जानिए कैसे आदर्श द्रव की आवाज ने की ब्रह्माण्ड के जटिल रहस्यों जानने में मदद

आदर्श द्रव्य (Perfect Fluid) को बनाकर वैज्ञानिकोंने उसकी ध्वनि (Sound) को रिकॉर्ड किया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
वैज्ञानिकों आदर्श द्रव (Perfect Fluid) बनाकर उसकी आवाज (Sound) रिकॉर्ड की. इससे उन्हें न्यूट्रॉन तारे (Neutron Star) और बिगबैंग (Bigbang) के बाद बने प्लाज्मा (Plasma) के बारे में जानकारी हासिल करने का जरिया मिला.
- News18Hindi
- Last Updated: December 4, 2020, 8:26 PM IST
आवाज या ध्वनि (Sound) की दुनिया भी विविधताओं से भरी है. दुनिया में हजारों तरह की आवाजें हैं, लेकिन कुछ ध्वनि प्रयोगों के जरिए ब्रह्माण्ड की जटिलताओं को सुलझाया जा सकता है. आपको यह अजीब बात लग सकती है कि भैतिकविदों ने लैब में ही एक आदर्श द्रव्य (Perfect Fluid) बनाया और उससे निकली ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड करने में सफलता पाई है. इस शोध से न्यट्रॉन तारे (Neutron Star) सहित ब्रह्माण्ड (Universe) की कई जटिल बातों का पता चल सकता है.
ब्रह्माण्ड की जटिल स्थितियों की समझ
सुनने में यह बात बहुत ही सामान्य सी लगे लेकिन वास्तव में यह बहुत ही मुश्किल काम है. इससे भी रोचक बात यह है कि ये शोध ब्रह्माण्ड में कुछ चरम सीमा तक की स्थितियों को समझने में सहायता कर सकता है. इसमें अति घने न्यूट्रॉन तारे के अंदर की आवाज, बिगबैंग के बाद के पहले ही साल में ब्रह्माण्ड को भरने वाले क्वार्क ग्लूऑन प्लाज्मा सूप तक शामिल हैं.
आदर्श द्रव्यवैज्ञानिकों ने पहले एक गैस को फर्मायान जैसे महीन कणों से अंतरक्रिया करवाने के बाद बनाकर आदर्श द्रव्य बनाया. फर्मियॉनस प्राकृतिक तौर पर एक दूसरे से दूर रहना पसंद करते हैं, लेकिन जब उनकी तेजी से अंतरक्रिया होती है तो वे एक आदर्श द्रव्य की तरह बर्ताव कर सकते हैं. लेकिन ऐसे में उनका गाढ़ापन (viscosity) बहुत कम होता है. इस आदर्श द्रव्य को बनाने के लिए शोधक्रताओं ने पहले लीथियम गैस के अणुओं को लेजर के जरिए निकाला. इन अणुओं को फर्मियॉन माना जाता है.
कैसे बना आदर्श द्रव्य
वैज्ञानिकों ने लेजर इस तरह से डाला कि उससे फर्मियॉन गैस के आसपास एक ऑप्टिकल बॉक्स बन गया. जब इस बॉक्स के किनारों परजब ये फर्मियॉन टकराए तो वे गैसे में वापस आग. इस तीव्र और बार बार होने वाले टकराव से फर्मियॉन एक आदर्श द्रव्य में बदल गए.

