जानिए हायाबुसा-2 से आए क्षुद्रग्रह के नमूने ने वैज्ञानिकों को क्यों किया हैरान

क्षुद्रग्रह (Asteroid) के नमूने वैसे बिलकुल ही नहीं थे जैसे वैज्ञानिकों ने उम्मीद की थी इसीलिए उन्हें देखकर वे हैरान हुए. (तस्वीर : @haya2e_jaxa)
जापानी अंतरिक्ष यान हायाबुसा-2 (Hayabusa-2) से ड्यूगू क्षुद्रग्रह (Ryugu Asteroid) के नमूने (Samples) हासिल करने के बाद जब वैज्ञानिकों ने उन नमूनों को खोला तो वे हैरान रह गए हैं उम्मीद से कुछ अलग ही तरह के नमूने पाए.
- News18Hindi
- Last Updated: December 17, 2020, 6:55 AM IST
जापानी यान हायाबुसा2 (Hayabusa2 Probe) के छोड़े गए क्षुद्रग्रह के नमूने वैज्ञानिकों के पास पहुंच चुके हैं. इन नमूनों को देखते ही वे हैरान रह गये जब उन्हें इस अभूतपूर्व अभियान से ड्यूगू क्षुद्रग्रह (Ryugu) के मिट्टी और धूल के नमूने खोलकर देखे. इन नमूनों का वैज्ञानिकों को बेसब्री से इंतजार था जिन्हें हाल में ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान पर एक कैप्सूल के जरिए उतारा गया था.
कहां से आए यह नमूने
जापानी यान ने पिछले साल ही ड्यूगू क्षुद्रग्रह से धूल और मिट्टी के नमूने छह साल के दो चरणों में इकठ्ठे किए थे. यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से 30 करोड़ किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इन नमूनों ने हायाबुसा-2 ने पृथ्वी पर गिराया है जबकि यह खुद वापस पृथ्वी पर नहीं आया है. ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान से ये नमूने जापान लाए गए जिसके बाद उन्हें खोलकर देखा गया.
क्या देखा जब नमूनों को खोला तोजापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) ने मंगलवार को कैप्सूल के कंटेनर को खोला जिसके बाहरी खोल में पहले से ही थोड़ी सी मात्रा में क्षुद्रग्रह की धूल जमी हुई थी. जाक्सा वैज्ञानिक हिरोताका स्वादा ने कहा, “जब हमने वास्तव में इसे खोला तो हमें कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं रहे. यह उम्मीद से कहीं ज्यादा था और इसमें इतना कुछ था कि मैं प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका.
अब इन संस्थाओं में बटेंगे नमूने
इन नमूनों में से आधे नमूने जाक्सा, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं शोध के लिए उपयोग करेंगी. बाकी के नमूने भविष्य में विश्लेषणात्मक तकनीकों के लिए रखे जाएगें. फिलहाल हायाबुसा-2 यान का काम खत्म नहीं हुआ है. जो अगले दो लक्ष्यों के लिए अपने मिशन पर निकल चुका है.
तरंग या कण नहीं बल्कि ये हो सकते हैं ब्रह्माण्ड के मूल तत्व
अब हायाबुसा-2 छह साल तक सूर्य का चक्कर लगाएगा और इस दौरान ग्रहों के बीच की धूल के बारे में जानकारी जुटाएगा. फिर 2026 में वह 2001CC21 क्षुद्रग्रह और उसके बाद 2031 में 1998KY26 क्षुद्रग्रह की ओर जाएगा. इन क्षुद्रग्रहों से नमूने इकठ्ठे करना शायद इस बार हायाबुसा-2 के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि इसके लिए उसके पास पर्याप्त ईंधन नहीं होगा. लेकिन उसकी ली गईं तस्वीरों से ही वैज्ञानिकों को काफी जानकारी हासिल होगी.
कहां से आए यह नमूने
जापानी यान ने पिछले साल ही ड्यूगू क्षुद्रग्रह से धूल और मिट्टी के नमूने छह साल के दो चरणों में इकठ्ठे किए थे. यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से 30 करोड़ किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इन नमूनों ने हायाबुसा-2 ने पृथ्वी पर गिराया है जबकि यह खुद वापस पृथ्वी पर नहीं आया है. ऑस्ट्रेलिया के रेगिस्तान से ये नमूने जापान लाए गए जिसके बाद उन्हें खोलकर देखा गया.
