जानिए पृथ्वी के अंदर छिपी है कैसी गुप्त संरचना, जिसे वैज्ञानिकों ने खोज निकाला

पृथ्वी (Earth) की पांचवी परत के होने के वैज्ञानिकों को बहुत से प्रमाण मिले हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
पृथ्वी (Earth) के अंदर चलने वाली भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) के आंकड़ों का अध्ययन करने पर शोधकर्ताओं ने पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ (Inner Core) के अंतर एक अलग तरह की परत का पता लगाया है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 5, 2021, 1:12 PM IST
पृथ्वी ( Earth) की सतह के नीचे हम इंसान ज्यादा नीचे तक नहीं जा सके हैं. इसके बाद भी हमारे वैज्ञानिकों ने अप्रत्यक्ष तरीकों से यह पता लगाया था कि इसके चार परतें (Layers) हैं. अब ताजा अध्ययन से पता चला है कि पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ (Inner Core) के अंदर भी एक और परत है जो उसके ऊपर की परत से अलग है. इस नई अंतरतम आंतरिक क्रोड़ (Innermost Inner Core) की जानकारी मिलने से पृथ्वी के इतिहास के एक नए अध्याय के जुड़ने की पूरी संभावना बन गई है.
पहले भी दिया गया था पांचवी परत का विचार
अभी तक पृथ्वी चार प्रमुख परतें मानी जाती थीं- भूपर्पटी (Crust), मैंटल (Mantl), बाह्य क्रोड़ (Outer Core) और आंतरिक क्रोड़ (Inner Core). करीब एक दशक पहले एक और अलग परत का विचार सामने आया था, लेकिन वह स्पष्ट नहीं था. जर्नल ऑफ जियोफिजिक्स रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन में आंतरिक क्रोड़ के नीचे इस अंतरतम आंतरिक क्रोड़ के होने की पुष्टि की है.
पाठ्यपुस्तकों में हो सकता है संशोधनऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में शामिल जियोफिजिसिस्ट जुआन स्टीफनसन इसे खोज से बहुत उत्साहित हैं. उनका कहना है कि अब शायद हमें अपनी पाठ्यपुस्तकों में संशोधन करने की जरूरत पड़ सकती है. अभी तक पृथ्वी की संरचना के बारे में हमारी जानकारी ज्यादातर ज्वालामुखी और भूकंपीय तरंगों पर ज्यादा निर्भर करती थी.
क्या पता था अब तक
अब तक हुए अप्रत्यक्ष अवलोकनों में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि आंतरिक क्रोड़ में तापमान पांच हजार डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है और यह पृथ्वी के आयतन का केवल एक प्रतिशत हिस्सा है. अब स्टीफनसन और उनके साथियों पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ में दो अलग अलग परतों के होने ज्यादा प्रमाण पाए हैं.

एल्गॉरिदम और मॉडलिंग का उपयोग
टीम ने सर्च एल्गॉरिदम का उपयोग करते हुए इंटरनेशनल सीज्मोलॉजीकल सेंटर द्वारा जमा किए गए आंकड़ो के साथ पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ के हजारों मॉडल का विश्लेषण किया. ये आंकड़े दशकों तक लंबी भूकंपीय तरंगों की पृथ्वी के अंदर की यात्रा से संबंधित थे.
जानिए कैसे और कब ऑक्सीजन कम होते होते खत्म हो जाएगा पृथ्वी से जीवन
भूकंपीय तरंगों का अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अपने शोध का ध्यान एनिसोट्रोपी पर रखा जिसमें यह अध्ययन किया जाता हैकि कैसे आंतरिक क्रोड़ का पदार्थ भूकंपीय तरंगों की विशेषताओं को प्रभावित करता है. टीम ने आंतरिक क्रोड़ के मॉडल का अध्ययन कर यह पता लागा कि कुछ भूकंपीय तरंगें अन्य से अलग थीं.
तरंगों का अलग अलग बर्ताव
जहां कुछ मॉडल के मुताबिक आंतरिक क्रोड़ की पदार्थ भूकंपीय तरंगों का भूमध्यररेखा के समांतर तेजी प्रसारित हुईं. अन्य के अनुसार मिश्रित पदार्थों के जरिए तेज तरंगें पृथ्वी की घूर्णन अक्ष के समांतर प्रसारित हुईं. इसके बाद भी कुछ कोणों में अंतर पर विवाद की स्थिति रही. अध्ययन यह बताने में नाकाम रहा कि आंतरिक क्रोड़ की गहराई में इतनी विविधता क्यों है.

