मधुमक्खियों के हमले में मनरेगा मजदूर घायल (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली: मधुमक्खीपालन एक बड़ा उद्योग है. मधुमक्खियों (Honeybee) का पाल कर शहद निकालने इस उद्योग के कारण वैज्ञानिकों को भी मधुमक्खियों पर बहुत से शोध करने पड़ते हैं और इस वजह से उन्हें मधुमक्खियों के बारे में बहुत कुछ पता भी चलता है. हाल में हुए एक शोध में वैज्ञानिकों को ऐसे मधुमक्खियों के बारे में पता चला है जो जरूरत पड़ने पर केवल एक ही जीन (Gene) में बदलाव कर बिना नरमक्खियों की मदद से अपने अंडे बना सकती है.
एक मधुमक्खी बनाने लगती है कि अपने ही क्लोन
कहानी फिल्मी सी लगती है, लेकिन है नहीं. सिडनी यूनिवर्सिटी शोधकर्ताओं को भी यह जानकारी हैरानी भरी लगी. शोधकर्ताओं ने पाया कि दक्षिण अफ्रीका की केप मुधमक्खियों की एपिस मेलिफेरा कैपेनसिस प्रजाति में श्रमिक मधुमक्खी रानी मक्खी बनने के लिए अपना छत्ता बदल कर दूसरे छत्ते में जाकर अपने ही क्लोन उसमें डाल देती है. इस काम के लिए इस मक्खी की मदद एक जीन करता है जिससे वह नर मक्खियों को धोखा देने में कामयाब हो जाती है. यह शोध करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.
आमतौर पर यह होता है मधुमक्खियों में
आमतौर पर मधुमक्खी के छ्त्ते में प्रजनन करने की जिम्मेदारी एक ही मक्खी की होती है जिसे रानी मक्खी कहा जाता है. अन्य मादा मधुमक्खी श्रमिक मधुमक्खियां होती हैं जिनका काम अन्य कार्य करना होता है. यह सामाजिकता मधुमक्खियों की खासियत होती है. जहां रानी मक्खी अन्य मादा मक्खियों को प्रजनन प्रक्रिया में जाने से रोकने का काम भी करती है.
कैसे होता है यह
मधुमक्खियों में मादा श्रमिक मक्खी एक खास तरह की खुशबू पैदा करती है जिससे नर मक्खियों को पता चलता है कि वह प्रजनन के लिए तैयार है. लेकिन रानी मक्खी भी इस खुशबू को शांत करने के लिए एक अलग संकेत अपनी श्रमिक मक्खियों को देती है. और रानी मक्खी का छत्ते पर एकछत्र राज कायम रहता है.
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