हजारों तरंगों का विश्लेषण
वैज्ञानिकों ने इस गैस से गुजरने वाली हजारों ध्वनि तरंगों का विश्लेषण किया. इसके बाद उन्होंने ध्वनि के प्रसार (Diffusion) को नापा यानि यह देखा कि ध्वनि गैस में कितनी जल्दी फैलती है. इसका सीधा संबंध पदार्थ के गाढ़ेपन (Viscosity) या आंतरिक घर्षण (Friction) से था. हैरानी की बात यह थी कि ध्वनिका प्रासर बहुत ही कम था. इस तरह से पहली बार वैज्ञानिक आदर्श द्रव्य में ध्वनि या आवाज के प्रसार को नापने में सफल रहे.
वैज्ञानिकों ने सूक्ष्मजीवों से भरी बूंदों से ऑक्सीजन की जगह बनाई हाइड्रोजन
यह फायदा भी
वैज्ञानिक अब इस द्रव्य का उपयोग कर दूसरे अन्य तरह के जटिल आदर्श बहावों के लिए एक मॉडल के तौरपर उपयोग में ला सकते हैं. इसके जरिए वे ब्रह्माण्ड की शुरुआत में बने प्लाज्मा के गाढ़ेपन (Viscosiy) को माप सकते हैं. साथ ही वे न्यूट्रॉन तारे के अंदर के घर्षण का भी आंकलन कर सकते हैं. इन गुणों की गणना करना अन्य तरीकों से असंभव है. इतना ही नहीं अब वैज्ञानिक इनके द्वारा पैदा होने वाली ध्वनि का भी पूर्वानुमान लगा सकते हैं.

इन आवाजों को सुनना मुमकिन
एमआईटी में फिजिक्स के प्रोफेसर मार्टिन स्वेलिन ने बताया, ‘न्यूट्रॉन तारे को सुनना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन अब हमें उसे लैब में परमाणुओं के द्वारा बना सकते हैं और उस एटॉमिक सूप को हिलाकर उसकी आवाज सुन सकते हैं. वैज्ञानिकों ने द्रव्य से निकलने वाले हर ध्वनि तरंग को रिकॉर्ड किया. स्वेलिन ने बताया कि ये सभी तरंगें मिलकर एक सोनोग्राम यानि आवाज की तस्वीर बना रहे हैं, जैसा कि डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करते समय मिलती है.
समुद्र के नीचे से तेजी से आते हैं मीथेन के बुलबुले, शोध ने खोला इनका रहस्य
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने उन ध्वनि तरंगों की फ्रीक्वेंसी का पता लगाया जो गूंज पैदा करती थीं. गूंज की गुणवत्ता का संबंध द्रव्य के गाढ़ेपनसे था. कम गाढ़ा द्रव्य सही फ्रीक्वेंसी पर शक्तिशाली ध्वनि तरंग पैदा कर रहा था. इस फ्रीक्वेंसी के जरिए वे गैसे में फर्मियॉन का औसत भार की गणना भी की जा सकती है. इससे यह समझने में भी मदद मिलेगी कि कैसे कुछ पदार्थों को आदर्श द्रव और सुपरकंडक्टिव बहाव वाला बनाया जा सकता है.
ब्रह्माण्ड की जटिल स्थितियों की समझ
सुनने में यह बात बहुत ही सामान्य सी लगे लेकिन वास्तव में यह बहुत ही मुश्किल काम है. इससे भी रोचक बात यह है कि ये शोध ब्रह्माण्ड में कुछ चरम सीमा तक की स्थितियों को समझने में सहायता कर सकता है. इसमें अति घने न्यूट्रॉन तारे के अंदर की आवाज, बिगबैंग के बाद के पहले ही साल में ब्रह्माण्ड को भरने वाले क्वार्क ग्लूऑन प्लाज्मा सूप तक शामिल हैं.
आदर्श द्रव्यवैज्ञानिकों ने पहले एक गैस को फर्मायान जैसे महीन कणों से अंतरक्रिया करवाने के बाद बनाकर आदर्श द्रव्य बनाया. फर्मियॉनस प्राकृतिक तौर पर एक दूसरे से दूर रहना पसंद करते हैं, लेकिन जब उनकी तेजी से अंतरक्रिया होती है तो वे एक आदर्श द्रव्य की तरह बर्ताव कर सकते हैं. लेकिन ऐसे में उनका गाढ़ापन (viscosity) बहुत कम होता है. इस आदर्श द्रव्य को बनाने के लिए शोधक्रताओं ने पहले लीथियम गैस के अणुओं को लेजर के जरिए निकाला. इन अणुओं को फर्मियॉन माना जाता है.
कैसे बना आदर्श द्रव्य
वैज्ञानिकों ने लेजर इस तरह से डाला कि उससे फर्मियॉन गैस के आसपास एक ऑप्टिकल बॉक्स बन गया. जब इस बॉक्स के किनारों परजब ये फर्मियॉन टकराए तो वे गैसे में वापस आग. इस तीव्र और बार बार होने वाले टकराव से फर्मियॉन एक आदर्श द्रव्य में बदल गए.

