अमेरिका चार नवंबर से ईरान से तेल खरीदने वाले देशों के लिए अपने प्रतिबंधों को पूरी तरह प्रभावकारी बना देगा. हालांकि ईरान के खिलाफ प्रतिबंध अमेरिका का द्विपक्षीय मसला है, लेकिन अमेरिका इसमें पूरी दुनिया को खींच चुका है. अमेरिका का साफ कहना है कि नवंबर के बाद अगर किसी देश ने ईरान के साथ बिजनेस जारी रखा, वो अमेरिका के साथ बिजनेस नहीं कर पाएगा. भारत की समस्या भी यही है कि वो चार नवंबर की सीमा अवधि के बाद क्या करे. अगर वो तेल लेना जारी रखेगा तो अमेरिकी प्रतिबंधों की तलवार उसके सामने भी होगी.
क्या होगी अमेरिकी कार्रवाई
- भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों पर असर पड़ेगा. फिलहाल दोनों देशों के बीच व्यापार 115 बिलियन डॉलर का है.
- अमेरिका ऐसी स्थिति में भारत के साथ व्यापार रोक सकता है.
- अमेरिका में बड़े पैमाने पर भारतीयों ने निवेश कर रखा है, उस पर भी असर पड़ेगा.
- जो भारतीय कंपनियां अमेरिका में आईटी सेक्टर में काम कर रही हैं, उनके कामकाज पर असर पड़ेगा.
- परोक्ष तौर पर अमेरिका में बसे भारतीय जिस तरह अपना पैसा स्वदेश में भेजते हैं, वो भी मुश्किल में पड़ सकता है
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- भारत को अमेरिका से अलग-अलग क्षेत्रों में जो सहयोग मिलने वाला था, उस पर असर पड़ सकता है.
- रक्षा संबंधों और रक्षा समझौतों पर असर पडे़गा.
- भारत में अमेरिका जो निवेश करने वाला है, उस पर असर पड़ेगा
- भारतीयों के वीजा और नौकरियों पर प्रभाव पड़ेगा.
-व्यापारिक सौदों और रिश्तों पर असर होगा
भारत की स्थिति
- हकीकत में भारत अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ जाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि इसके प्रत्यक्ष या परोक्ष कई तरह के परिणाम उसे भुगतने पड़ सकते हैं. लिहाजा वो अमेरिका को यही समझाने की कोशिश कर रहा है कि अमेरिका प्रतिबंधों के साथ जाना उस पर किस तरह प्रतिकूल असर डालेगा. केवल भारत ही नहीं बहुत से देश अमेरिका पर इसी तरह का दबाव डाल रहे हैं.
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- यूरोपीय यूनियन के देश आमतौर पर अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ हैं, क्योंकि पिछले दिनों उन्होंने ईरान में बड़े पैमाने पर निवेश किया था या वहां वो अपना प्रोजेक्ट शुरू करने वाले थे.
- पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने ईरान से 114 फीसदी ज्यादा तेल खरीदा है.

अगर भारत ने ईरान से तेल आयात रोका तो उस पर डॉलर के रूप में तेल बिल का वित्तीय बोझ जरूरत से ज्यादा बढ़ जाएगा
क्या करेगा भारत
- भारत ने अमेरिका से कहा है कि ये उसके लिए संभव नहीं है कि वो चार नवंबर तक ईरान से तेल आयात के जीरो स्तर पर पहुंच जाए. हालांकि पिछले कुछ महीनों से वो ईरान से आने वाले तेल लगातार कटौती करेगा.
- भारत लगातार कहता रहा है कि ईरान से तेल आयात खत्म करना उसके लिए मुश्किल है. भारत, चीन के बाद ईरान का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है
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- हालांकि राजनीतिक तौर पर भारत सरकार का रुख अब तक स्पष्ट नहीं है. वैसे विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सार्वजनिक मंचों पर कहती रही हैं भारत ईरान से तेल लेना बंद नहीं करेगा. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि भारतीय रिफानरीज ने तेल आयात में कमी करनी शुरू कर दी है. जून माह में भारत ने एक माह पहले की तुलना में करीब 17 फीसदी कम तेल आयात किया.

अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंधों के बाद तेल बाजार के दामों में अप्रत्याशित उछाल आया है
फिलहाल क्या स्थिति है
- सितंबर और अक्टूबर में ईरान से तेल की लोडिंग 12 मिलियन बैरल प्रति माह से कम हो जाएगी, जो इसी समय में पिछले साल मंगाए जाने वाले तेल से आधी होगी.
- भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का 80 फीसदी तेल आयात करता है.
- अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंधों के चलते विश्व बाजार में तेल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. चूंकि रुपया लगातार गिर रहा है, लिहाजा 2018-19 का भारत का तेल बिल 26 बिलियन डॉलर के आसपास होगा.
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- भारत के स्टेट बैंक ने रिफायनरीज से कहा है कि वो खुद को ईरान द्वारा मंगाए जाने वाले तेल से अलग करें. भारत की कई प्राइवेट कंपनियों ने ईरान से आने वाले क्रूड पर रोक भी लगा दी है.
- भारत के तेल मंत्रालय ने भी रिफायनरीज से तेल आयात कम करने को कहा है.

