देखते ही देखते बर्फ से कैसे ढंक गए जापान के हिस्से, क्या होता है स्नो स्टॉर्म?

बर्फ से ढंकी एक कार की तस्वीर pixabay से साभार
जापान में सड़कों पर बर्फ की मोटी परत बिछ गई, कई भवन और वाहन बर्फ में दबने जैसे हालात बन गए. जापान में जानें लेने वाले बर्फीले तूफान (Snow Storm in Japan) का कहर टूटता ही क्यों है? जानिए कि क्या और कैसा होता है यह तूफान.
- News18Hindi
- Last Updated: January 12, 2021, 7:59 AM IST
जापान के कुछ इलाकों के बर्फ में दब जाने की खबरों के बाद बर्फ के तूफान के बारे में काफी चर्चा है. इसे विंटर स्टॉर्म (Winter Storms in Japan) के नाम से भी समझा जाता है. यह इस तरह की मुसीबत होती है, जिसमें बर्फ की बारिश (Snow Rains) काफी तेज़ी से होती है और हाड़ कंपा देने वाली हवाएं भी साथ में चलती हैं. समशीतोष्ण क्लाइमेट (Temperate Climate) वाले इलाकों में बर्फ का ये तूफान केवल सर्दियों के मौसम में ही नहीं बल्कि उससे पहले और कुछ बाद के मौसम में भी आते रहते हैं. ये तूफान कितने खतरनाक (Snow is Dangerous) होते हैं, जापान में हाल में देखा जा रहा है.
जापान में एक महीने के भीतर दूसरी बार आए बर्फीले तूफान से कम से कम 8 लोगों के मारे जाने और करीब 240 लोगों के घायल होने के साथ ही तकरीबन 1000 वाहनों के फंस जाने की खबरें हैं. यही नहीं, बर्फ हटाने के काम में लगे कुछ लोगों की मौत भी हुई. ठंडी हवाओं के इस प्राकृतिक सिस्टम ने उत्तरी और मध्य जापान में खासा कहर ढाया.
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क्या होता है ब्लिज़ार्ड?बर्फीले तूफान में जब तेज़ हवाएं भी चलती हैं और बहुत ज़्यादा बर्फ गिरती है, तो उसे ब्लिज़ार्ड या हिम झंझावात भी कहा जाता है. 1888 से 1947 के बीच और 1990 के दशक में अमेरिका में कई बार इस तरह के ब्लिज़ार्ड रिकॉर्ड किए गए थे. मिसाल के तौर पर 1947 में अमेरिका में दो फीट से ज़्यादा बर्फ गिरी थी. लगातार बर्फ गिरने से 12 फीट तक बर्फ जम गई थी, जो महीनों तक पिघली नहीं थी क्योंकि तापमान गिरा नहीं था.
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इसी तरह, 1993 के तूफान को सुपरस्टॉर्म कहा गया था. जापान के हालिया तूफान के हालात के बारे में कहा जा रहा है कि कुछ हिस्सों में तो 7 फीट तक बर्फ जम चुकी है. यानी कई घर और गाड़ियां बर्फ में दफन हो चुकी हैं. आपको यह भी बताएं कि बहुत दुर्लभ तूफान वो होते हैं, जो गर्मी के मौसम में आते हैं. उत्तर पूर्व अमेरिका में 1816 के तूफान को ऐसा ही कोल्ड समर स्नो स्टॉर्म कहा जाता है.

