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जानिए सूर्य पर गए बिना वैज्ञानिकों कैसे जाना कि क्या है वहां

इनके अध्ययन से सूर्य की ज्वालाओं के प्रभाव से बचने में मदद मिल सकती है.  (प्रतीकात्मक तस्वीर)

इनके अध्ययन से सूर्य की ज्वालाओं के प्रभाव से बचने में मदद मिल सकती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

सूर्य के बारे में स्पैक्ट्रम विश्लेषण (Spectrum Analysis) से बहुत सारी जानकारी मिलती है. इसकी शुरुआत इससे हुई कि सूर्य ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली:  इंसान की शुरू से ही अंतरिक्ष को समझने की प्रबल इच्छा रही है. उसे चांद तारे तो आकर्षित करते ही रहे, लेकिन सूर्य भी उसके लिए कम कौतूहल का विषय नहीं रहा.सूर्य के बारे में उसने काफी कुछ जाना लेकिन ये जानकारियां हमें कैसे मिले इसकी रोचक कहानिया हैं इनमें एक है सूर्य पर पदार्थों की जानकारी हासिल करने की.

सूर्य पर नहीं जा सकते थे फिर भी मिली बहुत सी जानकारी
सूर्य को लेकर कई सवाल हैं जिनके जवाब आज हम जान चुके हैं. इनमें से कई सवालों के जवाब हमें अपने स्कूल की किताबों में  मिल जाएंगे लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये जवाब हमारे वैज्ञानिकों को कैसे मिले. कैसे हमारे वैज्ञानिकों ने सूरज पर गए बिना, धरती पर ही से सूर्य के बारे में इतना कुछ पता कर लिया.

क्या है सूर्य में , यह जानने की कवायद
इस कड़ी में हम पहले यह जानते हैं कि हमें कैसे पता चला कि सूर्य में आखिर कौन से पदार्थ हैं. हम जानते हैं कि सूर्य सफेद रोशनी से बना है. लेकिन यह सफेद रोशनी वास्तव में कई रंगों के रोशनी से मिलकर बनी है. प्रिज्म से हम इसके प्रमुख सात रंग देख सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने जब इस रोशनी से बिखरे रंगों का सूक्ष्मता से अध्ययन किया तो उन्हें नई जानकारियां मिलने लगीं.

स्पैक्ट्रम ने खोलने शुरू किए सूर्य के रहस्य
वैज्ञानिकों ने सूर्य की रोशनी के स्पैक्ट्रम का अध्ययन किया. 1802 में वैज्ञानिक विलियम हेड वोलेस्टन में इस स्पैक्ट्रम का अध्ययन किया तो पाया कि  इस स्पैक्ट्रम में कुछ काली रेखाएं हैं. इसके कुछ सालों बाद एक बहुत ही खास उपकरण का आविष्कार हुआ जिस हम स्पेक्ट्रोमीटर कहते हैं. यह रोशनी को अच्छे से बिखरा सकता था. जब सूर्य की रोशनी का इसके आविष्कारक जोसेफ वॉन फ्रॉनहोफर ने अध्ययन किया तो पाया कि इसके स्पेक्ट्रम में बहुत सी काली रेखाएं हैं.

क्या था काली रेखाओं का रहस्य
वैज्ञानिकों ने यह भी जाना कि इन काली रेखाओं की जगह खास रंगों को होना चाहिए. यानि खास रंग रोशनी के साथ नहीं आ पा रहे हैं. यदि इसके तरंगों के नजरिए से देखें तो सूर्य की रोशनी बहुत सी तरंगों से मिल कर बनी होती है. इनमें से हर तरंग का एक खास रंग होता है. यानि स्पैक्ट्रोमीटर में कुछ रंगों का न दिखाई देना खास तरंग का न होना बताता है.

पता चलग गया कौन से पदार्थ हैं सूर्य में
दरअसल ये खास तरंगों वाली रोशनी सूर्य में उपस्थित पदार्थ अवशोषित कर लेते हैं और बाकी रोशनी हम तक पहुंच जाती है. जब काली रेखाओं के संगत वाले रंगों की तरंगों के बारे पता किया गया तो यह पता चला कि सूर्य पर हाइड्रोजन, हीलियम, सोडियम कैल्शियम जैसे कई पदार्थ हैं.

सूर्य का स्पैक्ट्रम होता है खास
गर्म ठोस पदार्थ जो रोशनी उत्सर्जित करते हैं वह नियमित स्पैक्ट्रम बनाती है. गर्म दैस खास तरह की रोशनी उत्सर्जित करती हैं. और गर्म ठोस वस्तु जो ठंडी गैसों से घिरी हो वह एक तरह का नियमित स्पैक्ट्रम तो बनाती है, लेकिन उसमें कुछ काली रेखाएं देखने को मिलती है. सूर्य की रोशनी कुछ खास गैसों को स्पैक्ट्रम बनाती है.

तत्वों की मात्रा का अनुमान तक दे देते हैं स्पैक्ट्रम
इतना ही नहीं स्पैक्ट्रम का विश्लेषण करने से काफी कुछ पता चलता है. जैसे किसी तारे के स्पैक्ट्रम में काली रेखाओं की मोटाई और उनके खिसकने से यह तक पता चल सकता है कि अमुक तत्व उस तारे में कितनी मात्रा में हो सकता है.

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Tags: Research, Science

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