देश के पहले लोकपाल चुन लिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज पिनाकी चंद्र घोष देश के पहले लोकपाल होंगे. चयन समिति ने शुक्रवार को एक बैठक में उनके नाम पर मुहर लगाई. चयन समिति में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तरुण गोगोई, लोकसभा स्पीकर
सुमित्रा महाजन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लॉ मेकर्स ने उनके नाम पर अंतिम फैसला किया. उनके कार्यभार संभालने का नोटिफिकेशन अगले सप्ताह जारी किया जा सकता है.
कौन हैं जस्टिस पीसी घोष?
जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष (PC Ghosh) वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं. वे रिटायर सुप्रीम कोर्ट जस्टिस हैं. उससे पहले आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. कलकत्ता हाईकोर्ट में जस्टिस भी रह चुके हैं. पीसी घोष का जन्म 28 मई, 1952 को कलकत्ता के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शंभू चंद्र घोष के घर हुआ था.
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कलकत्ता के सेंट जेवियर्स कॉलेज से शुरुआती पढ़ाई के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता से कॉमर्स में स्नातक किया. लेकिन इसके बाद एलएलबी की. इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट व आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट से होते हुए वे 8 मार्च, 2013 को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. यहां से वे 27 मई, 2017 को रिटायर हुए.
पांच पीढ़ियों से विधि क्षेत्र में है जस्टिस घोष का परिवार
जस्टिस पीसी घोष का परिवार विधि के क्षेत्र में पांच पीढ़ियों से कार्यरत है. वह अपने परिवार के पांचवीं पीढ़ी में इसी क्षेत्र में आए. इससे पहले उनके पिता कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे, वहीं उनका मूल देवन बनारसी घोष के घर से है. साल 1857 में पहली भारतीय सदर दिवानी अदालत में इन्हीं के घर से हर चंद्र घोष पहले भारतीय मुख्य जज बने थे.
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जस्टिस पीसी घोष के कार्यकाल के कुछ खास फैसले
जस्टिस पीसी घोष को कड़े फैसलों के लिए जाना जाता है. हाल ही में वे तब चर्चा में आ गए थे जब बाबरी मस्जिद केस में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं खिलाफ फैसला सुनाते हुए उनपर केस चलाने का आदेश दिया था.
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मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत 13 भाजपा नेताओं पर विवादित ढांचा गिराने की साजिश का केस चलाने का आदेश पीसी घोष और रोहिंटन नरीमन के पीठ ने ही दिया था.
यही नहीं मामले के जल्दी निपटारे के लिए जस्टिस पीसी घोष ने अयोध्या मामले में रोज सुनवाई करने का आदेश दिया था.
इसके अलावा जस्टिस पीसी घोष ने सरेंडर करने के लिए ज्यादा वक्त मांगने पर शशिकला की अपील ठुकरा दी थी.
बतौर मानवाधिकार आयोग सदस्य उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से होने वाले पलायन को लेकर वहां की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया था. इससे पहले भी चाहे एनडीएमसी का मामला हो या फिर सतलुज-यमुना लिंक नहर का मामला जस्टिस पीसी घोष के फैसलों को कड़े फैसलों में गिना जाता है.
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क्या होगी पहले लोकपाल जस्टिस पीसी घोष की ताकत
भारतीय लोकपाल के पास भारत के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों, सरकारी कर्मचारियों व सरकार के अंतर्गत आने वाले संस्थानों के कर्मचारियों के खिलाफ शिकायत मिलने पर उनकी जांच कराने का अधिकार होता है. यह किसी मामले में सीधे किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को भ्रष्टाचार का रोकथाम अधिनियम के तहत सीबीआई तक को जांच सौंप सकते हैं.
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Tags: Lokpal, Narendra modi, Sumitra mahajan, Supreme Court, Supreme court of india
FIRST PUBLISHED : March 17, 2019, 14:45 IST