दो स्पष्ट अंतर
इसके बाद भ अध्ययन में यह पता चला कि 54 डिग्री के कोण पर धीमी गति का बदलाव हो रहा था, जहां तेज तरंगोंकी दिशा अक्ष के समांतर थीं. स्टीफनसन का कहना है कि उन्होंने इस बात प्रमाण पाए जो दर्शाते हैं कि लोहे की संरचना में बदालव है जिससे पता चलता है कि पृथ्वी के इतिहास में दो अलग अलग ठंडा करने वाली घटनाएं हुई थीं.
42 हजार साल पहले पलट गई थी पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड, नाटकीय बदलाव हुए थे तब
यह शोध इसबात की व्याख्या कर सकता है कि क्यों कुछ प्रयोगात्मक प्रमाण अभी तक पृथ्वी की संरचना के साथ मेल नहीं खा रहे थे. शोधकर्ताओं के पास कुछ आंकड़ों की कमी थी, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि विकसित की जा रही नई पद्धति इस अध्ययन को और ज्यादा पुख्ता कर पृथ्वी के इतिहास के बारे में नई जानकारी उपलब्ध करा सकेगी.
पहले भी दिया गया था पांचवी परत का विचार
अभी तक पृथ्वी चार प्रमुख परतें मानी जाती थीं- भूपर्पटी (Crust), मैंटल (Mantl), बाह्य क्रोड़ (Outer Core) और आंतरिक क्रोड़ (Inner Core). करीब एक दशक पहले एक और अलग परत का विचार सामने आया था, लेकिन वह स्पष्ट नहीं था. जर्नल ऑफ जियोफिजिक्स रिसर्च में प्रकाशित इस अध्ययन में आंतरिक क्रोड़ के नीचे इस अंतरतम आंतरिक क्रोड़ के होने की पुष्टि की है.
पाठ्यपुस्तकों में हो सकता है संशोधनऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में शामिल जियोफिजिसिस्ट जुआन स्टीफनसन इसे खोज से बहुत उत्साहित हैं. उनका कहना है कि अब शायद हमें अपनी पाठ्यपुस्तकों में संशोधन करने की जरूरत पड़ सकती है. अभी तक पृथ्वी की संरचना के बारे में हमारी जानकारी ज्यादातर ज्वालामुखी और भूकंपीय तरंगों पर ज्यादा निर्भर करती थी.
क्या पता था अब तक
अब तक हुए अप्रत्यक्ष अवलोकनों में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि आंतरिक क्रोड़ में तापमान पांच हजार डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है और यह पृथ्वी के आयतन का केवल एक प्रतिशत हिस्सा है. अब स्टीफनसन और उनके साथियों पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ में दो अलग अलग परतों के होने ज्यादा प्रमाण पाए हैं.

पृथ्वी (Earth) की परत का अध्ययन करते समय शोधकर्ताओं ने क्रोड़ आने वाली भूकंपीय तरंगों में बहुत फर्क पाया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
एल्गॉरिदम और मॉडलिंग का उपयोग
टीम ने सर्च एल्गॉरिदम का उपयोग करते हुए इंटरनेशनल सीज्मोलॉजीकल सेंटर द्वारा जमा किए गए आंकड़ो के साथ पृथ्वी की आंतरिक क्रोड़ के हजारों मॉडल का विश्लेषण किया. ये आंकड़े दशकों तक लंबी भूकंपीय तरंगों की पृथ्वी के अंदर की यात्रा से संबंधित थे.
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भूकंपीय तरंगों का अध्ययन
शोधकर्ताओं ने अपने शोध का ध्यान एनिसोट्रोपी पर रखा जिसमें यह अध्ययन किया जाता हैकि कैसे आंतरिक क्रोड़ का पदार्थ भूकंपीय तरंगों की विशेषताओं को प्रभावित करता है. टीम ने आंतरिक क्रोड़ के मॉडल का अध्ययन कर यह पता लागा कि कुछ भूकंपीय तरंगें अन्य से अलग थीं.
तरंगों का अलग अलग बर्ताव
जहां कुछ मॉडल के मुताबिक आंतरिक क्रोड़ की पदार्थ भूकंपीय तरंगों का भूमध्यररेखा के समांतर तेजी प्रसारित हुईं. अन्य के अनुसार मिश्रित पदार्थों के जरिए तेज तरंगें पृथ्वी की घूर्णन अक्ष के समांतर प्रसारित हुईं. इसके बाद भी कुछ कोणों में अंतर पर विवाद की स्थिति रही. अध्ययन यह बताने में नाकाम रहा कि आंतरिक क्रोड़ की गहराई में इतनी विविधता क्यों है.

पृथ्वी (Earth) की नई परत की जानकारी से उसके इतिहास के बारे में और जानकारी मिलेगी. (फाइल फोटो)
दो स्पष्ट अंतर
इसके बाद भ अध्ययन में यह पता चला कि 54 डिग्री के कोण पर धीमी गति का बदलाव हो रहा था, जहां तेज तरंगोंकी दिशा अक्ष के समांतर थीं. स्टीफनसन का कहना है कि उन्होंने इस बात प्रमाण पाए जो दर्शाते हैं कि लोहे की संरचना में बदालव है जिससे पता चलता है कि पृथ्वी के इतिहास में दो अलग अलग ठंडा करने वाली घटनाएं हुई थीं.
42 हजार साल पहले पलट गई थी पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड, नाटकीय बदलाव हुए थे तब
यह शोध इसबात की व्याख्या कर सकता है कि क्यों कुछ प्रयोगात्मक प्रमाण अभी तक पृथ्वी की संरचना के साथ मेल नहीं खा रहे थे. शोधकर्ताओं के पास कुछ आंकड़ों की कमी थी, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि विकसित की जा रही नई पद्धति इस अध्ययन को और ज्यादा पुख्ता कर पृथ्वी के इतिहास के बारे में नई जानकारी उपलब्ध करा सकेगी.