विज्ञान की इतनी तरक्की होने के बाद भी पृथ्वी की गहराइयां (Depth of the Earth) इंसानों के लिए रहस्य ही हैं. फिर भी पृथ्वी के अशांत आंतरिक हिस्सों के बारे में हमारे वैज्ञानिकों ने काफी कुछ पता लगाया है. पृथ्वी की सतह के नीचे की सक्रियता कई तरह के संकेत पैदा करती रहती है. अब वैज्ञानिकों को पृथ्वी के सैटेलाइट आंकड़ों (Satellite Data of Earth) से नई जानकारी मिली है. उन्होंने पृथ्वी के आंतरिक हिस्सों में एक नई तरह की चुंबकीय तरंग (Magnetic Wave) का पता लगाया है जो हर सात साल में क्रोड़ से सतह तक आती है.
मिल सकते हैं नए सुराग
पृथ्वी के अंदर प्लेट टेक्टोनिक्स से लेकर गर्म मैमा द्रव के बहाव से पैदा होने वाला संवहनीय प्रवाह जैसी गतिविधियां चलती रहती हैं. लेकिन इससे पहले इस तरह की तरंग वैज्ञानिक कभी अवलोकित नहीं कर सके थे. यह खोज पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड कैसे पैदा होती है इस पर नई रोशनी डाल सकती है और पृथ्वी के ऊष्मीय इतिहास और विकास के नए सुराग दे सकती है.
पहले भी अंदाजा था इस तरह की तरंगों का
इस खोज से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ग्रहों के आंतरिक हिस्सों के धीमी गति से ठंडे होने की प्रणाली के बारे में खास तौर पर जानकारी मिल सकेगी. फ्रांस के यूनिवर्सिटे ग्रेनोबल आल्प्स के भूभौतिकविद निकोलस जिलेट ने बताया कि जियोफिजिसिस्ट लंबे समय से इस तरह की तरंगों के अस्तित्व के सिद्धांत देते रहे हैं. लेकिन उन्हें लगता था कि यह ज्यादा बड़े कालक्रम में चलती हैं. लेकिन इस अध्ययन ने कुछ और ही दर्शाया है.
बड़े स्तर की पड़ताल का प्रयास
जिलेट ने बताया कि पृथ्वी की सतह पर मौजूद उपकरणों से से मैग्नेटिक फील्ड के मापन सुझाते हैं कि किसी तरह की तरंगीय गतिविधि तो हुई थी, लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी जानकारी के लिए उन्हें अंतरिक्ष से मापन चाहिए थे जिससे पता चल सके कि वास्तव में पृथ्वी के अंदर हो क्या रहा है.
सैटेलाइट के आंकड़े और कम्प्यूटर प्रतिमान
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने स्वार्म, जर्मन चैंप अभियान, डेनमार्क का ओर्सटेड अभियान के सैटेलाइट मापनों को जियोडायनामो के कम्प्यूटर प्रतिमान के मिलाया जिससे धरती के आंकड़ों से मिले संकेतों की व्याख्या की जा सके. इसी आधार पर वे यह खोज कर सके. अब तक की खोज सुझाती है कि यह अदृश्य संरचना हमारे ग्रह के चारों ओर एक सुरक्षित बुलबुला बना रहा है.
गहरे महासागरों को गर्म कर रहा है जलवायु परिवर्तन
पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड
इसी आवरण की वजह से अंतरिक्ष से आने वाले हानिकारक विकिरण वायुमंडल तक नहीं पहुंच पाते हैं और पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित रह पाया है. लेकिन मैग्नेटिक फील्ड स्थिर नहीं है. इसकी शक्ति, आकार और आकृति में निरंतर बदलाव होते रहते हैं. इसकी कई विशेषताएं हम समझ नहीं पाए हैं और यह समय के साथ कमजोर हो रही है.
यह अध्ययन अहम क्यों
पृथ्वी के आंतरिक भागों का अध्ययन इसलिए अहम है क्योंकि मैग्नेटिक फील्ड की उत्पत्ति यहीं से होती है. पृथ्वी की बाहरी क्रोड़ में निरंतर बह रहे आवेशित, संवहनित, घूमते हुए द्रव प्रवाह के कारण इसका निर्माण होता है, जो हमारे ग्रह के चारों और एक चुंबकीय आवरण बनाती है. जिलेट और उनकी टीम ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के तीन स्वार्म सैटेलाइट के आंकड़ों का उपयोग किया जो 2013 में पृथ्वी और उसके आंतरिक हिस्सों के अध्ययन के लिए ही प्रक्षेपित किए थे.
ग्रीष्म लहर के कहर के लिए जलवायु परिवर्तन कैसे है जिम्मेदार
शोधकर्ताओं ने पृथ्वी और अंतरिक्ष में स्थित की दूसरे वेधशालाओं के 1999 से लेकर 2021 तक के आंकड़ों का अध्ययन किया और एक विशेष पैटर्न पाया कि मैग्नेटो कोरियोलिस नाम की ये चुंबकीय तरंगें पृथ्वी के धुरी के साथ एक विशाल चुंबकीय स्तंभ बनाती हैं जो भूमध्य रेखा पर सबसे शक्तिशाली होती हैं. इनका आयाम तीन किलोमीटर प्रतिवर्ष होता है इनकी गति 1500 किलोमीटर प्रतिवर्ष होती है. शोधकर्ताओं को लगता है कि इस तरह की और भी तरंगों का अस्तित्व हो सकता है, लेकिन उनकी पुष्टि के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Earth, Research, Science