नई दिल्ली: मच्छरों (Mosquitos) से कौन छुटकारा नहीं चाहता? यह कई जानलेवा बीमारियां फैलाने में अहम भूमिका निभाता है. बहुत से वायरस इन मच्छरों के जरिए ही इंसानों के शरीर में आ सके हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन (Climate change) और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से मच्छरों में बदलाव आ रहे हैं. ये मच्छर नई जगहों पर पनप रहे हैं.
एक ऐसा देश जहां नहीं हैं मच्छर
क्या दुनिया में कोई ऐसा देश भी है जहां एक भी मच्छर नहीं हैं. उत्तरी अटलांटिक महासागर में आईसलैंड ऐसा देश हैं जहां एक भी मच्छर नहीं हैं. उत्तरी ध्रुव के पास स्थित इस ठंडे देश में तीन लाख की जनसंख्या है लेकिन मच्छर एक भी नहीं हैं.
मच्छर ठंडे इलाकों में भी होते हैं
आमतौर पर माना जाता है कि मच्छर गर्म देशों में होते हैं लेकिन वे ठंडे इलाकों में भी पाए जाते हैं. इसीलिए अलास्का, कनाडा, ग्रीनलैंड, नॉर्वे, रूस जैसे देश भी मच्छरों से मुक्त नहीं हैं. इन इलाकों में आइसलैंड भी आता है, लेकिन वहां मच्छर नहीं है. आइसलैंड में तापमान में बहुत बदलाव आ रहे हैं और मच्छर इन बदलावों के अनुकूल खुद को ढाल नहीं पाए, इसी लिए वे यहां नहीं पाए जा रहे हैं.

विश्व पर्यावरण दिवस पर ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभावों पर अध्ययन हो रहा है.
ग्लोबल वार्मिंग से आ रहे हैं बदलाव
ग्लोबल वार्मिंग इस कहानी में अपनी एक विशेष भूमिका अदा कर रहा है. वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइसड की मात्रा बढ़न से तापमान उन इलाकों में भी बढ़ रहा है जो मच्छरों के लिए काफी ठंडे इलाके हुआ करते थे. इसी का नतीजा है कि यूरोप में अगले कुछ दशकों में मच्छरों की तादात बढ़ने वाली है.
क्या बदलेगा भारत में
हां लेकिन यह बदलाव अलग तरह होगा.भारत में 400 से ज्यादा मच्छरों की प्रजातियां हैं. यह उनके लिए आदर्श स्थितियों वाला देश हैं. उष्णकटिबंधीय जलवायु जिसमें गर्म तापमान और वर्षा मच्छरों के पनपने के लिए यहां काफी अनुकूल स्थितियां बनती हैं. इसीलिए एशिया, अफ्रीका और अमेरिका में मच्छर खूब पाए जाते हैं. लेकिन भारत में कई तरह की जलवायु भी पाई जाती हैं. यहां हिमालय में बहुत ठंडे इलाके भी हैं. लेकिन जलवायु परिवर्तन हमारे देशे में भी कुछ बड़े बदलाव ला रहा है.
बदलाव मच्छर पनपने वाले इलाकों में आ रहा है
भारत में भी तापमान और वर्षा के प्रारूपों में बदलाव आने से मच्छरों के पनपने वाले इलाकों में बदलाव आ सकता है. जहां मच्छर कम पनपते हैं वहां उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है. कई इलाकों में केवल गर्मी के मौसम में मच्छर मिलते हैं, तो वे अब दूसरे मौसम में भी मिल सकते हैं.

भारत में मच्छरों की 400 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं.
दुनिया भर में दिख रहा है यह ट्रेंड
हाल ही में अमेरिके के स्टैनफोर्ट वुड्स इंस्टीट्यूट फॉर द एनवायर्नमेंट ने ऐसे मॉडल बनाए हैं जिससे दुनिया भर में बढ़ रहे तापमान के कारण मच्छरों के इलाकों में बदलाव के बारे में पूर्वानुमान लगा सके. इस अध्ययन से पता चला है कि जो शीतोष्ण (Temperate) जलवायु वाले मच्छर वेस्ट नाइल वायरस फैलाते हैं वे अब अमेरिका में जा सकते हैं. यह आमतौर पर अमेरिका के ठंडे माने जाने वाले इलाकों में जा रहे हैं जहां ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान बढ़ रहा है.
शहरों ही नहीं देशों की भी संख्या बढ़ा रहे हैं मच्छर
खतरा शहरों में ज्यादा है, जहां बीमारी फैलने की संभावना ज्यादा होती है. ऐसी जगह पर मच्छरों को संक्रमित करने के लिए ज्यादा यात्रा नहीं करनी पड़ती. इस वजह से ज्यादा लोग संक्रमित होते हैं. इसके अलावा अनियंत्रित साफ सफाई और गंदगी फैलने से भी मच्छरों को बढ़ावा मिल रहा है जो शहरों में ज्यादा देखने को मिलती है. इसीलिए शहरों में मच्छरों की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है. लेकिन मच्छर अब उपस्थिति के मामले में देशों की संख्या बढ़ा रहे हैं.
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Tags: Climate Change, Global warming, Research, Science, World environment day
FIRST PUBLISHED : June 04, 2020, 13:42 IST