क्यों आते हैं बर्फ के तूफान?
कुदरत के इस खेल को समझने के लिए आपको कुछ भौगोलिक स्थितियों के बारे में जानना होगा, जिनके चलते बर्फीले तूफान की नौबत आती है.
- समुद्र में कम दबाव के क्षेत्र में चक्रवात के कारण अपेक्षाकृत गर्म हवाओं का चक्र बनता है. अगर सतह के पास पर्याप्त ठंडी हवा नहीं होती तो बर्फ की बारिश हो सकती है.
- चूंकि चक्रवातों के कारण कम दबाव वाले क्षेत्र में हवाएं बहुत तेज़ बहती हैं इसलिए बहुत तेज़ हवाओं से बड़े बर्फीले तूफान बन सकते हैं.
- कितनी बर्फ गिरेगी, यह इससे तय होता है कि गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के ऊपर कितनी तेज़ी से बहती हैं या कितना वाष्प उपलब्ध होता है या तूफान कितनी तेज़ी से बढ़ता है.
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इन तमाम कारणों के साथ बर्फीले तूफान का संबंध झील से भी जुड़ा होता है, जिसे लेक इफेक्ट कहते हैं. एक पर्वतीय बर्फीला तूफान भी होता है. चूंकि चक्रवाती हवाएं नीचे की तरफ से ऊपर की तरफ बह रही होती हैं इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में कभी कभी बहुत भारी बर्फीले तूफान देखे जाते हैं.
खतरे और सावधानियां
बर्फीले तूफान के कारण फ्रॉस्टबाइट की आशंका रहती है यानी चेहरे, उंगलियों और पांव के अंगूठों आदि से फीलिंग चली जाती है. स्नो स्टॉर्म की चपेट में आने से व्यक्ति सुन्न हो सकता है या उसकी त्वचा मोम की तरह रूखी और पीली भी पड़ सकती है. आवाज़ लड़खड़ाना आम लक्षण है. इन स्थितियों में अगर आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री तक पहुंचे तो इसे इमरजेंसी समझना चाहिए. यह हाइपोथर्मिया जानलेवा भी हो सकता है.

स्नो स्टॉर्म ही नहीं बल्कि कड़ाके की ठंड के हालात में आपको किसी गर्म कमरे में जाना चाहिए. खुद को गर्म पानी में भिगोना चाहिए या फिर बॉडी हीट का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन हीटिंग पैड के इस्तेमाल और मसाज से बचना चाहिए. सबसे पहले शरीर के मध्यभाग यानी छाती से सर की तरफ आपको खुद को गर्म करने पर ध्यान देना चाहिए.
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बता दें कि जापान के जोएत्सू इलाके में छह से सात फीट तक बर्फबारी होने से तूफान में सैकड़ों वाहनों और लोगों के फंसने की नौबत भी आई. दिसंबर में जापान के नीगाटा में भी इसी तरह का स्नो स्टॉर्म आया था, जब करीब 2100 वाहन फंस गए थे. इसलिए बर्फीले तूफान के अंदेशों या बर्फबारी की आशंकाओं के बीच आपको बाहर नहीं निकलना चाहिए. कम से कम वाहनों के साथ नहीं क्योंकि फिसलन से बड़े हादसे होते हैं.
जापान में एक महीने के भीतर दूसरी बार आए बर्फीले तूफान से कम से कम 8 लोगों के मारे जाने और करीब 240 लोगों के घायल होने के साथ ही तकरीबन 1000 वाहनों के फंस जाने की खबरें हैं. यही नहीं, बर्फ हटाने के काम में लगे कुछ लोगों की मौत भी हुई. ठंडी हवाओं के इस प्राकृतिक सिस्टम ने उत्तरी और मध्य जापान में खासा कहर ढाया.
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क्या होता है ब्लिज़ार्ड?बर्फीले तूफान में जब तेज़ हवाएं भी चलती हैं और बहुत ज़्यादा बर्फ गिरती है, तो उसे ब्लिज़ार्ड या हिम झंझावात भी कहा जाता है. 1888 से 1947 के बीच और 1990 के दशक में अमेरिका में कई बार इस तरह के ब्लिज़ार्ड रिकॉर्ड किए गए थे. मिसाल के तौर पर 1947 में अमेरिका में दो फीट से ज़्यादा बर्फ गिरी थी. लगातार बर्फ गिरने से 12 फीट तक बर्फ जम गई थी, जो महीनों तक पिघली नहीं थी क्योंकि तापमान गिरा नहीं था.
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इसी तरह, 1993 के तूफान को सुपरस्टॉर्म कहा गया था. जापान के हालिया तूफान के हालात के बारे में कहा जा रहा है कि कुछ हिस्सों में तो 7 फीट तक बर्फ जम चुकी है. यानी कई घर और गाड़ियां बर्फ में दफन हो चुकी हैं. आपको यह भी बताएं कि बहुत दुर्लभ तूफान वो होते हैं, जो गर्मी के मौसम में आते हैं. उत्तर पूर्व अमेरिका में 1816 के तूफान को ऐसा ही कोल्ड समर स्नो स्टॉर्म कहा जाता है.

