20 जनवरी: चीन युद्ध के बाद पूर्वोत्तर में ऐसे हुआ था अरुणाचल का उदय

अरुणाचल प्रदेश में 26 जनजातियां और 100 से ज़्यादा उप जनजातियां हैं.
आप कुदरत से प्यार करते हैं, वनस्पति शास्त्र (Botany) में दिलचस्पी लेते हैं तो भरत के इस ऑर्किड प्रदेश (State of Orchids) को जानिए. अगर आप देश की रणनीतिक सीमाओं की तरफ रुझान रखते हैं तो भी और भाषा, संस्कृति या इतिहास में झांकना चाहते हैं, तो भी इस राज्य के पास यादगार किस्से हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: January 20, 2021, 8:49 AM IST
भारत के पूर्वोत्तर के छोर पर स्थित अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) रणनीतिक लिहाज़ से बेहद अहम रहा है क्योंकि यहां चीन ज़मीन पर नज़र गड़ाए बैठा रहा है. 20 जनवरी 1972 वो तारीख थी जब भारत के केंद्रशासित प्रदेश के रूप में इस राज्य का गठन (Formation of State) हुआ था और नया नाम अरुणाचल प्रदेश रखा गया था. इस नाम का मतलब था कि भारत का ‘सूर्य उदय’ इस पहाड़ी प्रदेश से होता है. लेकिन 49 साल पहले अरुणाचल के केंद्रशासित प्रदेश बनने की कहानी क्या थी? फिर केंद्रशासित प्रदेश से राज्य बनने का किस्सा क्या था?
1912-13 की बात है, जब ब्रिटिश राज ने पश्चिमी हिस्से के बालीपाड़ा इलाके, पूर्वी हिस्से के सादिया फ्रंटियर और दक्षिणी हिस्से में अबोर व मिशिमी पहाड़ियों के साथ ही तिराप फ्रंटियर को जोड़कर उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी के तौर पर गठित किया. इसी का वर्तमान स्वरूप अरुणाचल प्रदेश है. लेकिन 100 साल से भी लंबे इस इतिहास में इस राज्य के बनने के कई दिलचस्प मोड़ छुपे हुए हैं.
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स्टैचू ऑफ यूनिटी तक जाने वाली ट्रेन में Vista Dome कोच क्यों है खास?जब ब्रिटिश राज में नेफा का गठन किया गया तो उत्तरी हिस्से में जो सीमा बनी, उसे मैकमोहन रेखा माना गया जो भारत और चीन के बीच सीमा के तौर पर समझी गई. तिब्बत के साथ क्षेत्रों के जो कई समझौते हुए थे, उनमें से शिमला समझौते के तहत नेफा में मैकमोहन लाइन वजूद में आई थी. पहले चीन इस लाइन पर सहमत था लेकिन दो दिन बाद ही वह मुकर गया और उसने इस सीमा रेखा को मानने वाले दस्तावेज़ पर दस्तखत करने से भी मना किया था.
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भारत 1947 में आज़ाद हुआ तो चीन ने कड़े तेवर दिखाना शुरू किया. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के प्रीमियर झाउ एनलाई के बीच उस वक्त जो पत्र व्यवहार हुआ, उसमें चीन ने 1929 के एक विवादित नक्शे को कोट किया, जिसमें यह हिस्सा चीन के कब्ज़े का दिखाया गया था और भारत ने 1935 से पहले के उन नक्शों को तरजीह दी जिसमें चीन ने भी नेफा को भारत का हिस्सा माना था.
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अस्ल में, 1914 के बाद से ही ब्रिटेन और भारत ने मैकमोहन लाइन वाले नक्शों को ही अपनाया था. बहरहाल, यह विवाद चलता रहा तो चीन ने 1959 में मैकमोहन लाइन का उल्लंघन करते हुए भारतीय सीमा में घुसपैठ की. एक भारतीय चौकी पर कब्ज़ा भी किया, लेकिन 1961 में चीन ने कदम वापस लिये. हालांकि यह पीछे हटना एक साज़िश साबित हुई जब 1962 में चीन ने सेना झोंककर भारत के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया.
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युद्ध के बाद चीन ने वापस मैकमोहन लाइन के करीब तक लौटने की कवायद की और 1963 में भारतीय युद्धबंदियों को रिहा भी किया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद से नेफा को ढंग से गठित किए जाने की कवायद शरू हुई. नेहरू के बाद आने वाले प्रधानमंत्रियों ने भी इस मुद्दे को खासी तरजीह दी क्योंकि चीन का खतरा लगातार बना हुआ था. रणनीतिक तौर पर यहां भारत को विकास और प्रशासन का ढांचा खड़ा करना था.

