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Good News: संक्रमण से उबर चुके मरीज के खून से हुआ कोरोना वायरस का सफल इलाज

डॉक्‍टरों को पुराने मरीजों के खून से नए कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करने में सफलता मिल गई है. इस तकनीक से 5 मरीजों को 12 दिन में ठीक कर लिया गया है.

डॉक्‍टरों को पुराने मरीजों के खून से नए कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करने में सफलता मिल गई है. इस तकनीक से 5 मरीजों को 12 दिन में ठीक कर लिया गया है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के गंभीर संक्रमण का शिकार हुए 5 मरीजों (Critically ill Patients) का ठीक हो चुके पुराने संक्र ...अधिक पढ़ें

    कोरोना वायरस (Coronavirus) फैलने के कारण हर तरफ से आ रही परेशान करने वाली जानकारियों के बीच एक अच्‍छी खबर आई है. दरअसल, डॉक्‍टरों को संक्रमण से उबर चुके पुराने मरीजों (Former Carriers) के खून से नए संक्रमितों के इलाज में सफलता मिल गई है. डॉक्‍टर्स इस पर काफी दिनों से परीक्षण कर रहे थे. डॉक्‍टरों ने इस तरीके से इलाज के जरिये ठीक किए गए पांच गंभीर मरीजों (Critically ill Patients) में से तीन को घर भेज दिया है. अस्‍पताल में अब भी भर्ती दोनों मरीजों की हालात भी काफी अच्‍छी है. चीन के द शेनझेन थर्ड पीपुल्स हॉस्पिटल में 36 से 73 साल उम्र के बीच वाले इन पांचों मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर का कहना है कि पुराने मरीजों के खून (Blood) से इलाज के जरिये कोरोना के ज्यादा से ज्‍यादा मरीजों को ठीक किया जा सकता है.

    नए मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में होता है इजाफा
    वैज्ञानिक पुराने मरीजों के खून से नए मरीजों का इलाज करने की तकनीक को कॉवैलेसेंट प्लाज्मा कहते हैं. इससे कई बीमारियों को ठीक किया जा चुका है. इससे नए मरीजों के खून में पुराने ठीक हो चुके मरीज का खून डालकर प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बढ़ाई जाती है. इस तकनीक में खून के अंदर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनने लगते हैं. ये एंटीबॉडी वायरस से मुकाबला कर उन्हें मार देते हैं या दबा देते हैं. अस्‍पताल में भर्ती पांचों मरीजों का कोरोना टेस्‍ट 12 दिन पहले पॉजिटिव पाया गया था. इनमें तीन पुरुष और दो महिलाएं थीं. इसके बाद शेनझेन अस्पताल के डॉक्टरों ने पुराने ठीक हो चुके मरीजों के खून से इन नए मरीजों का इलाज किया. बता दें कि चीन का संक्रामक बीमारियों का अध्ययन करने वाला नेशनल क्लीनिकल रिसर्च सेंटर फॉर इंफेक्शियस डिजीज द शेनझेन थर्ड अस्पताल में ही है.

    चीन में कोरोना वायरस के ठीक हो चुके मरीजों के खून से प्‍लाज्‍मा निकालकर रखा जा रहा था.


    पुरानो मरीजों के खून से प्‍लाज्‍मा कर लेते हैं अलग
    अस्पताल के उप-निदेशक लिउ यिंगजिया ने बताया कि हमने 30 जनवरी से ही कोरोना से ठीक हुए मरीजों को खोजना शुरू कर दिया था. हमने उनका खून लेकर प्लाज्मा निकाल कर स्टोर कर लिया. जब नए मरीज आए तो उन्हें इसी प्लाज्मा का डोज दिया गया. डेलीमेल की रिपोर्ट के मुताबिक, यिंगजिया ने उम्मीद जताई कि अब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के इलाज में इस आसान तरीके का इस्‍तेमाल कर सकती है. उन्‍होंने दावा किया इस भरोसेमंद तरीके से इलाज में फायदा हो रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख डॉ. माइक रेयेान ने चीन के इस अस्पताल में खून से इलाज के तरीके को बेहतरीन बताया है. उन्‍होंने कहा कि मौजूदा हालात में यही सही कदम है. कोरोना को हराने के लिए इससे बेहतर तरीका अभी नहीं है. इसे विकसित करके हम मरीजों को ठीक कर सकते हैं. इससे नए मरीज के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इससे वो आसानी से वायरस को हरा देता है. यह तकनीक काफी पुरानी है. अब इसे मंजूरी मिल चुकी है.

    चीन में ज्‍यादातर अस्‍पताल अब इस तकनीक से नए संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं.


    ब्रिटेन इस्‍तेमाल से पहले करना चाहता है परीक्षण
    द शेनझेन थर्ड अस्पताल का कहना है कि पांच में चार मरीजों की स्थिति तीसरे दिन से ही सुधरनी शुरू हो गई थी. उनका बुखार पूरी तरह ठीक हो गया था. संक्रमण से उबर चुके डोनर्स के खून से इलाज शुरू करने के 12वें दिन किए गए कोरोना टेस्‍ट के नतीजे निगेटिव आए थे. उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में काफी इजाफा हो चुका था. चीन में ज्‍यादातर अस्‍पताल अब इस तकनीक से नए संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं. हालांकि, ब्रिटेन इस तरीके से इलाज शुरू करने से पहले और परीक्षण करना चाहता है. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से इलाज करने पर मरीज की जान बच भी सकती है और बहुत ज्‍यादा गंभीर होने पर खराब भी हो सकती है. फिर भी डॉक्‍टरों को इस तकनीक का परीक्षण करना ही चाहिए. हालांकि, कुछ शोधकर्ताओं का कहना है, 'ये भी हो सकता है कि इस तकनीक से इलाज करने पर मरीज अस्‍थायी तौर पर ही ठीक हो रहा हो.'

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    Tags: America, China, Corona, Corona Virus, Coronavirus, Coronavirus in India, Italy, Lockdown, Spain

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