दुनिया का पहला लिखित शांति समझौता. (Image: Wikipedia)
First Peace Treaty: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से जंग छिड़ी हुई है. इस बीच कई बार ऐसा मौका आया जब रूस या यूक्रेन ने बातचीत की मंशा जाहिर की. हालांकि, दोनों के बीच अभी तक लड़ाई जारी है. अगर दोनों देश लड़ाई बंद कर बातचीत के जरिये कुछ शर्तों पर सहमत होते हैं तो दोनों के बीच एक शांति समझौता होगा. इस पर दोनों देशों के प्रतिनिधि हस्ताक्षर करेंगे और संधि की शर्तों को मानने के लिए बाध्य होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का पहला रिकॉर्डेड शांति समझौता किन दो देशों के बीच और कब हुआ था.
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के मुताबिक, दुनिया की पहली रिकॉर्डेड शांति संधि मिस्र और हित्ती (वर्तमान तुर्की) के बीच 1271 ईसा पूर्व हुई थी. इस पर मिस्र फैरो रासेस द्वितीय और हित्ती के राजा हैतुलिसिस-3 ने हस्ताक्षर किए थे. इस शांति समझौते की दो प्रतिलिपियां बनाई गई थीं. इनमें एक चित्रलेख के रूप में और दूसरी मेसोपोटामिया की भाषा अकेडियन या बेबीलोनियन में थी. इस संधि को इजिप्शियन-हित्ती शांति संधि, सिल्वर संधि और इटर्नल संधि के नाम से भी जाना जाता है.
शांति संधि में क्या थीं शर्तें
इजिप्ट और हित्ती ने इस शांति संधि में तमाम शर्तों के साथ एक खास शर्त भी रखी थी. दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि एकदूसरे पर अब कभी हमला नहीं करेंगे. वहीं, खास शतर् के तौर पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी कि अगर कोई तीसरा देश दोनों में किसी भी देश पर हमला करता है तो हम एकदूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे. हम मिलकर हमला करने वाले देश के खिलाफ लड़ेंगे. यही नहीं, अगर दोनों में किसी एक देश के अंदर बगावत होती है तो दूसरा देश उसकी मदद करेगा. साथ ही अगर कोई राजनीति अपराधी भी भागकर दूसरे देश में चला जाता है तो भी उसे पकड़ने में मदद की जाएगी.
कितने दिन चली ये संधि?
इजिप्ट और हित्ती के बीच हुई ये शांति संधि 40 साल तक बरकरार रही. संधि तब खत्म हुई जब हित्ती साम्राज्य का पतन हो गया. इस संधि के अवशेष मिस्र के लक्सर में कर्नाक मंदिर में आज भी संभालकर रखे गए हैं. इसका शुरुआती संस्करण चांदी की गोलियों पर तैयार किया गया था. कर्नाक के मंदिर में इसी के अवशेष मौजूद हैं. ये इकलौती ऐसी लिखित संधि है, जिसकी दोनों प्रतियां आज तक सुरक्षित हैं. इसे कादेश की संधि के नाम से भी पहचाना जाता है.
क्यों करनी पड़ी ये संधि?
कादेश संधि से पहले मिस्र और हित्ती के बीच 16 साल तक लंबी जंग हुई थी. इस संधि से पहले तक दोनों देशों के बीच दशकों तक दुश्मनी का माहौल था. इसके बाद दोनों देशों के बीच सिल्वर संधि हुई. हालांकि, इस संधि के बाद भी दोनों देशों के संबंध अच्छे नहीं हो पाए थे, लेकिन दोनों ने फिर एक दूसरे पर हमला नहीं किया. कादेश का नाम अब किसी पुस्तक में नहीं मिलता है. इस संधि से जुड़े मिस्र के कादेश शिलालेख बड़े मंदिर में मौजूद थे. इस संधि का अनुवाद सबसे पहले चैंपोलिन ने किया था. हालांकि, हित्ती के बारे में 1858 तक कोई खास जानकारी दुनिया को नहीं थी. बाद में हित्ती की पहचान बाइबल में बताए गए हित्तियों के तौर पर की गई.
कैसे उकेरी गईं संधि की शर्तें?
साल 1906 में अनातोलिया में जर्मनी के पुरातत्वविद ह्यूगो विंकलर ने खुदाई के दौरान कीलाकार गोलियों की पहचान की जो मिस्र के लिखित दस्तावेजों के जैसी ही थीं. अनुवाद से पता चला कि ये शिलालेख मूल रूप से दोनों पक्ष को दी गई चांदी की गोलियों से लिखे गए थे. ये गोलियां उसके बाद कहीं खो गईं और किसी को नहीं मिलीं. शांति संधि के मिस्र वाले संस्करण को थेब्स में फैरो रामसेस द्वितीय से जुड़े दो मंदिरों की दीवारों पर चित्रलिपि के रूप में उकेरा गया था. कार्नक के मंदिर में रामेसियम और अमुन-रे दो शास्त्री थे. मिस्र के संस्करण को उकेरने वालों ने संधि में उन आकृतियों और मुहरों का विवरण भी शामिल किया था, जो हित्तियों ने बांटी थीं.
कहां है संधि का हित्ती संस्करण?
शांति संधि का हित्ती संस्करण हत्तुसा की हित्ती राजधानी में पाया गया था, जो अब तुर्की में है. ये संस्करण हित्ती के शाही महल के बड़े आकार के अभिलेखागार के बीच खुली मिट्टी की गोलियों पर संरक्षित है. हित्ती गोलियों में से दो प्राचीन ओरिएंट के संग्रहालय में हैं, जो आज के इस्तांबुल पुरातत्व संग्रहालय का हिस्सा है. वहीं, तीसरी जर्मनी में बर्लिन राज्य संग्रहालय में रखी है. अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक दीवार पर संधि की एक प्रति लगाई गई है.
सीरिया से क्या है इसका संबंध?
हित्ती और मिस्र के बीच एक लंबे युद्ध को खत्म करने के लिए इस शांति संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे. दोनों देशों के बीच पूर्वी भूमध्यसागरीय भूमि पर अधिकार जमाने के लिए दो सदियों तक जंग छिड़ी रही थी. संधि के पहले के 16 साल में दोनों देशों के बीच जबरदस्त संघर्ष हुआ. फिर 1271 ईसा पूर्व मिस्र के आक्रमण के प्रयास के साथ संघर्ष खत्म हुआ,. इस हमले को हित्तियों ने कादेश शहर में ओरोंटस नदी पर रोक दिया था, जो अब सीरिया है. कादेश की लड़ाई के कारण दोनों पक्षों को जानमाल का भारी नुकसान हुआ, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया. इसी वजह से दोनों देशों ने शांति संधि करने का फैसला लिया.
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