होम /न्यूज /नॉलेज /कोरोना वायरस के डर से सो तक नहीं पा रहे भारतीय, दुनियाभर में लगातार बढ़ रहे हैं डिप्रेशन के केस

कोरोना वायरस के डर से सो तक नहीं पा रहे भारतीय, दुनियाभर में लगातार बढ़ रहे हैं डिप्रेशन के केस

दुनियाभर में कोरोना वायरस संकट के बीच डिप्रेशन और नर्वसनेस के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं.

दुनियाभर में कोरोना वायरस संकट के बीच डिप्रेशन और नर्वसनेस के मामले भी तेजी से सामने आ रहे हैं.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के डर के कारण दुनियाभर में लोग अवसाद (Depression) और घबराहट (Nervousness) का शिकार हो रहे है ...अधिक पढ़ें

    दुनिया के ज्‍यादातर देशों में तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए मामला आना जारी है. भारत (India) भी ऐसे ही देशों की सूची में शामिल है. केंद्र सरकार ने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया है. अब आसार जताए जा रहे हैं कि कुछ शर्तों के साथ लॉकडाउन-4 भी लागू किया जा सकता है. इस बीच लोगों को कोरोना वायरस के साथ ही नहीं दिखाई देने वाली एक और मुसीबत से जूझना पड़ रहा है.

    डेढ़ महीने से ज्‍यादा समय से घर में बैठे लोगों में अकेलेपन, खालीपन और संक्रमण के डर के कारण डिप्रेशन (Depression) और घबराहट (Nervousness) की स्थिति पैदा हो रही है. एक शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्‍यादा लोग ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस के डर के कारण ठीक से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. वहीं, दुनियाभर में डिप्रेशन के मरीजों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है.

    अमेरिका में 50 फीसदी लोगों के दिमाग पर बुरा असर
    दुनियाभर में मई को मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य जागरूकता माह के तौर पर मानाया जाता है, लेकिन अब तक कभी भी ये इतना प्रासंगिक नहीं रहा होगा. अमेरिका में फेडरल एजेंसियां और विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों में मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं काफी तेजी से बढ़ रही हैं. उनके मुताबिक, ये भयंकर मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य संकट की शुरुआत भर है. वीओए न्‍यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, केजर फैमली फाउंडेशन के सर्वे में अमेरिका के करीब 50 फीसदी लोगों का कहना था कि कोरोना वायरस उनके दिमागी संतुलन को खराब कर कर रहा है.

    जब लोगों को अपने करीबी, पहचान वाले, साथ काम करने वाले या घर के आसपास किसी के संक्रमित होने की जापनकारी मिलती है तो घबराहट बहुत ज्‍यासदा होने लगतीर है.


    केजर फैमली फाउंडेशन ने 1,226 लोगों पर ये सर्वे 25-30 मार्च के बीच किया था. इसके नतीजों में 3 फीसदी गलती की गुंजाइश भी रखी गई थी. सर्वे में 45 फीसदी व्‍यस्‍कों ने कहा कि वैश्विक महामारी उनके दिमाग पर नाकारात्‍मक असर डाल रही है. वहीं, 19 फीसदी का कहना था कि इससे उनके दिमाग पर बहुत बुरा असर हो रहा है. होम क्‍वारंटीन या क्‍वारंटीन सेंटर्स में रखे गए लोगों की हालत ज्यादा खराब है.

    परिवार की सेहत को लेकर 72 फीसदी भारतीय चिंतित
    कोरोना संकट के दौर में लोगों को नींद नहीं आ रही है. लोग उदास और डरा हुआ महसूस कर रहे हैं. वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट, कई यूनिवर्सिटी के शोध और मेडिकल जर्नल में पहले ही ये सामने आ चुका है कि इस दौरान लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं. भारत में भी जैसे-जैसे कोरोना मरीजों की संख्‍या और मौत के मामले बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे लोगों में घबराहट भी बढ़ रही है. एशियन जर्नल ऑफ सायकाइट्री में प्रकाशित शोध के मुताबिक, भारत में 10 फीसदी से ज्‍यादा लोग कोरोना वायरस के डर की वजह से सही से नींद भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

    सर्वे के मुताबिक, भारत में 40 फीसदी लोग ऐसे हैं, जिनका दिमाग कोरोना वायरस से संक्रमण के बारे में ख्‍याल आते ही अस्थिर हो जाता है. वे काफी देर तक इसके अलावा कोई दूसरी बात सोच ही नहीं पाते हैं और उनका दिमाग अस्थिर हो जाता है. वहीं, कोरोना संकट के बीच अपने परिवार की सेहत को लेकर बहुत ज्‍यादा चिंतित रहने वालों की तादाद 72 फीसदी है.

