पिछले कुछ सालों में भारतीय नौसेना (Indian Navy) की क्षमताओं में भी वृद्धि की जा रही है. (तस्वीर: Wikimedia Commons)
भारत की सुरक्षा के लिए सेना के तीनों का अंगों का अपना महत्व है. थल सेना, नौसेना (Indian Navy) और वायुसेना. लेकिन क्या पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों के साथ युद्ध की स्थिति में भारतीय नौसेना की भूमिका वायुसेना और थलसेना की तुलना में कुछ कम नहीं हो जाएगा. भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए ऐसा ही लगता है, लेकिन अगर आपको भी ऐसा ही लगता है तो आपको 1971 में हुए भारत पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध (Indo-Pak War 1971) और उसमें भारत के ऑपरेशन त्रिशूल या ऑपरेशन ट्रिडेंट (Operation Trident) के बारे में जानना चाहिए जिसमें भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. उसी दिन यानि 4 दिसंबर को हम हर साल नौसेना दिवस (Indian Navy Day 2022) के रूप में मनाते हैं.
4 दिसंबर और ऑपरेशन ट्रिडेंट
1971 में चार दिसंबर को ही भारत ने पाकिस्तान पर ऑपरेशन ट्रिडेंट के रूप में ऐसा हमला किया था कि पाकिस्तान के कराची नौसैनिक अड्डे पर हमला कर उसे तबाह कर दिया था. जिसके बाद पाकिस्तान युद्ध में उबर नहीं सका और अंततः उसे घुटने टेकने पड़े और इसके बाद बांग्लदेश का उदय हुआ था. तभी भारतीय नौसेना 4 दिसंबर को ही अपना दिवस मना रही है. जबकि उससे पहले यह तरीख कई बार बदल गई थी.
पाकिस्तान के हमले का जवाब
पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारत के वायु और सीमा क्षेत्र पर हमला किया था जिससे इस युद्ध की शुरुआत की थी. लेकिन भारत ने भी इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दिखाते हुए ऑपरेशन त्रिशूल या ऑपरेशन ट्रिडेंट चलाया जिसमें भारतीय नौसेना की एक टीम ने कराची के तट पर मौजूद पाकिस्तानी जहाजों पर अचानक तीखा हमला कर दिया था.
क्या हुआ था भारते के उस हमले में
इस टीम में भारत की ओर से एक मिसाइल ढोने वाली नाव और दो युद्ध पोत थे. यह पहली बार था जब भारत ने किसी जहाज पर एंटीशिप मिसाइल से हमला किया था. इससे भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के चार जहाजों और तेल टैंकरों को नष्ट कर पूरा कराची बंदरगाह ही तहस नहस कर दिया था. टैंकरों की आग इतनी भयानक थी कि 60 किलोमीटर की दूरी से आग की लपटें दिख रही थीं और यह आग सात दिन तक बुझाई नहीं जा सकी थी.
पाकिस्तान नहीं था इसके लिए तैयार
यह हमला भारत कै ओर से 4 और 5 दिसंबर की रात को किया गया था. यह पूरा अभियान कमोडोर कासरगोड पट्टानशेट्टी गोपाल राव के नेतृत्व में भारतीय नौसेना ने अंजाम दिया था. पाकिस्तान का इसका जवाब देने के लिए कोई तैयारी नहीं थी क्योंकि उसका ध्यान केवल भारत-पाकिस्तान की जमीनी सीमा पर था.
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बैकफुट पर आया पाकिस्तान
ऑपरेशन ट्रिडेंट के कारण पाकिस्तान के सैंकड़ों सैनिक एक ही रात के हमले से मारे गए थे. इस हमले से पाकिस्तानी सेना के हौसले ही पस्त नहीं हुए, बल्कि वह बैकफुट पर भी आ गया क्योंकि इसके कारम पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक कोई मदद पहुंचाने में अब सक्षम नहीं रह गया था और यही बात इस युद्ध में निर्णायक साबित हुई.
युद्ध का टर्निंग प्वाइंट कैसे
लेकिन पाकिस्तान की उम्मीद के खिलाफ भारत ने उसे नौसेना के जरिए चौंका कर जो बैकफुट पर धकेला, उसके बाद पाकिस्तान के संभलने का मौका नहीं मिला. इतना ही नहीं भारतीय नौसना की रणनीति का ही नतीजा था कि पश्चिमी पाकिस्तान पूर्वी पाकिस्तान तक कोई भी मदद अपने नौसेना के जरिए नहीं पहुंचा सका.
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बदल दी नौसेना दिवस की तारीख
ऑपरेशन ट्रिडेंट की वजह से ही भारतीय नौसेना अपनी परंपरा में बदलाव किया. इससे पहले हमारे देश की नौसेना 15 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाती थी. और उससे पहले द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से एक दिसंबर को. लेकिन इस युद्ध के बाद से तय किया गया कि 4 दिसंबर को ही देश नौसेना दिवस और 1 से 7 दिसंबर तक नौसेना सप्ताह मनाया करेगा.
ऑपरेशन ट्रिडेंट बताता है कि किसी युद्ध में नौसेना के महत्व को किसी भी सूरत में नकारा नहीं जा सकता है. इस बात में कोई शक नहीं कि पिछले कुछ सालों में भारत के लिहाज से नौसेना का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ा है. यह बात हैरानी की लगती है कि जहां भारत और चीन के बीच तनाव का प्रमुख कारण लद्दाख, डोकलाम और अन्य जमीनी सीमा मुद्दे लगते हैं. लेकिन वैश्विक परिदृश्य के लिहाज से देखें को चीन अपना वर्चस्व हिंद महासागर में बढ़ा रहा है. ऐसे में भारतीय नौसेना का महत्व और बढ़ता जा रहा है.
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