइमेट सिम्यूलेशन द्वारा उच्च कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा की भी पुष्टि होती है.

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    शार्क (Shark) अपने जीवन में हाजारों की संख्या में अपने दांत बदलती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

    बदलते रहते हैं दांत
    सैंड टाइगर शार्क की दांत बहुत तीखे होते हैं ये अपने जबड़े से थोड़े आगे की ओर निकले होते हैं. एक शार्क में ये सैकड़ों की तादात में होते हैं  और समय के साथ येह हजारों दांत गिरते रहते हैं और उनकी जगह नए दांत लेते हैं. ऐसा अन्य शार्क प्रजातियों में भी देखा गया है. इन दांतों में पर्यावरण संबंधी अन्य जानकारी भी मिली है. जैसे इनके दातों का ऐनेमल इंसानी एनेमल से मिलता जुलता है.

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    वैज्ञानिकों को इन दांतों में पाए गए ऑक्सीजन परमाणुओं के अध्ययन से पता चला कि उनके आसपास के पानी की तापमान और उसकी लवणता किस तरह की थी. उन्होंने पायाकि ये शार्क जितना समझा जा रहा था उससे कहीं ज्यादा गर्म पानी में रह रहीं थी. शोधकर्ताओं ने पाया कि उस समय की सैंड टाइगर शार्क आज की 10 फुट लंबी सैंड टाइगर शार्क (कारकेरियास टॉरस) की तुलना में बड़ी थी.

    Tags: Antarctica, Climate, Earth, Research, Science

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