भारत और ईरान के बीच तेल व्यापार करीब 10 बिलियन डॉलर सालाना का है
भारत के सामने क्या समस्या आएगी
- ईरान का तेल रोकने से भारत की कई रिफायनरीज दिक्कत में आ जाएंगी. उन्हें बनाया ही इस तरह से गया है कि वो ईरान से आए क्रूड को प्रोसेस कर सकें. अगर उन्हें दूसरे देशों के मिले तेल का परिशोधन करना होगा तो सिस्टम में बदलाव करना होगा.
- अंतरराष्ट्रीय बाजार से ना केवल महंगा तेल लेना होगा बल्कि उसका भुगतान भी डॉलर में करना होगा
- ईरान से तेल लेने के दौरान भारत की क्रेडिट लिमिट लंबी होती थी. ईरान से तेल ढुलाई भी सस्ती होती थी
- भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह पर प्रोजेक्ट शुरू किया है. भारत इस प्रोजेक्ट पर 500 बिलियन डॉलर का निवेश कर चुका है. ये प्रोजेक्ट खतरे में पड़ जाएगा.
- इसी तरह भारत, ईरान और अफगानिस्तान मिलकर एक कॉरीडोर पर काम कर रहे थे., उसका भविष्य भी सवालों के घेरे में आ जाएगा.
- इसी तरह भारत के कुछ प्रोजेक्ट ओमान की खाड़ी में भी हैं.

ईरान से तेल आयात रोकने पर कई भारतीय रिफायनरीज मुश्किल में आ जाएंगी, क्योंकि वो बनी ही इस तरह हैं कि ईरान के क्रूड को प्रोसेस कर सकें
पहले क्या होता था
जब बराक ओबामा अमेरिकी राष्ट्रपति थे, तब भी उन्होंने ईरान पर प्रतिबंध लगाए थे लेकिन तब भारत लगातार उससे तेल मंगाता रहता था. तब भारत तेल के दामों का भुूगतान रुपए में करता था.
भारत और ईरान के बीच व्यापार
- भारत और ईरान के बीच 13 बिलियन डॉलर का व्यापार है, जिसमें 10.5 बिलियन डॉलर का क्रूड भारत आयात करता है जबकि 2.5 बिलियन डॉलर के सामान, मशीनरी और कमोडिटीज ईरान को निर्यात करता है.
- भारत से चावल, मशीनरी, इंस्ट्र्मेंट्स, आयरन और स्टील, टैक्सटाइल्स, दवाएं और चाय आदि ईरान को निर्यात करता है
- ईरान क्रूड़ के अलावा भारत को फल और ड्राइफ्रूट्स भी बेचता है
- भारत और ईरान में व्यापार रुपए और रियाल में होता है.

ईरान से तेल खरीदना खत्म कर पाने का मतलब आम आदमी की जेब पर भी ज्यादा बोझ बढेगा
भारत अगर अमेरिका की बात मानता है तो..
- भारत और ईरान के बीच बहुत पुराने संबंध रहे हैं. ये खत्म हो जाएंगे. हालांकि भारत यूरोपीय देशों के माध्यम से कोई ऐसा चैनल और बैंक तलाश रहा है कि वो प्रतिबंधों के बीच कोई रास्ता निकाल पाए.
- ईरान ने कम होते तेल आयात के बीच भारत को चेतावनी दी है कि अब तक उसने भारत को जो प्रिविलेज दर्जा दे रखा है, वो खत्म हो जाएगा.
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और क्या रास्ता निकाल रहा है भारत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अब अपनी शर्तों पर ईरान से तेल खरीदने की तैयारी कर रहा है. ईरान पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों के बाद यूरोपीय बैंकों के जरिए व्यापार मुश्किल हो गया है. ऐसे में भारत अब नवंबर से अपने बैंकों के जरिये भारतीय करेंसी में ही ईरान से तेल खरीदेगा. यानी ईरान से तेल खरीदने पर पेमेंट रुपये में ही होगी. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने ईरान को तेल आयात के बदले पेमेंट की आसानी के लिए यूको बैंक और आईडीबीआई बैंक को चुना है.
फिलहाल भारतीय पेट्रोल रिफाइनर्स यूरो में ईरान से कच्चा तेल खरीदते हैं. इसका पेमेंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) और जर्मनी की एक बैंक के जरिये होता है. हालांकि एसबीआई ने अब रिफाइनर्स को बताया है कि बैंक नवंबर से ईरान की पेंमेंट की जिम्मेदारी छोड़ रहा है.
वहीं एक अन्य सूत्र ने बताया कि जब अमेरिका ने मई में प्रतिबंधों को फिर से लागू करने की घोषणा की थी, तभी ईरान को कुछ कारगोज़ (जहाज की खेप) के लिए रुपये में पेमेंट की गई थी.
जून में ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि भारत ईरान के साथ रुपये में लेनदेन के लिए अपने पुराने तंत्र को दुरुस्त कर रहा है. इससे पहले भी जब प्रतिबंध लगाए गए थे, तब भारत ने तेल खरीदने के लिए बार्टर जैसी स्कीम अपनाई थी. उस समय मिडिल ईस्ट के देशों ने भारत से सामान आयात करने के लिए रुपये में लेनदेन किया था.
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FIRST PUBLISHED : October 05, 2018, 15:30 IST