आदर्श द्रव्य (Perfect Fluid) की फ्रीक्वेंसी से ब्रह्माण्ड (Universe) की कुछ जटिल जानकारी मिलेगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
हजारों तरंगों का विश्लेषण
वैज्ञानिकों ने इस गैस से गुजरने वाली हजारों ध्वनि तरंगों का विश्लेषण किया. इसके बाद उन्होंने ध्वनि के प्रसार (Diffusion) को नापा यानि यह देखा कि ध्वनि गैस में कितनी जल्दी फैलती है. इसका सीधा संबंध पदार्थ के गाढ़ेपन (Viscosity) या आंतरिक घर्षण (Friction) से था. हैरानी की बात यह थी कि ध्वनिका प्रासर बहुत ही कम था. इस तरह से पहली बार वैज्ञानिक आदर्श द्रव्य में ध्वनि या आवाज के प्रसार को नापने में सफल रहे.
वैज्ञानिकों ने सूक्ष्मजीवों से भरी बूंदों से ऑक्सीजन की जगह बनाई हाइड्रोजन
यह फायदा भी
वैज्ञानिक अब इस द्रव्य का उपयोग कर दूसरे अन्य तरह के जटिल आदर्श बहावों के लिए एक मॉडल के तौरपर उपयोग में ला सकते हैं. इसके जरिए वे ब्रह्माण्ड की शुरुआत में बने प्लाज्मा के गाढ़ेपन (Viscosiy) को माप सकते हैं. साथ ही वे न्यूट्रॉन तारे के अंदर के घर्षण का भी आंकलन कर सकते हैं. इन गुणों की गणना करना अन्य तरीकों से असंभव है. इतना ही नहीं अब वैज्ञानिक इनके द्वारा पैदा होने वाली ध्वनि का भी पूर्वानुमान लगा सकते हैं.

इससे न्यूट्रॉन तारे (Neutron Star) की आवाज (Sound) के बारे में भी जानकारी मिल सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इन आवाजों को सुनना मुमकिन
एमआईटी में फिजिक्स के प्रोफेसर मार्टिन स्वेलिन ने बताया, ‘न्यूट्रॉन तारे को सुनना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन अब हमें उसे लैब में परमाणुओं के द्वारा बना सकते हैं और उस एटॉमिक सूप को हिलाकर उसकी आवाज सुन सकते हैं. वैज्ञानिकों ने द्रव्य से निकलने वाले हर ध्वनि तरंग को रिकॉर्ड किया. स्वेलिन ने बताया कि ये सभी तरंगें मिलकर एक सोनोग्राम यानि आवाज की तस्वीर बना रहे हैं, जैसा कि डॉक्टरों को अल्ट्रासाउंड करते समय मिलती है.
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शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने उन ध्वनि तरंगों की फ्रीक्वेंसी का पता लगाया जो गूंज पैदा करती थीं. गूंज की गुणवत्ता का संबंध द्रव्य के गाढ़ेपनसे था. कम गाढ़ा द्रव्य सही फ्रीक्वेंसी पर शक्तिशाली ध्वनि तरंग पैदा कर रहा था. इस फ्रीक्वेंसी के जरिए वे गैसे में फर्मियॉन का औसत भार की गणना भी की जा सकती है. इससे यह समझने में भी मदद मिलेगी कि कैसे कुछ पदार्थों को आदर्श द्रव और सुपरकंडक्टिव बहाव वाला बनाया जा सकता है.