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Mufti : 10,000 रुपये उधारी से शुरू किया काम, आज है अरबों का टर्नओवर

मुफ्ती ब्रांड के पीछे एक मेहनत और जुनून की एक दिलचस्प कहानी है.

मुफ्ती ब्रांड के पीछे एक मेहनत और जुनून की एक दिलचस्प कहानी है.

मुफ्ती के मालिक कमल खुशलानी ने 10,000 रुपये उधार लेकर शर्ट बनाने का काम शुरू किया था. उनके विजन और मेहनत ने आज अरबों रु ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. आपने मुफ्ती (Mufti) का नाम तो सुना ही होगा. जी हां, वही मेन्स फैशनवेयर का नामी ब्रांड. लगभग 400 करोड़ का सालाना टर्नओवर है. लेकिन Mufti के ब्रांड बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. किसी को भी यदि अपना बिजनेस सफल करना है तो ये कहानी प्रेरणादायी साबित हो सकती है. तो चलिए एक नज़र डालते हैं Mufti के सफर पर…

    इस कंपनी के मालिक हैं कमल खुशलानी. कमल का जन्म 25 सितंबर 1966 में हुआ. वे मुंबई में रहे, पले-बढ़े और कॉमर्स में ग्रेजुएशन की. कमल को शुरू से ही फैशन की अच्छी समझ थी, जो धीरे-धीरे उनका इंटरेस्ट बन गई. वो चाहते थे कि फैशन इंडस्ट्री में काम करें और सिर्फ काम ही नहीं नाम भी करें.

    कमल एक मिडिल-क्लास फैमिली से थे. जब वे 19 साल के हुए तो उनके पिता का देहांत हो गया. अब उनके पास सपने तो थे, मगर सपनों को हकीकत में बदलने को पैसा नहीं था. अपना गुजारा चलाने के लिए कमल ने एक वीडियो कैसेट कंपनी में काम किया. मगर दिलो-दिमाग से देखे गए सपने इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ते.

    10,000 रुपये उधार लेकर शुरू किया काम

    आखिर उन्होंने 1992 में Mr & Mr नामक कंपनी लॉन्च कर दी, जोकि पुरुषों के लिए शर्ट्स बनाती और बेचती थी. ये कंपनी यूं ही शुरू नहीं हो गई, इसकी शुरुआत के लिए कमल खुशलानी ने अपनी मामी से 10,000 रुपये उधार लिए. इस तरह कमल का बिजनेसमैन के तौर पर सफर शुरू हुआ.

    कमल का काम ठीक चल रहा था. जिंदगी भी ठीक-ठाक चल रही थी, लेकिन कमल अपने काम से संतुष्ट नहीं थे. उनको लगता था कि वह अपनी पूरी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर रहे. यदि वह अपनी पूरी ताकत के साथ लगें तो न केवल देश बल्कि दुनियाभर में फैशन की नई लहर पैदा कर सकते हैं.

    मुफ्ती और उनकी बाइक की कहानी

    Mr & Mr शुरू करने के 6 साल बाद 1998 में कमल खुशलानी ने मुफ्ती (Mufti) नामक एक फैशनवेयर ब्रांड शुरू कर दिया. कमल ने मुफ्ती को अकेले शुरू किया. उनके पास एक बाइक थी, जिस पर कई किलो कपड़ा लादकर वर्कशॉप पर लेकर जाते. जब कपड़े बन जाते तो उसी बाइक पर लादकर बेचने निकलते थे. उनके पास कोई स्टाफ नहीं था और न ही कोई ऑफिस.

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    कमल खुद बताते हैं कि उनके पास एक बड़ा-सा सूटकेट था, जिसमें वह कपड़े भरते थे और फिर बाइक पर लेकर चलते थे. और उस सूटकेट पर भी मोची द्वारा कई स्ट्रिप लगी थीं. कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा.

    लोगों के प्यार ने बनाया ब्रांड

    कमल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मुफ्ती का नया स्टाइल, फिटिंग और कम्फर्ट लोगों को पसंद आ रहा था. फैशन अब पुराने ढर्रे से हटकर नई लीक पर जा रहा था, जिसमें लोग कम्फर्टेबिलिटी को काफी महत्व देने लगे थे. इन्हीं कारणों से लोगों ने अन्य भारतीय ब्रांड्स के मुकाबले मुफ्ती को तरजीह दी.

    एक समय था जब स्ट्रेच वाली जींस पैंट सिर्फ लड़कियों के लिए बनाई जाती थीं, मगर मुफ्ती ने पुरुषों के लिए इसे लॉन्च किया, जिसे लोगों ने हाथों-हाथ लिया.

    महिलाओं के कपड़े क्यों नहीं बनाते?

    यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि मुफ्ती का पूरा कलेक्शन पुरुषों के फैशनवेयर पर है. महिलाओं के लिए ये कंपनी कुछ नहीं बनाती. ऐसा क्यों है?

    दरअसल, कंपनी ने अपने काम के विस्तार के लिए कुछ साल पहले महिलाओं के लिए भी कपड़े बनाना शुरू किया था. हालांकि उसके बाद जल्दी ही उन्हें आभास हो गया कि मुफ्ती ब्रांड के महिलाओं के कपड़े ज्यादा बिक नहीं रहे. फिर रणनीति बदली गई और केवल पुरुषों के कपड़ों तक ही काम को सीमित किया गया.

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    अब है लंबा-चौड़ा कारोबार

    इस समय की बात करें तो फिलहाल पूरे भारत में कंपनी के 300 से ज्यादा EBO (exclusive brand outlets), लगभग 1200 MBO (multi-brand outlets) और 110 LFS (large format stores, जैसे कि Shoppers Stop और Central) हैं. कंपनी की अपनी वेबसाइट तो है ही, इसके अलावा लगभग सभी बड़ी ई-कॉमर्स साइट्स पर भी मौजूदगी है.

    मुफ्ती के पे-रोल पर डायरेक्ट काम करने वाले लोगों की संख्या 600 से ज्यादा है और अप्रत्यक्ष रूप (indirectly) से 2 हजास से ज्यादा लोगों को रोजगार दिया है.

    Tags: Business, Corporate Kahaniyan, Success Story, Successful business leaders

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