बहुत विशाल आकार होने के बाद भी इस तरह के सुपरमासिव ब्लैक होल बहुत मुश्किल से दिखाई देते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
ब्लैक होल बहुत बड़े होते हैं. लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है कुछ ब्लैक होल तारे के आकार के भी होते हैं. वहीं सुपरमासिव ब्लैक होल बहुत बड़े आकार के होते हैं. लेकिन यह कितने बड़े होते हैं इसकी सीमा निश्चित नहीं है. हाल ही में यूके के खगोलविदों ने एक बहुत ही विशाल आकार का सुपरमासिव ब्लैक होल खोजा है जिसका भार हमारे सूर्य से 33 अरब गुना ज्यादा बड़ा है. इसे ब्रह्माण्ड के सबसे बड़े सुपरमासिव ब्लैक होल में एक माना जा रहा है. इस खोज को विज्ञान जगत में एक बड़ी अहम खोज माना जा रहा है कि इतने बड़े ब्लैक होल का अध्ययन कई अनसुलझे रहस्यों को सुलझा सकता है.
गैलेक्सी के केंद्र में
यूके के डरहम यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की खोज के अध्ययन की जानकारी मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुई है. यह ब्लैक होल PBC J2333.9-2343 नाम की गैलेक्सी के केंद्र में देखा गया है जिसकी दिशा अभी पृथ्वी की ओर है जिससे यह खोज संभव हो सकी है. सुपरमासिव ब्लैक होल मिल्की वे जैसी विशाल गैलेक्सी के केंद्र में ही पाए जाते हैं.
आकार ने बढ़ाया महत्व
इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और डरहम यूनिवर्सिटी में भौतिकी विभाग के डॉ जेम्स नाइटेंगल ने इस खोज के बारे में बताया कि यह ब्लैक होल सूर्य से करीब 30 अरब से भी ज्यादा बड़े आकार का है और सैद्धांतिक तौर पर ब्लैक होल कितने बड़े हो सकते हैं उसी पैमाने का है इसीलिए यह ब्लैक होल अध्ययन के लिहाज से बहुत ही रुचिकर है.
ग्रेविटेशनल लेंसिंग का उपयोग
इस ब्लैक होल की खोज के लिए वैज्ञानिकों ने ग्रेविटेशनल लेंसिंग पद्धति का उपयोग किया. इसके पास की गैलेक्सी इसके लिए लिए के मैग्निफाइंग ग्लास की तरह की काम कर रही थी जिससे इसका आकार वास्तविक आकार से ज्यादा बड़ा दिखाई दिया. फिर भी सामान्य तौर पर इस तरह के सुपरमासिव ब्लैक होल की खोज करना भी आसान काम नहीं होता है.
सक्रिय और निष्क्रिय ब्लैक होल
अधिकांश ब्लैक होल जिनके बारे में जानकारी उपलब्ध है, वे सक्रिय अवस्था में होते हैं जबां वे अपने पास के पदार्थ को खींचते हैं जिसे वह गर्म होता और प्रकश,एक्स रे एवं अन्य विकिरण उसके आवरण को विशेष चमक देते हैं जिससे उनकी उपस्थिति का पता चलता है. लेकिन निष्क्रिय ब्लैक होल की पहचान केवल ग्रैविटेशनल लेंसिंग से ही संभव हो पाती है.
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क्या है समस्या
निष्क्रिय ब्लैक होल को देख पाना लगभग असंभव ही होता है क्योंकि इनके आसपास कुछ घटित नहीं होता है जिससे उनकी उपस्थिति का पता चल सके. यह वैज्ञानिकों के लिए गहन अध्ययन का विषय भी होते हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति की जानकारी भी वैज्ञानिकों को स्पष्ट रूप से पता नहीं चल सकी है. कई विशेषज्ञों का मानना है कि ये ब्लैक होल ब्रह्माण्ड के निर्माण की शुरुआत के समय ही बने थे और बाते में वे एक दूसरे से विलय होकर बड़े होते चले गए.
लेंसिंग और सिम्यूलेशन
शोधकर्ताओं ने आगे की गैलेक्सी में इस ब्लैक होल की खोज की है जिसमें पास की गैलेक्सी से गुजरने से उसके गुरुत्व के प्रभाव से उसका प्रकाश मुड़ जाता है. शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटर सिम्यूलेशन के जरिए विभिन्न प्रकाश पथ के अनुसार ब्लैक होल के भार की गणना की औरहर बार अलग ही नतीजे मिले. DiRAC HPC सुविधा में बने सिम्यूलेशन से उन्होंने पता लगा कि करोड़ों प्रकाशवर्ष दूर की गैलेक्सी के अंदर स्थित ब्लैक होल कैसे प्रकाश को मोड़ रहा है.
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सिम्यूलेशन के नतीजों में से एक का आने वाला प्रकाश वास्तविक प्रकाश से मेल खाता दिखा जिससे वैज्ञानिक कई नतीजे निकालने में सफल रहे . यह वास्त्विक प्रकाश हबल स्पस टेलीस्कोप की तस्वीरों दिखाई दे रहा था. जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक भी इस अध्ययन में शामिल थे. अध्ययन से निष्क्रिय और अतिविशालकाय सुपरमासिव ब्लैक होल की खोज संभव होने का रास्ता खुल गया है.
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