क्यों फ्लाइट लेने के लिए इंडोनेशिया दुनिया का सबसे खराब मुल्क है?

इंडोनेशिया में अब तक 104 विमान हादसे हो चुके हैं- सांकेतिक फोटो (pixabay)
इंडोनेशिया में अब तक 104 विमान हादसे (Indonesia flight accident) हो चुके हैं, जिसमें 2,353 मौतें हो चुकी हैं. यहां तक कि इस देश को उड़ान भरने के लिए सबसे असुरक्षित देश माना जाने लगा.
- News18Hindi
- Last Updated: January 11, 2021, 11:19 AM IST
इंडोनेशिया में शनिवार को एक फ्लाइट क्रैश में क्रू सदस्यों समेत सभी 62 यात्रियों की मौत हो गई. विमान का मलबा जावा सागर में 23 मीटर की गहराई में मिला. फिलहाल विमान हादसे का कारण पता नहीं चल सका है. उड़ान भरने के चार मिनट बाद ही विमान का संपर्क खत्म हो गया, जिसके बाद उसका मलबा बरामद हुआ. वैसे इंडोनेशिया में विमान हादसे लगातार हो रहे हैं. यहां तक कि इस देश को उड़ान भरने के लिए सबसे असुरक्षित देश माना जाने लगा.
अक्टूबर 2018 में भी इंडोनेशियाई लायन एयर की एक फ्लाइट समुद्र में क्रैश हो गई थी, जिसमें विमान में शामिल 189 लोगों की मौत हो गई थी. ये हादसा भी उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के भीतर हुआ था और मलबा इस बार की तरह ही समुद्र में मिला. इंडोनेशियाई एविएशन इंडस्ट्री पर इस बीच लगातार सवाल हो रहे हैं. यहां पर हवाई जहाजों का खराब रखरखाव, पायलेटों की बेहतर ट्रेनिंग न होना और कम्युनिकेशन या फिर किसी तरह की मशीनी दिक्कत जैसे कारण सामने आते रहे.

इस देश की बात करें तो यहां पर अब तक 104 विमान हादसे हो चुके हैं, जिसमें 2,353 मौतें हो चुकी हैं. ये आंकड़ा Aviation Safety Network का है, जो बताता है कि इंडोनेशिया में एविएशन इंडस्ट्री के हाल कितने खस्ता हैं.ये भी पढ़ें: न्यूक्लियर लॉन्च कोड, जिससे केवल 30 मिनट में US का राष्ट्रपति परमाणु हमला कर सकता है
ताजा विमान हादसे की फिलहाल कोई वजह सामने नहीं आई है. ये एयरलाइन 737 जेट की श्रेणी का था, जो अब तक के सबसे सफल मॉडलों में से है. इस मॉडल की शुरुआत साल 1967 में हुई थी और इसके बाद से उसमें कई बदलाव हो चुके हैं. हादसे का शिकार हुआ विमान बोइंग 737-500 सीरीज का था, जिसने शनिवार शाम को जकार्ता के सोकार्नो-हट्टा हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी. यानी विमान की बनावट में अब तक कोई खराबी नहीं देखी जा सकी है.
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हालांकि इसका एक पक्ष ये भी है कि कमर्शियल एयरलाइंस अपना जेट हर 25 साल पर बदल देती हैं. इस लिहाज से ये एक साल पुराना हो चुका था. इसके अलावा श्रीविजया बोइंग की आयु औसतन 17 साल है. तो विमान इतना पुराना नहीं था कि उसमें उम्र के कारण दिक्कत आए.

तब क्या विमान की दिक्कत की बजाए ये मौसम की कोई दिक्कत थी?
इस बारे में भी कोई पक्की जानकारी नहीं, लेकिन दूसरी ओर ये बात भी है कि इंडोनेशिया में मौसम तेजी से बदलता रहता है. यहां पर दुनिया के सबसे ज्यादा द्वीप हैं, जो लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक फैलाए जा सकते हैं. यही कारण है कि यहां पर लगातार तूफान और बिजली कड़कना आम बात है. इसका अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1988 में बोगोर शहर में साल के 322 दिनों तक लगातार तूफान आया था.
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इंडोनेशिया में ज्वालामुखी का फटना भी होता आया है. इसके कारण वायुमंडल में धूल उड़ती है जो विमान के इंजन में जाकर उसे चोक करने लगती है. इससे इंजन फेल होने का डर रहता है. यही कारण है कि साल 2019 में ही बाली द्वीप ने अपने एयरपोर्ट से ढेर सारी फ्लाइट्स या तो कैंसल कर दी थीं या फिर उनकी दिशा बदल दी गई थी. बता दें कि उसी साल वहां माउंट आगुंग ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था, जिसकी धूलभरी राख द्वीप के दक्षिणी हिस्से में फैल गई थी.