जापान में तूफान ग्रस्त इलाकों में 7 फीट तक बर्फ जमी है.
क्यों आते हैं बर्फ के तूफान?
कुदरत के इस खेल को समझने के लिए आपको कुछ भौगोलिक स्थितियों के बारे में जानना होगा, जिनके चलते बर्फीले तूफान की नौबत आती है.
- समुद्र में कम दबाव के क्षेत्र में चक्रवात के कारण अपेक्षाकृत गर्म हवाओं का चक्र बनता है. अगर सतह के पास पर्याप्त ठंडी हवा नहीं होती तो बर्फ की बारिश हो सकती है.
- चूंकि चक्रवातों के कारण कम दबाव वाले क्षेत्र में हवाएं बहुत तेज़ बहती हैं इसलिए बहुत तेज़ हवाओं से बड़े बर्फीले तूफान बन सकते हैं.
- कितनी बर्फ गिरेगी, यह इससे तय होता है कि गर्म हवाएं ठंडी हवाओं के ऊपर कितनी तेज़ी से बहती हैं या कितना वाष्प उपलब्ध होता है या तूफान कितनी तेज़ी से बढ़ता है.
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इन तमाम कारणों के साथ बर्फीले तूफान का संबंध झील से भी जुड़ा होता है, जिसे लेक इफेक्ट कहते हैं. एक पर्वतीय बर्फीला तूफान भी होता है. चूंकि चक्रवाती हवाएं नीचे की तरफ से ऊपर की तरफ बह रही होती हैं इसलिए पहाड़ी क्षेत्रों में कभी कभी बहुत भारी बर्फीले तूफान देखे जाते हैं.
खतरे और सावधानियां
बर्फीले तूफान के कारण फ्रॉस्टबाइट की आशंका रहती है यानी चेहरे, उंगलियों और पांव के अंगूठों आदि से फीलिंग चली जाती है. स्नो स्टॉर्म की चपेट में आने से व्यक्ति सुन्न हो सकता है या उसकी त्वचा मोम की तरह रूखी और पीली भी पड़ सकती है. आवाज़ लड़खड़ाना आम लक्षण है. इन स्थितियों में अगर आपके शरीर का तापमान 95 डिग्री तक पहुंचे तो इसे इमरजेंसी समझना चाहिए. यह हाइपोथर्मिया जानलेवा भी हो सकता है.

बर्फीले तूफान में फंसे वाहनों का फाइल फोटो.
स्नो स्टॉर्म ही नहीं बल्कि कड़ाके की ठंड के हालात में आपको किसी गर्म कमरे में जाना चाहिए. खुद को गर्म पानी में भिगोना चाहिए या फिर बॉडी हीट का इस्तेमाल करना चाहिए. लेकिन हीटिंग पैड के इस्तेमाल और मसाज से बचना चाहिए. सबसे पहले शरीर के मध्यभाग यानी छाती से सर की तरफ आपको खुद को गर्म करने पर ध्यान देना चाहिए.
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बता दें कि जापान के जोएत्सू इलाके में छह से सात फीट तक बर्फबारी होने से तूफान में सैकड़ों वाहनों और लोगों के फंसने की नौबत भी आई. दिसंबर में जापान के नीगाटा में भी इसी तरह का स्नो स्टॉर्म आया था, जब करीब 2100 वाहन फंस गए थे. इसलिए बर्फीले तूफान के अंदेशों या बर्फबारी की आशंकाओं के बीच आपको बाहर नहीं निकलना चाहिए. कम से कम वाहनों के साथ नहीं क्योंकि फिसलन से बड़े हादसे होते हैं.