इसी के मद्देनज़र 20 जनवरी 1972 को नेफा को केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर गठित किया गया . तब रिसर्च के डायरेक्टर विभाबसु दास शास्त्री और चीफ कमिश्नर केएएए राजा ने इस हिस्से का नया नामकरण अरुणाचल प्रदेश के तौर पर किया. केंद्रशासित प्रदेश बनने के 15 साल बाद अरुणाचल प्रदेश पूर्ण राज्य बन सका.
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अरुणाचल से जुड़े दिलचस्प फैक्ट
- सेवन सिस्टर्स के बीच अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे बड़ा है.
- इस राज्य में करीब 1630 किमी की अंतर्राष्ट्रीय सीमा है, जो भारत पड़ोसी देशों चीन, भूटान और म्यांमार से साझा करता है.
- कुल 21 ज़िलों वाले इस राज्य में भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे ज़्यादा क्षेत्रीय भाषाएं दर्ज हैं.
- यहां 11,000 साल पुराने औज़ार पाए जा चुके हैं.
- दुनिया की दूसरा और भारत का सबसे बड़ा बौद्ध विहार अरुणाचल में ही है.
- भारत में स्तनधारियों की सबसे ज़्यादा 200 प्रजातियां अरुणाचल में ही पाई जाती हैं.
- भारत के किसी भी हिस्से से अगर आप अरुणाचल पर्यटन के लिए जाते हैं तो आपको इनर लाइन परमिट लेना होता है.
1912-13 की बात है, जब ब्रिटिश राज ने पश्चिमी हिस्से के बालीपाड़ा इलाके, पूर्वी हिस्से के सादिया फ्रंटियर और दक्षिणी हिस्से में अबोर व मिशिमी पहाड़ियों के साथ ही तिराप फ्रंटियर को जोड़कर उत्तर पूर्व फ्रंटियर एजेंसी के तौर पर गठित किया. इसी का वर्तमान स्वरूप अरुणाचल प्रदेश है. लेकिन 100 साल से भी लंबे इस इतिहास में इस राज्य के बनने के कई दिलचस्प मोड़ छुपे हुए हैं.
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अरुणाचल प्रदेश के ज़िले.
भारत 1947 में आज़ाद हुआ तो चीन ने कड़े तेवर दिखाना शुरू किया. भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के प्रीमियर झाउ एनलाई के बीच उस वक्त जो पत्र व्यवहार हुआ, उसमें चीन ने 1929 के एक विवादित नक्शे को कोट किया, जिसमें यह हिस्सा चीन के कब्ज़े का दिखाया गया था और भारत ने 1935 से पहले के उन नक्शों को तरजीह दी जिसमें चीन ने भी नेफा को भारत का हिस्सा माना था.
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अस्ल में, 1914 के बाद से ही ब्रिटेन और भारत ने मैकमोहन लाइन वाले नक्शों को ही अपनाया था. बहरहाल, यह विवाद चलता रहा तो चीन ने 1959 में मैकमोहन लाइन का उल्लंघन करते हुए भारतीय सीमा में घुसपैठ की. एक भारतीय चौकी पर कब्ज़ा भी किया, लेकिन 1961 में चीन ने कदम वापस लिये. हालांकि यह पीछे हटना एक साज़िश साबित हुई जब 1962 में चीन ने सेना झोंककर भारत के खिलाफ युद्ध शुरू कर दिया.
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युद्ध के बाद चीन ने वापस मैकमोहन लाइन के करीब तक लौटने की कवायद की और 1963 में भारतीय युद्धबंदियों को रिहा भी किया. इस पूरे घटनाक्रम के बाद से नेफा को ढंग से गठित किए जाने की कवायद शरू हुई. नेहरू के बाद आने वाले प्रधानमंत्रियों ने भी इस मुद्दे को खासी तरजीह दी क्योंकि चीन का खतरा लगातार बना हुआ था. रणनीतिक तौर पर यहां भारत को विकास और प्रशासन का ढांचा खड़ा करना था.

पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे ज़्यादा क्षेत्रीय भाषाएं जिस राज्य में हैं, वो अरुणाचल प्रदेश ही है.
इसी के मद्देनज़र 20 जनवरी 1972 को नेफा को केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर गठित किया गया . तब रिसर्च के डायरेक्टर विभाबसु दास शास्त्री और चीफ कमिश्नर केएएए राजा ने इस हिस्से का नया नामकरण अरुणाचल प्रदेश के तौर पर किया. केंद्रशासित प्रदेश बनने के 15 साल बाद अरुणाचल प्रदेश पूर्ण राज्य बन सका.
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अरुणाचल से जुड़े दिलचस्प फैक्ट
- सेवन सिस्टर्स के बीच अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर के राज्यों में सबसे बड़ा है.
- इस राज्य में करीब 1630 किमी की अंतर्राष्ट्रीय सीमा है, जो भारत पड़ोसी देशों चीन, भूटान और म्यांमार से साझा करता है.
- कुल 21 ज़िलों वाले इस राज्य में भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे ज़्यादा क्षेत्रीय भाषाएं दर्ज हैं.
- यहां 11,000 साल पुराने औज़ार पाए जा चुके हैं.
- दुनिया की दूसरा और भारत का सबसे बड़ा बौद्ध विहार अरुणाचल में ही है.
- भारत में स्तनधारियों की सबसे ज़्यादा 200 प्रजातियां अरुणाचल में ही पाई जाती हैं.
- भारत के किसी भी हिस्से से अगर आप अरुणाचल पर्यटन के लिए जाते हैं तो आपको इनर लाइन परमिट लेना होता है.