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मेडिटेशन करने वाले इस समुदाय को चीन की सरकार ने कहा शैतानी मजहब, 20 सालों से हो रहा जुल्म

उइगर ही नहीं, चीन में फालुन गोंग धर्म को मानने वाले भी सरकार का दमन झेल रहे हैं (Photo- flickr)

उइगर ही नहीं, चीन में फालुन गोंग धर्म को मानने वाले भी सरकार का दमन झेल रहे हैं (Photo- flickr)

फालुन गोंग (Falun Gong) नाम के धार्मिक समुदाय (religious practice) को चीन की सरकार ने शैतानी धर्म (evil cult) नाम दिया ...अधिक पढ़ें

    हाल के कुछ सालों में चीन में उइगर मुसलमानों के दमन की बात दुनियाभर की नजरों में आई. लेकिन उइगर ही नहीं, चीन में फालुन गोंग धर्म को मानने वाले भी सरकार का दमन झेल रहे हैं. 20 सालों से भी ज्यादा वक्त में चीन की सरकार ने गोंग समुदाय के हजारों समर्थकों को जेल में भिजवा दिया. हजारों को पागलखाने भेज दिया और लेबर कैंपों में रहते हुए सैकड़ों की मौत हो गई. जानिए, क्या है ये समुदाय और चीन की सरकार को इससे क्यों खतरा महसूस होता रहा है.

    फालुन गोंग क्या है
    इस समुदाय को मानने वालों की शुरुआत साल 1992 में हुई. दरअसल ये एक तरह की मेडिटेशन प्रैक्टिस है जो चीन के ही पुराने कल्चर qigong पर आधारित है. इसमें सीधे बैठकर खास तरीके से सांस ली जाती है और इससे शरीर और मन की बीमारियों को दूर करने का दावा किया जाता है. आध्यात्मिक गुरु ली होगंजी (Li Hongzhi) ने इसकी शुरुआत की. मेडिटेशन की ये पद्धति जल्द ही पूरे चीन में लोकप्रिय होने लगी. इसकी ख्याति का अंदाजा इस बात से लग सकता है कि पेरिस में चीन की एंबेसी ने इस पद्धति के मानने वालों को बुलाया ताकि वे फ्रांस में बसे चीनियों को भी ये सिखा सकें. खुद चीन की सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक मेडिटेशन के इस तरीके से सरकार के हेल्थ पर खर्च होने वाले अरबों रुपए बच सके.

    कहा जाने लगा कि ये मेडिटेटर्स का खतरनाक समूह है जो विदेशी धर्मों से प्रेरित है


    फिर अचानक क्या हुआ जो गोंग समुदाय के लोग चीन की शांति पर खतरा बन गए?
    इसके बारे में चीन की सरकार के पास कोई वजह नहीं. उसने सिर्फ ये तर्क दिया कि ये धर्म चीन के लिए खतरा है. ये मेडिटेटर्स का खतरनाक समूह है जो विदेशी धर्मों से प्रेरित है. सरकारी मीडिया ने दावा किया कि इस समुदाय के लोग एक-दूसरे को या खुद को ही टॉर्चर करते हैं और इनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति ज्यादा होती है. हालांकि सरकारी मीडिया इसके कोई प्रमाण नहीं दे सका और न ही फॉरेन एजेंसीज को इसकी जांच के लिए भीतर आने की अनुमति दी. मानवाधिकार पर काम करने वाली संस्था Human Rights Watch ने इन बातों को फर्जी करार दिया. माना जाता है कि धार्मिक समुदाय को मानने वालों की बढ़ती संख्या से चीन को खतरा लगने लगा.

    इसके साथ ही टॉर्चर का भयंकर दौर शुरू हुआ
    सरकार इस कम्युनिटी के लोगों को घर से पकड़-पकड़कर उन्हें लेबर कैंप भेजने लगी. बहुत से लोगों को पागलखाने भेज दिया गया. चीन की एक खास शुरुआत हुई ‘reform through labour यानी लेबर कैंप में लोगों में बदलाव लाने की मुहिम.असल में यहां बदलाव के नाम पर हिंसा और अत्याचार की नई शुरुआत हुई. गोंग समुदाय के लोगों को बिजली के झटके दिए जाते. उन्हें दिनों तक भूखा रखा जाता. कईयों को खूब पानी पिलाया जाता लेकिन उसके बाद उन्हें टॉयलेट इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं मिलती.