    पहचान के व्‍यक्ति के संक्रमित होने पर असर ज्‍यादा
    भारत में 41 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर उनकी पहचान या उनके ग्रुप या उनके कार्यस्‍थल का कोई व्‍यक्ति बीमार होता है तो घबराहट कई गुना बढ़ जाती है. वहीं, घर के आसपास किसी के संक्रमित पाए जाने पर हिम्‍मत ही जवाब दे जाती है. भारत में 24 मार्च को लगाए गए लॉकडाउन के पांचवे दिन ही स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा था कि कोरोना वायरस के डर और लॉकडाउन के चलते लोगों में मानसिक तनाव की खबरें मिल रही हैं.

    ब्रिटेन में 23 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के अगले ही दिन डिप्रेशन और नर्वसनेस के मामलों में तेज उछाल दर्ज किया गया था.


    डब्‍ल्‍यूएचओ की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7.5 फीसदी भारतीयों को कोई ना कोई मानसिक रोग है. इनमें 70 फीसदी को ही इलाज मिल पाता है. इसी रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 में भारत की 20 फीसदी जनसंख्या का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं होगा. साथ ही बताया गया था कि भारत में उपलब्‍ध 4,000 विशेषज्ञों के लिए यह संख्या बहुत ज्यादा होगी.

    ब्रिटेन में एक ही दिन में बहुत बढ़े डिप्रेशन के केस
    कोरोना वायरस के कारण ब्रिटेन भी भारी दबाव और मुसीबत में है. द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में भी लोगों में अवसाद के ज्‍यादा मामले सामने आ रहे हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ शेफिल्ड और अल्सटर यूनिवर्सिटी के शोध के मुताबिक, लॉकडाउन के बाद यहां अचानक डिप्रेशन बढ़ा है. लॉकडाउन के दूसरे ही दिन 38 फीसदी लोगों में अवसाद और 36 फीसदी लोगों में घबराहट के लक्षण सामने आए थे.

    चौंकाने वाली बात है कि ब्रिटेन में लॉकडाउन की घोषणा से एक दिन पहले तक अवसाद के मामले 16 फीसदी और घबराहट के मामले 17 फीसदी ही थे. बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए ब्रिटेन में 23 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई थी. दोनों यूनिवर्सिटी की ओर से 2,000 से ज्‍यादा लोगों पर किए गए इस शोध में पता चला कि सबसे ज्‍यादा डिप्रेशन के मामले 35 साल से कम उम्र के लोगों में सामने आए थे यानी ज्‍यादा उम्र के लोग इसे डील करने में कुछ हद तक सक्षम होते हैं.

    ये भी देखें:

    जानें क्‍या कोरोना संकट के बीच सुरक्षित है एसी ट्रेन से सफर करना

    लॉकडाउन के दौरान दुनिया के कुछ नेताओं की लोकप्रियता बढ़ी, मोदी सबसे ऊपर

    वैज्ञानिकों ने खोजी कोरोना वायरस को इंसान के शरीर में ही खत्‍म कर देने वाली एंटीबॉडी

    सबसे ताकतवर सुपरनोवा से निकली 200 खरब गीगाटन टीएनटी क्षमता के धमाके के बराबर एनर्जी

    औषधीय भांग से बनी दवा हो सकती है कोरोना वायरस का कारगर इलाज!

    Tags: Coronavirus in India, Coronavirus pandemic, Coronavirus Updates, COVID-19 pandemic, Depression, Global pandemic, Health News, Lockdown-3, World news

    टॉप स्टोरीज
    अधिक पढ़ें