काशी विश्वविद्यालय को रिसर्च में बड़ी कामयाबी मिली है.. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
एक साल पहले दुनिया एक अनजान बीमारी से परिचित हो रही थी. धीरे धीरे इसने खौफ के साथ महामारी (Pandemic) की रूप लिया लेकिन साल के अंत में कोविड-19 (Covid-19) की वह दहशत नहीं रही कि दुनिया में हर तरफ से इसकी वैक्सीन (Vaccine) की सफलता कहानी आ चुकी थी और उन्हें लोगों को पहुंचाने के लिए काम शुरू हो चुका था. बीते एक साल में इस महामारी से लड़ते हुए लोगों की विज्ञान (Science) में गहरी दिलचस्पी हो गई थी. कहना गलत न होगा कि कोविड-19 ने लोगों में विज्ञान में रुचि ((Interest in Science) जगा दी. इसके अलावा विज्ञान संबंधी करियर में अवसरों की संभावनाओं को जन्म दिया.
1969 में आई थी ऐसी स्थिति
माना जा रहा है कि विज्ञान में इससे ज्यादा दिलचस्पी साल 1969 में ही लोगों ने ली थी जब इंसान ने पहली बार चंद्रमा पर कदम रखा था. लेकिन पिछले साल हालात बहुत ही अलग थे. लोग एक वायरस के फैलने से हैरान-परेशान थे. वे यह जानने को आतुर थे कि इस वायरस को लेकर शोधकार्य क्या कह रहे हैं.
रिसर्च करियर में बड़ी रुचि
इतना ही नहीं लोगों ने यह भी देखा कि शोधकार्य पर कितना ज्यादा खर्च किया जा रहा है. इससे उनकी रिसर्च करियर में भी दिलचस्पी बढ़ी. लोगों ने यह भी देखा कि कैसे कोविड-19 से लड़ने वाले लोगों को सम्मान की नजरों से देखा जाने लगा है.
विज्ञान की छवि मजबूत और उम्मीदों वाली बनी
मॉलिक्यूलर बायोलॉजिस्ट और नोबोल पुरस्कार विजेता वेंकी रामकृष्णन का मानना है बेशक कोविड के प्रति रवैये ने लोगों में विज्ञान की छवि में बहुत इजाफा किया है. उन्होंने कहा, “यदि मैं एक युवा के तौर पर यह देखता कि किस तरह विज्ञान की बहुत सारे विभाग मिलकर सहयोग करने आए, मैं कहता यह शानदार है.”
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Tags: Corona Virus, COVID 19, Research, Science
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