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कौन हैं हौती विद्रोही, उन्होंने यूएई पर क्यों किया हमला

यमन के हूती विद्रोहियों (Houthis) ने करीब चार साल बाद सक्रियता दिखाई है. (तस्वीर: akramalrasny / Shutterstock)

यमन के हूती विद्रोहियों (Houthis) ने करीब चार साल बाद सक्रियता दिखाई है. (तस्वीर: akramalrasny / Shutterstock)

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के हवाई अड्डे के पास हुए ड्रोन हमले में दो भारतीय समेत तीन लोगों की मौत ने दुनिया भर का ध्यान ...अधिक पढ़ें

    इस हफ्ते की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात (United Arab Emirates) के आबु धाबी में एक ड्रोन हमला हुआ जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. इसमें दो भारतीय शामिल थे. इस हमले की जिम्मेदारी हूती विद्रोहियों (Houthis) ने ली है. यह सऊदी गठबंधन सेना (Saudi led Forces) और यमन के हूती विद्रोहियों के बीच का नई बात नहीं है. दोनों के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा है. लेकिन पिछले चार साल से हूती विद्रोही शांत रहे थे. लेकिन इस नए हमले ने हूती विद्रोहियों के कुछ और ही इरादे दिखा दिए है. आखिर ये हूती विद्रोही कौन हैं, ये क्या चाहते हैं और सऊदी अरब और उनके साथी देशों के गठबंधन उनके खिलाफ क्यों हैं. ऐसे सवाल एक बार फिर उठ खड़े हुए हैं.

    यमन में संघर्ष
    इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए ईरान समर्थित हुती विद्रोहियों ने चेतावनी दी है कि यूएई एक असुरक्षित देश है जब तक उसका यमन के साथ संघर्ष जारी है. यमन अरब देशों के सबसे गरीब देशों में से एक है. यह देश पिछले सात सालों से गृह युद्ध की विभीषिका झेल रहा है. इस युद्ध की शुरुआत तब हुई थी जब  हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी पर कब्जा कर लिया था.

    संयुक्त अरब अमीरात का शामिल होना
    इस घटना के बाद सऊदी अरब की अगुआई में सेना ने दखल दिया और हूती विद्रोहियों के खिलाफ जंग छेड़ दी. उनका उद्देश्य इलाके में ईरानी दखल को खत्म कर पुरानी सरकार को फिर से स्थापित करना था. संयुक्त अरब अमीरात सऊदी अभियान से साल 2015 में जुड़ा था. तब से यह देश इस संघर्ष शामिल रहा, लेकिन 2019 और 2020 में उसने सेना को हटाने का ऐलान भी किया था.

    कौन हैं हूती
    हुती संगठन 1990 के दशक में हुसैन बदरद्दीन अल हुती ने स्थापित किया है जिसका ताल्लुक यमन के शिया बहुल समुदाय से था. हुती संगठन का एक ही नारा है- अल्लाह महान है, अमेरिका और इजराइल की मौत, यहूदियों को श्राप और इस्लाम की विजय. साल 2004 में यमन सैनिकों ने हुसैन को मार डाला जिसके बाद उसके भाई अब्दुल मलिक ने संगठन की बागडोर संभाली है.

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    यमन में हूती (Houthis) विद्रोहियों को खत्म करने का प्रयास पिछले आठ सालों से चल रहा है. . (तस्वीर: akramalrasny / Shutterstock)

    कैसे विद्रोही हुआ यह समुदाय
    1962 से 1970 तक चले इस  युद्ध में कभी बहुत शक्तिशाली रहे जैदी हाशिये पर आने लगे. इसके बाद 1980 के दशक में सुन्नी समुदाय का वर्चस्व बढ़ने लगा. इसके बाद बहुत से असंतुष्ट यमनी शिया अपने तानाशाह राष्ट्रपति अली अब्दुलाह सालेह से खफा होकर सऊदी विद्रोही समूहों से मिल गए.

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    सालेह की भूमिका
    सालेह ने साल 2012 विरोध के चलते सत्ता छोड़ी, लेकिन हुती ने 2014 में यमन की राजधानी सना को अपने कब्जे में लेकर तत्कालीन राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी को हटा दिया और सालेह से गठबंधन कर लिया. लेकिन हादी एक कमजोर शासक निकले जिससे यमन भुखमरी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से घिर गया. यह देखते ही कि सालेह सऊदी समर्थित गठबंधन की ओर जा रहा है, हूतियों ने दिसंबर 2017 में सालेह को भी मार दिया.

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    युद्ध के हालात की वजह से यमन (Yamen) में मानवाधिकार की स्थिति बहुत ही खराब है. (तस्वीर: akramalrasny / Shutterstock)

    दुनिया की कई और ताकतें भी
    हूतियों का तब से अब तक उत्तर यमन पर कब्जा है, जबकि उनके विरोधियों का बाकी यमन पर, जिन्हें सऊदी अरब का समर्थन है. सऊदी अरब गंठबंधन को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन है. गठबंधन ने दक्षिण यमन से हूतियों को बाहर कर दिया लेकिन वह हूतियों को पूरी से खत्म नहीं सका और यह संघर्ष आज भी जारी है. जबकि यमन में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है महिलाओं बच्चों की स्थिति बदतर हो गई है.

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    संयुक्त अरब अमीरात मार्च 2015 से इस गठबंधन  से जुड़ा और उसकी सेनाएं सालेह के भतीजे के संगठन कासमर्थन कर रही हैं. लेकन यूएई सऊदी अरब की तरह हूती विद्रोहियों का निशाना नहीं रहा. 2019 में यूएई ने यमन से सेनाएं हटाने का ऐलान भी किया था. लेकिन हाल ही में यूएई समर्थित समूह  ने हूतियों पर तीखे हमले किए. इसके बाद हूतियों ने इसी महीने यूएई का एक जहाज अपने कब्जे में कर लिया. अब ताजा हमला हूतियों की एक चेतावनी बताया जा रहा है.

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