आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने से नाराज़ चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने न केवल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से नाता तोड़ लिया है बल्कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का भी फैसला किया है. इसे वो शुक्रवार या फिर सोमवार को पेश करेगी. साथ ही वाईएसआर कांग्रेस भी मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला रही है.
वाईएसआर कांग्रेस का प्रस्ताव शुक्रवार यानि आज ही लोकसभा में पेश हो सकता है. इसके लिए उसने सभी विपक्षी पार्टियों को पत्र लिखकर समर्थन मांगा था. उसके अविश्वास प्रस्ताव का भी टीडीपी समर्थन करेगी. फिर इसके बाद अलग से अपना अविश्वास प्रस्ताव लाएगी.
किस तरह लाया जाता है अविश्वास प्रस्ताव
सबसे पहले विपक्षी दल को लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर को इसकी लिखित सूचना देनी होती है. इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहती हैं
इसे किन स्थितियों में लाया जाता है
जब किसी दल को लगता है कि सरकार सदन का विश्वास या बहुमत खो चुकी है. तब वो अविश्वास प्रस्ताव पेश कर सकती है.
इसे कब स्वीकार किया जाता है
अविश्वास प्रस्ताव को तभी स्वीकार किया जा सकता है, जब सदन में उसे कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो. वाईएसआर कांग्रेस के लोकसभा में नौ सदस्य हैं. वहीं टीडीपी के 16 सांसद हैं.

संसद
अविश्वास प्रस्ताव पर मंजूरी मिलने के बाद क्या होता है
अगर लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं, तो प्रस्ताव पेश करने के 10 दिनों के अदंर इस पर चर्चा जरूरी है. इसके बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग करा सकता है या फिर कोई फैसला ले सकता है.
मोदी सरकार के खिलाफ कितने अविश्वास प्रस्ताव
ये पहली बार होगा जबकि मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है.
लोकसभा में सीटों की स्थिति
अभी लोकसभा में बीजेपी के बीजेपी के 273 सांसद हैं. कांग्रेस के 48, एआईएडीएमके के 37, तृणमूल कांग्रेस के 34, बीजेडी के 20, शिवसेना के 18, टीडीपी के 16, टीआरएस के 11, सीपीआई (एम) के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 9, समाजवादी पार्टी के 7, इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 58 सांसद है. पांच सीटें अभी भी खाली हैं.
क्या मोदी सरकार को खतरा है?
नहीं, मोदी सरकार को खतरा नहीं लगता, क्योंकि उनके पास बीजेपी के 273 सांसद हैं. लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है. ऐसे में इनके दम पर बीजेपी अकेले ही सरकार बना सकती है.
पहला अविश्वास प्रस्ताव कब आया था
भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार अगस्त 1963 में जे बी कृपलानी ने अविश्वास प्रस्ताव रखा था. तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार के ख़िलाफ़ रखे गए इस प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 वोट पड़े और विरोध में 347 वोट.
कितनी बार अविश्वास प्रस्ताव आ चुके हैं
संसद में 26 से ज्यादा बार अविश्वास प्रस्ताव रखे जा चुके हैं. 1978 में ऐसे ही एक प्रस्ताव ने मोरारजी देसाई सरकार को गिरा दिया. इसी तरह के प्रस्ताव पर
सबसे ज़्यादा अविश्वास प्रस्ताव
- सबसे ज़्यादा या 15 अविश्वास प्रस्ताव इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार के ख़िलाफ़ आए.
- लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव की सरकारों ने तीन-तीन बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया.
- 1993 में नरसिंह राव बहुत कम अंतर से अपनी सरकार के ख़िलाफ़ लाए अविश्वास प्रस्ताव को हरा पाए.
- सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का रिकॉर्ड माकपा सांसद ज्योतिर्मय बसु के नाम है. उन्होंने अपने चारों प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रखे थे
वाजपेयी का रिकॉर्ड
स्वयं प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किए हैं.
पहला प्रस्ताव इंदिरा गांधी सरकार के ख़िलाफ़ था और दूसरा नरसिंह राव सरकार के ख़िलाफ़.
प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने दो बार विश्वास मत हासिल करने का प्रयास किया और दोनो बार वे असफल रहे. 1996 में तो उन्होंने मतविभाजन से पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया और 1998 में वे एक वोट से हार गए.
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Tags: Loksabha, NDA, TDP
FIRST PUBLISHED : March 16, 2018, 11:47 IST