    सरकार इस कम्युनिटी के लोगों को घर से पकड़-पकड़कर उन्हें लेबर कैंप भेजने लगी- सांकेतिक तस्वीर (Photo-pixabay)


    साइन कराए जाते कागज
    एक और टर्म तैयार हुई- transformation. इसके तहत गोंग समुदाय के लोगों को कैंप में रखकर तब तक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना मिलती, जब तक कि वे इससे अपनी आस्था न हटा लें. इसे प्रोसेस ऑफ आइडियोलॉजिकल रिप्रोग्रामिंग भी कहा जाता था. प्रताड़ना से टूट चुके लोगों को 5 डॉक्युमेंट साइन करने होते थे, जिसके तहत उन्हें मेडिटेशन की प्रैक्टिस बंद करने से लेकर समुदाय के सारे लोगों से रिश्ता तोड़ने का भी करार करना होता था. इसके बाद भी लोगों पर चीन की सरकार नजर रखा करती.

    बीजिंग में शांति से हुआ विरोध
    ज़ुल्मों के लगभग 3 सालों तक चले दौर के बाद गोंग समुदाय ने 25 अप्रैल 1999 को बीजिंग के ऐतिहासिक थियानमन चौक पर शांत प्रदर्शन किया. इसमें 10000 लोग जमा हुए. आननफानन सरकारी लोग और पुलिस वहां पहुंची और लोगों को उठा-उठाकर बगल के Tianjin शहर ले जाया गया. वहां थोड़े-बहुत टॉर्चर के बाद उन्हें छोड़ दिया गया. ये शुरुआत थी. उसी रात चीन के तत्कालीन प्रेसिडेंट जिंआंग जेमिन (Jiang Zemin) ने गोंग समुदाय को चीन की शांति के लिए खतरा घोषित कर दिया और कहा कि इसे कुचला जाना बहुत जरूरी है. इसके बाद से ही लगातार इस धर्म को मानने वालों का दमन जारी है.

    गोंग समुदाय के लोगों को कैंप में रखकर तब तक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना मिलने लगी


    ब्लैक मार्केट में बेचे जा रहे ऑर्गन
    ये भी कहा जाता है कि गोंग समुदाय के लोगों के शरीर से किडनी, लिवर और दूसरे ऑर्गन निकालकर ब्लैक मार्केट में बेचे जा रहे हैं.International Coalition to End Transplant Abuse in China के मुताबिक चीन में ऑर्गन हार्वेस्टिंग के धंधे में गोंग समुदाय के साथ-साथ उइगर मुस्लिमों के अंग भी निकाले जा रहे हैं. ऑस्ट्रेलियन मीडिया ABC के मुताबिक सबसे पहले साल 2006 में ये बात सामने आई कि कैदी बनाकर गोंग समुदाय के लोगों के अंग निकाले जा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार चीन अपने यहां हर साल लगभग 10 हजार ऑर्गन ट्रांसप्लांट की बात करता है लेकिन असल आंकड़े 60 हजार से लेकर 1 लाख हैं. माना जा रहा है कि 10 हजार से अलावा बाकी सारे ट्रांसप्लांटेशन इन्हीं कैदियों के शरीर से अंग निकालकर किए जा रहे हैं.

    अब भी चीनी मीडिया या इंटरनेट पर गोंग समुदाय के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है. ये वहां के सबसे सेंसर्ड टॉपिक में से एक है. अगर चीन का कोई निवासी इस बारे में कुछ खोजने या इसपर बात करने की कोशिश करे तो उसे तुरंत देश के खतरा बताते हुए लेबर कैंप भेज दिया जाता है.

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    Tags: China, Ladakh, Muslim, Muslim traditions, Religion

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