क्या न उड़ने वाले पक्षियों के विनाश के लिए वाकई इंसान जिम्मेदार है?

माना जाता है कि न उड़ पाने वाले पक्षियों (Flightless Birds) के विलुप्त (Extinct) होने में इंसानों का हाथ यह पूरा सच नहीं है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
न उड़ने वाले पक्षियों (Flightless Birds) पर हुए शोध में पता चला है कि उनके विनाश (Extinction) के पीछे इंसानी गतिविधियां (Human Activities) उतनी जिम्मेदार नहीं हैं जितना कि अब तक समझा जाता है.
- News18Hindi
- Last Updated: December 3, 2020, 7:49 PM IST
इंसानों को दुनिया की कई प्रजातियों (Species) के विलुप्त (Extinct) होने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. यह काफी हद तक सही भी है. हाल ही में हुए अध्ययन से पता चला है कि अगर इंसानी असर (Human Impact) नहीं होता तो आज पृथ्वी पर कम से कम चार गुना ज्यादा बिना उड़ने वाली पक्षियों (Flightless Birds) की प्रजातियां जिंदा होतीं. इस अध्ययन से यह बात भी सामने आई है कि इससे पहले पक्षियों के विनाश की कहानी (Story of evolution) बनाते समय निष्पक्षता नहीं बरती गई थी.
न उड़ पाने का विकास सामान्य बात
साइंस एडवांस में प्रकाशित UCL शोधकर्ताओं के अध्ययन में पाया गया है कि यदि केवल आज की प्रजातियों को देखा जाए तो पक्षियों में न उड़ने की क्षमता का विकास होना उम्मीद से ज्यादा सामान्य बात है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी पड़ताल दर्शाती है कि कैसे इंसानी गतिविधियों के कारण विलुप्त होने ने हमारी उद्भव की समझ में गलत धारणा पैदा की.
विनाश का बना यह कारणइस अध्ययन के प्रमुख लेखक और UCL सेंटर फॉर बायोडाइवर्सिटी एंड एनवयारनमेंट रिसर्च के डॉ फेरैनसायोल ने बताया, ”इंसानों के असर ने लगातार दुनिया के बहुत सारे इकोसिस्टम को बदला है जिसकी वजह से सैंकड़ों जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हुई हैं. यह उद्भव के स्वरूपों को बदल सकता है खासतौर पर यदि उन विशेषताओं का समझा जाए जैसे पक्षियों में न उड़ पाने का गुण बहुत सी प्रजातियों को विनाश की कगार पर ले आया. हमें उद्भव के बारे में निष्पक्ष जानकारी नहीं है.”

सारे विलुप्त पक्षियों की सूची
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने इंसानों के पृथ्वी पर आने के बाद से अब तक की सभी पक्षी प्रजातियों की विस्तृत सूची तैयार की जो अब तक विलुप्त हो चुकी हैं. उन्होंने पाया कि 581 पक्षी प्रजातियां जो एक लाख 26 हजार साल पहले से लेकर अब तक विलुप्त हुईं थीं उनमें से लगभग सभी इंसानी प्रभाव के कारण विलुप्त हुई थीं.
छिपकली की तरह अपने कटी पूंछ फिर से बना सकता है ये जानवर
ज्यादा विविधता
जीवाश्म और अन्य रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि इनमें से 166 प्रजातियां ऐसी थी जो उड़ने की क्षमता नहीं रखती थीं. इनमें से केवल 60 पक्षी ही आज मौजूद हैं. इस अध्ययन से पता चलता है कि जितना समझा जाता है न उड़ने वाले पक्षियों में ज्यादा विविधता है. अध्ययन से इस बात की भी पुष्टि हुई है कि न उड़ पाने वाले पक्षियों की प्रजातियों की विलुप्त होने की संभावना उड़ने वाले पक्षियों की तुलना में कहीं ज्यादा थी.

