ग्लोबल वार्मिंग की वजह से दुनिया लगातार गर्म हो रही है. गर्मियों में तापमान बढ़ता ही जा रहा है. बेमौसम बारिश की वजह से कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आपको जानकर हैरानी होगी कि ग्लोबल वार्मिंग का असर सिर्फ पर्यावरण और मौसम पर ही नहीं पड़ रहा है. ग्लोबल वार्मिंग ने लोगों के काम पर भी असर डाला है. यूएन लेबर एजेंसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से भारत में 2030 तक काम के घंटे 5.8 फीसदी तक कम हो जाएंगे. ये 3.4 करोड़ फुल टाइम जॉब के खोने के बराबर होगा.
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा असर एग्रीकल्चर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर पर पड़ेगा. ज्यादा गर्मी होने की वजह से किसान अपने खेतों में ज्यादा वक्त नहीं दे पाएंगे. उसी तरह से निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर भी ज्यादा गर्मी की वजह से प्रभावित होंगे और उनकी उत्पादकता कम होगी.
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) ने रिपोर्ट जारी की है. इसके मुताबिक प्लैनेट के गर्म होने की वजह से काम पर असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा. 2030 तक पूरी दुनिया में काम करने के घंटे करीब 2 परसेंट हर साल की दर से कम होते जाएंगे. ऐसा ज्यादा गर्मी की वजह से काम न होने या फिर सुस्त तरीके से काम होने की वजह से होगा.
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पूरी दुनिया में काम की उत्पादकता पर असर पड़ेगा
रिपोर्ट के मुताबिक इक्कीसवीं सदी के आखिर तक दुनिया का तापमान करीब 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा. बढ़ते तापमान की वजह से 2030 तक पूरी दुनिया में काम के कुल घंटे करीब 2.2 परसेंट तक कम हो जाएंगे. ये तकरीबन 8 करोड़ फुल टाइम जॉब खोने जैसा होगा. अगर फायनेंसियल लॉस के हिसाब से सोचें तो 2030 तक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से करीब 2400 अरब डॉलर का नुकसान होगा. अगर सदी के अंत तक तापमान में और वृद्धि होती है तो ये नुकसान और बड़ा हो सकता है.

कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम के घंटे कम होंगे
ग्लोबल वार्मंग का सबसे ज्यादा प्रभाव दक्षिण एशिया के देशों पर पड़ेगा. यहां काम के घंटों का ज्यादा नुकसान होगा. एक अनुमान के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 2030 तक करीब 5.3 परसेंट काम के घंटे कम हो जाएंगे. ये 4.3 करोड़ फुल टाइम जॉब खोने के बराबर होगा. दक्षिण एशिया के करीब दो तिहाई देश करीब 2 परसेंट का नुकसान झेलने को मजबूर होंगे.
भारत में ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा नुकसान
भारत का नुकसान और बड़ा है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से 1995 में काम के घंटों में 4.3 परसेंट का नुकसान हुआ था. अब 2030 तक ये बढ़कर 5.8 परसेंट हो जाएगा. भारत की आबादी भी ज्यादा है. इस वजह से 2030 तक करीब 3.4 करोड़ फुल टाइम जॉब खोने जैसा होगा. भारत में सबसे ज्यादा असर खेती के काम काज पर पड़ेगा. चिंताजनक बात ये है कि खेती के कामधंधे से ही आबादी का बड़ा हिस्सा जुड़ा है. कंस्ट्रक्शन सेक्टर पर भी बुरा असर होगा. मजदूरों को काम करने में परेशानी होगी. जिसका सीधा असर निर्माण क्षेत्र की उत्पादकता पर पड़ेगा.

ग्लोबल वार्मिंग का सबसे ज्यादा असर कृषि में उत्पादकता पर पड़ेगा
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से विभिन्न देशों के जीडीपी पर भी पड़ेगा. एक अनुमान के मुताबिक थाईलैंड, कंबोडिया, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों की जीडीपी पर करीब 5 फीसदी तक का असर पड़ेगा.
ये भी पढ़ें: सिंगापुर में बसों की छत पर उगाए जा रहे हैं पौधे, एसी की जरूरत नहीं पड़ती, ईंधन भी बचता है
#MissionPaani: पानी-पानी मुंबई क्यों नहीं जुटा पाता अपने लिए पीने का पानी ?
#MissionPaani: ये हैं वो देश जिन्होंने सबसे अच्छे तरीके से पानी के संकट को दूर किया
#MissionPaani: 10 साल पहले भारत जैसी थी स्थिति, अब इजरायल में नहीं होती पानी की किल्लतब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
Tags: Bad weather, Global warming, India agriculture, Job loss, Jobs news, Weather Alert
FIRST PUBLISHED : July 04, 2019, 12:15 IST