तैरते हुए पवन चक्की संयंत्र (Wind Farms) भविष्य में अच्छे नतीजे देने वाले समाधान हो सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बाद रूस और यूरोप के संबंधों आई खटास के कारण यूरोप में ऊर्जा संकट (Energy Crisis in Europe) आ गया है. रूस से गैस की आपूर्ति रूकने अब यूरोप में ऊर्जा संकट गहराया है क्योंकि ठंड के मौसम में यूरोप में ऊर्जा की मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए यूरोप में अक्षय ऊर्जा के विकल्पों पर बहुत ज्यादा अनुसंधान चल रहा है. कई तरह के ऊर्जा स्रोतों पर काम किया जा रहा है जिससे जीवाश्म ऊर्जा की निर्भरता को स्थायी रूप से खत्म किया जा सके. हाल ही में फ्रांस के भूमध्यसागर के तट पर तैरते पवन चक्की संयंत्र (Floating Wind Farms) बनाए गए हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे भविष्य में बहुत अच्छे नतीजे दे सकते हैं.
आगे रहना चाहता है फ्रांस
हाल ही में पत्रकारों के एक समूह ने पोर्ट ऑफ फॉस सुर मेर में तैयार रहे इस तरह के एक संयंत्र का अवलोकन किया. फ्रांस इस क्षेत्र में आगे रहना चाहता है. किनारों पर तैरते हुए इन पवन चक्की संयंत्र में टरबाइन होते हैं जो तैरते हैं प्लेटफॉर्म के ऊपर लगाए जाते हैं जिन्हें नीचे जमीन से बांध दिया जाता है जबकि परंपरागत पवन चक्की संयंत्र समुद्र की सतह तक जाते हैं जहां वे स्थायी तौर पर जमीन में गड़े हुए से लगते हैं.
काफी उम्मीदें हैं इससे
इस पायलट प्रोजेक्ट का आकार 25 मेगावाट तक का ही है जबकि एक नाभकीय संयंत्र इससे 40 गुना ज्यादा जगह घेरता है और उसमें एक गीगावाट यानि एक हजार मेगावाट की क्षमता होता है , लेकिन किनारे पर तैरते हुए ये पवन चक्की संयंत्र वर्तमान अक्षय ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तुलना में 24/7 यानि हर समय बिजली भी पैदा कर सकते हैं.
एक बड़ा फायदा
ईडीएफ रीन्यूएब्ल्स में प्रोविनस ग्रांडे लार्ज की परियोजना निदेशक क्रिस्टीन डि जोउटे का कहना है कि परंपरागत किनारे पर लगे पवन चक्की संयंत्र केवल 50 मीटर की गहराई वाले पानी में ही बन सकते हैं. लेकिन तैरते हुए पवन चक्की संयंत्रों में ऐसी कोई सीमा नहीं है वे किनारे से दूर भी प्रतिस्थापित किए जा सकते हैं जहां हवाएं तेज चलती हैं.
इस तकनीक में विश्वास भी बढ़ा है
क्रिस्टीन ने बताया कि ये पवन चक्की संयंत्र कार्बन तटस्थता तक पहुचंने में बहुत अहम भूमिका निभा सकती है. यूक्रेन मे चल रहे युद्ध ने इस तरह के तैरते हुए पवन चक्की संयंत्रों में विश्वास बढ़ा दिया है. ईडीएफ और उनके सहयोगी कंपनियां इसपायलट परियोजन में 30 करोड़ यूरो का निवेश कर रहे हैं. ये संयंत्र किनारे से 17 किलोमीटर की दूरी पर लगाए जाएंगे जहां की गहराई 100 मीटर की होगी
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और भी कंपनियां आना चाह रही हैं इस क्षेत्र में
फिलहाल निर्माण स्थल पर 140 लोग काम कर रहे हैं जिससे यह परियोजना अगले साल शुरू हो जाए . इसमें एसबीएम ऑफशोर की टीम भी शामिल है. वहीं मुख्यतः तेल और गैस के क्षेत्र में सक्रिय रही डच कंपनी ने भी अब 2 गीगावाट का तैरते हुए पवन चक्की संयत्रों पर 2030 तक काम पूरा करने का निश्चय किया जो उसके व्यापार का 25 प्रतिशत हिस्सा होगा.
बढ़ रही है मांग और रुझान
एसबीएम ऑफशोर कंपनी के व्यवसायिक निदेशक स्टीफैनी सेंट हगिल का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के कारण हर देश अपने ऊर्जा आवश्यकताओं के मामले में स्वतंत्र होना चाहता है. इसके अलावा दुनिया भर में संतुलित ऊर्जा मिश्रण में भी दिलचस्पी पैदा हो रही है. इसीलिए किनारों पर तैरते हुए पवन चक्की ऊर्जा संयंत्रों की ओर रुझान और मांग बढ़ रहगी है. ऐसा रूस के यूक्रेन पर हमले बाद ज्यादा हुआ है.
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यूक्रेन युद्ध के बाद अक्षय ऊर्जा के स्रोत बेशक वर्तमान ऊर्जा संकट के समाधान के तौर पर देखे जा रहे हैं. फ्रांस में बहुत से परमाणु ऊर्जा संयंत्र रखरखाव या सुधार के लिए बंद होने के कारण सर्दियों में ब्लैकआउट की संभावना बढ़ गई है. फ्रांस में परमाणु ऊर्जा का योगदान 70 प्रतिशत बिजली के लिए होता है. जहां फ्रांस अपने अक्षय ऊर्जा के लक्ष्यों से पिछड़ रहा है. किनारों पर पवन चक्की संयंत्र लगाना उसकी प्रतिष्ठा का विषय भी बन गया है.
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