उड़ने में बहुत ऊर्जा जाती है
इस अध्ययन के सहलेखक और और UCL सेंटर फॉर बायोडाइवर्सिटी एंड एनवयारनमेंट रिसर्च एंड इस्टीट्यूट ऑफ जूलॉजी के प्रोफेसर टिम ब्लैकबर्न ने बताया, ‘बहुत सी पक्षी प्रजातियां उनका शिकार करने वाली जीवों की गैरमौजूदगी में उड़ने की क्षमता खो सकती हैं. उड़ने में पक्षियों की बहुत ही ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है जिसे किसी अन्य काम में खर्च किया जा सकता है. दुर्भाग्य से इसकी वजह से, इंसानों और अन्य जानवरों के आने से वे आसान शिकार हो जाते हैं.
लंबी चोंच वाले पक्षी के जीवाश्म ने खोले पक्षियों के इतिहास के राज
बनी रह सकती है यह वजह
टिम ने बताया कि विनाश का प्रायः कारण न उड़ पाना है. और खतरा झेल रहे उड़ने वाले पक्षियों की तुलना में न उड़ने वाले पक्षियों में यह वजह बने रहने की संभावना है. शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में बहुत से द्वीप समूहों में इंसानों के आने से पहले न उड़ने वाले पक्षी थे जो कि अन्य स्तनपायी जीवों से भर जाते. इनमें न्यूजीलैंड में विलुप्त हो चुके मोआ (Moa) और हवाई, जहां न उड़ने वाली 23 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, शामिल हैं. पक्षियों की विविधता यह बताती है कि यदि केवल आज के जिंदा पक्षियों को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि न उड़ने वाले पक्षियों की प्रजाति उम्मीद से चार गुना ज्यादा होती.
न उड़ पाने का विकास सामान्य बात
साइंस एडवांस में प्रकाशित UCL शोधकर्ताओं के अध्ययन में पाया गया है कि यदि केवल आज की प्रजातियों को देखा जाए तो पक्षियों में न उड़ने की क्षमता का विकास होना उम्मीद से ज्यादा सामान्य बात है. शोधकर्ताओं का कहना है कि उनकी पड़ताल दर्शाती है कि कैसे इंसानी गतिविधियों के कारण विलुप्त होने ने हमारी उद्भव की समझ में गलत धारणा पैदा की.
विनाश का बना यह कारणइस अध्ययन के प्रमुख लेखक और UCL सेंटर फॉर बायोडाइवर्सिटी एंड एनवयारनमेंट रिसर्च के डॉ फेरैनसायोल ने बताया, ”इंसानों के असर ने लगातार दुनिया के बहुत सारे इकोसिस्टम को बदला है जिसकी वजह से सैंकड़ों जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हुई हैं. यह उद्भव के स्वरूपों को बदल सकता है खासतौर पर यदि उन विशेषताओं का समझा जाए जैसे पक्षियों में न उड़ पाने का गुण बहुत सी प्रजातियों को विनाश की कगार पर ले आया. हमें उद्भव के बारे में निष्पक्ष जानकारी नहीं है.”

न उड़ पाने की क्षमता (Flightlessness) इस तरह की प्रजातियों के विनाश (Extinction) के ज्यादा कारण होती हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
सारे विलुप्त पक्षियों की सूची
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने इंसानों के पृथ्वी पर आने के बाद से अब तक की सभी पक्षी प्रजातियों की विस्तृत सूची तैयार की जो अब तक विलुप्त हो चुकी हैं. उन्होंने पाया कि 581 पक्षी प्रजातियां जो एक लाख 26 हजार साल पहले से लेकर अब तक विलुप्त हुईं थीं उनमें से लगभग सभी इंसानी प्रभाव के कारण विलुप्त हुई थीं.
छिपकली की तरह अपने कटी पूंछ फिर से बना सकता है ये जानवर
ज्यादा विविधता
जीवाश्म और अन्य रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि इनमें से 166 प्रजातियां ऐसी थी जो उड़ने की क्षमता नहीं रखती थीं. इनमें से केवल 60 पक्षी ही आज मौजूद हैं. इस अध्ययन से पता चलता है कि जितना समझा जाता है न उड़ने वाले पक्षियों में ज्यादा विविधता है. अध्ययन से इस बात की भी पुष्टि हुई है कि न उड़ पाने वाले पक्षियों की प्रजातियों की विलुप्त होने की संभावना उड़ने वाले पक्षियों की तुलना में कहीं ज्यादा थी.

अगर उड़ पाने वाले पक्षियों (Flightless Birds) में उड़ने के क्षमता होती तो वे इतनी तेजी से विलुप्त (Extinction) नहीं होते. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
उड़ने में बहुत ऊर्जा जाती है
इस अध्ययन के सहलेखक और और UCL सेंटर फॉर बायोडाइवर्सिटी एंड एनवयारनमेंट रिसर्च एंड इस्टीट्यूट ऑफ जूलॉजी के प्रोफेसर टिम ब्लैकबर्न ने बताया, ‘बहुत सी पक्षी प्रजातियां उनका शिकार करने वाली जीवों की गैरमौजूदगी में उड़ने की क्षमता खो सकती हैं. उड़ने में पक्षियों की बहुत ही ज्यादा ऊर्जा खर्च होती है जिसे किसी अन्य काम में खर्च किया जा सकता है. दुर्भाग्य से इसकी वजह से, इंसानों और अन्य जानवरों के आने से वे आसान शिकार हो जाते हैं.
लंबी चोंच वाले पक्षी के जीवाश्म ने खोले पक्षियों के इतिहास के राज
बनी रह सकती है यह वजह
टिम ने बताया कि विनाश का प्रायः कारण न उड़ पाना है. और खतरा झेल रहे उड़ने वाले पक्षियों की तुलना में न उड़ने वाले पक्षियों में यह वजह बने रहने की संभावना है. शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में बहुत से द्वीप समूहों में इंसानों के आने से पहले न उड़ने वाले पक्षी थे जो कि अन्य स्तनपायी जीवों से भर जाते. इनमें न्यूजीलैंड में विलुप्त हो चुके मोआ (Moa) और हवाई, जहां न उड़ने वाली 23 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं, शामिल हैं. पक्षियों की विविधता यह बताती है कि यदि केवल आज के जिंदा पक्षियों को देखा जाए तो ऐसा लगता है कि न उड़ने वाले पक्षियों की प्रजाति उम्मीद से चार गुना ज्यादा होती.