क्या देखा जब नमूनों को खोला तोजापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) ने मंगलवार को कैप्सूल के कंटेनर को खोला जिसके बाहरी खोल में पहले से ही थोड़ी सी मात्रा में क्षुद्रग्रह की धूल जमी हुई थी. जाक्सा वैज्ञानिक हिरोताका स्वादा ने कहा, “जब हमने वास्तव में इसे खोला तो हमें कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं रहे. यह उम्मीद से कहीं ज्यादा था और इसमें इतना कुछ था कि मैं प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका.
नहीं थी ऐसी उम्मीदस्वादा ने बताया, “इसमें पाऊडर की तरह महीन कण नहीं थे. बल्किल समें बहुत से ऐसे नमूने थे जो कई मिलीमीटर लंबे चौड़े थे.”वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये पदार्थ ब्रह्माण्ड से लेकर पृथ्वी तक के निर्माण के बारे में जानकारी दे सकते हैं. यहां तक कि इनसे यह भी पता चला सकता है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई.नासा के हबल टेलीस्कोप को हुए 30 साल, देखिए उसकी ली गईं कुछ खास तस्वीरेंबहुत उत्साहित लगे वैज्ञानिकफिलहाल इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि नमूने के पदार्थ कितने वजन थे. पहले वे उम्मीद कर रहे थे कि ये नमूने 0.1 ग्राम के होंगे. हायाबुसा अभियान के वैज्ञानिक और नागोया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक सेइचिरो वातनाबे ने उत्साहित होकर कहा, “ये नमूने बहुत सारे हैं और ऐसा लगता है कि इनमें बहुत सारा जैविक पदार्थ मौजूद है. इसलिए मुझे उम्मीद है कि हम इन पदार्थ के बारे में यह भी पता लगा सकते हैं कि ड्यूगू के मूल पिंड में कैसे जैविक पदार्थ विकसित हुए होंगे.”A large number of particles are confirmed to be in “sample chamber A” inside the collected capsule (11:10 JST on 12/15). This is thought to be the sample from the first touchdown on Ryugu. The photo looks brown, but our team says “black”! The sample return is a great success! pic.twitter.com/34vIx17zOX
— HAYABUSA2@JAXA (@haya2e_jaxa) December 15, 2020
The sample container inside the re-entry capsule was opened on December 14, and we confirmed black grains thought to be from Ryugu were inside. This is outside the main chambers, and likely particles attached to the sample catcher entrance. (English release available tomorrow) https://t.co/NAw1R1cjvy pic.twitter.com/5BfXxfH29h
— HAYABUSA2@JAXA (@haya2e_jaxa) December 14, 2020
अब इन संस्थाओं में बटेंगे नमूने
इन नमूनों में से आधे नमूने जाक्सा, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं शोध के लिए उपयोग करेंगी. बाकी के नमूने भविष्य में विश्लेषणात्मक तकनीकों के लिए रखे जाएगें. फिलहाल हायाबुसा-2 यान का काम खत्म नहीं हुआ है. जो अगले दो लक्ष्यों के लिए अपने मिशन पर निकल चुका है.
तरंग या कण नहीं बल्कि ये हो सकते हैं ब्रह्माण्ड के मूल तत्व
अब हायाबुसा-2 छह साल तक सूर्य का चक्कर लगाएगा और इस दौरान ग्रहों के बीच की धूल के बारे में जानकारी जुटाएगा. फिर 2026 में वह 2001CC21 क्षुद्रग्रह और उसके बाद 2031 में 1998KY26 क्षुद्रग्रह की ओर जाएगा. इन क्षुद्रग्रहों से नमूने इकठ्ठे करना शायद इस बार हायाबुसा-2 के लिए संभव नहीं होगा क्योंकि इसके लिए उसके पास पर्याप्त ईंधन नहीं होगा. लेकिन उसकी ली गईं तस्वीरों से ही वैज्ञानिकों को काफी जानकारी हासिल होगी.