संचार का खराब होना भी इंडोनेशयाई एविएशन इंडस्ट्री की एक समस्या है. साल 2014 में एयर एशिया की एक फ्लाइट ने सूरबाया द्वीप से उड़ान भरी. लेकिन उड़ान के दौरान इंडोनेशियाई पायलेट और फ्रेंच को-पायलेट के आपसी संवाद में कोई समस्या आ गई. इसका नतीजा ये हुआ कि विमान तेजी से आगे बढ़ा, ऊपर उठा और सीधा समुद्र में जा गिरा.
इंडोनेशिया में खूबसूरत द्वीपों के कारण यहां दुनियाभर के सैलानी सैर-सपाटे के लिए आ रहे हैं. यानी यहां पर्यटन इंडस्ट्री अपने उफान पर है. पर्यटकों को फ्लाइट की कमी न देखनी पड़े, इसके लिए वहां की सरकार एविएशन सर्विस बढ़ा भी रही है. वर्तमान में यहां लगभग 60 मिलियन सैलानी आ सकें, इसके लिए जहाज जुटाए जा चुके हैं. कोरोना से पहले इस देश ने लगभग 80 मिलियन लोगों को एविएशन सर्विस दी.
इसके बाद भी यहां का मौसम और पायलेटों की ट्रेनिंग जैसी चीजों में गड़बड़ी कोरोना खत्म होने के बाद सीधे यहां के पर्यटन पर असर डाल सकती है.
अक्टूबर 2018 में भी इंडोनेशियाई लायन एयर की एक फ्लाइट समुद्र में क्रैश हो गई थी, जिसमें विमान में शामिल 189 लोगों की मौत हो गई थी. ये हादसा भी उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों के भीतर हुआ था और मलबा इस बार की तरह ही समुद्र में मिला. इंडोनेशियाई एविएशन इंडस्ट्री पर इस बीच लगातार सवाल हो रहे हैं. यहां पर हवाई जहाजों का खराब रखरखाव, पायलेटों की बेहतर ट्रेनिंग न होना और कम्युनिकेशन या फिर किसी तरह की मशीनी दिक्कत जैसे कारण सामने आते रहे.

ताजा विमान हादसे की फिलहाल कोई वजह सामने नहीं आई है- सांकेतिक फोटो (pixabay)
ताजा विमान हादसे की फिलहाल कोई वजह सामने नहीं आई है. ये एयरलाइन 737 जेट की श्रेणी का था, जो अब तक के सबसे सफल मॉडलों में से है. इस मॉडल की शुरुआत साल 1967 में हुई थी और इसके बाद से उसमें कई बदलाव हो चुके हैं. हादसे का शिकार हुआ विमान बोइंग 737-500 सीरीज का था, जिसने शनिवार शाम को जकार्ता के सोकार्नो-हट्टा हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी. यानी विमान की बनावट में अब तक कोई खराबी नहीं देखी जा सकी है.
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हालांकि इसका एक पक्ष ये भी है कि कमर्शियल एयरलाइंस अपना जेट हर 25 साल पर बदल देती हैं. इस लिहाज से ये एक साल पुराना हो चुका था. इसके अलावा श्रीविजया बोइंग की आयु औसतन 17 साल है. तो विमान इतना पुराना नहीं था कि उसमें उम्र के कारण दिक्कत आए.

इंडोनेशिया में खूबसूरत द्वीपों के कारण यहां दुनियाभर के सैलानी सैर-सपाटे के लिए आ रहे हैं- सांकेतिक फोटो (pixabay)
तब क्या विमान की दिक्कत की बजाए ये मौसम की कोई दिक्कत थी?
इस बारे में भी कोई पक्की जानकारी नहीं, लेकिन दूसरी ओर ये बात भी है कि इंडोनेशिया में मौसम तेजी से बदलता रहता है. यहां पर दुनिया के सबसे ज्यादा द्वीप हैं, जो लंदन से लेकर न्यूयॉर्क तक फैलाए जा सकते हैं. यही कारण है कि यहां पर लगातार तूफान और बिजली कड़कना आम बात है. इसका अनुमान आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1988 में बोगोर शहर में साल के 322 दिनों तक लगातार तूफान आया था.
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इंडोनेशिया में ज्वालामुखी का फटना भी होता आया है. इसके कारण वायुमंडल में धूल उड़ती है जो विमान के इंजन में जाकर उसे चोक करने लगती है. इससे इंजन फेल होने का डर रहता है. यही कारण है कि साल 2019 में ही बाली द्वीप ने अपने एयरपोर्ट से ढेर सारी फ्लाइट्स या तो कैंसल कर दी थीं या फिर उनकी दिशा बदल दी गई थी. बता दें कि उसी साल वहां माउंट आगुंग ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था, जिसकी धूलभरी राख द्वीप के दक्षिणी हिस्से में फैल गई थी.

इंडोनेशिया में ज्वालामुखी का फटना भी होता आया है
संचार का खराब होना भी इंडोनेशयाई एविएशन इंडस्ट्री की एक समस्या है. साल 2014 में एयर एशिया की एक फ्लाइट ने सूरबाया द्वीप से उड़ान भरी. लेकिन उड़ान के दौरान इंडोनेशियाई पायलेट और फ्रेंच को-पायलेट के आपसी संवाद में कोई समस्या आ गई. इसका नतीजा ये हुआ कि विमान तेजी से आगे बढ़ा, ऊपर उठा और सीधा समुद्र में जा गिरा.
इंडोनेशिया में खूबसूरत द्वीपों के कारण यहां दुनियाभर के सैलानी सैर-सपाटे के लिए आ रहे हैं. यानी यहां पर्यटन इंडस्ट्री अपने उफान पर है. पर्यटकों को फ्लाइट की कमी न देखनी पड़े, इसके लिए वहां की सरकार एविएशन सर्विस बढ़ा भी रही है. वर्तमान में यहां लगभग 60 मिलियन सैलानी आ सकें, इसके लिए जहाज जुटाए जा चुके हैं. कोरोना से पहले इस देश ने लगभग 80 मिलियन लोगों को एविएशन सर्विस दी.
इसके बाद भी यहां का मौसम और पायलेटों की ट्रेनिंग जैसी चीजों में गड़बड़ी कोरोना खत्म होने के बाद सीधे यहां के पर्यटन पर असर डाल सकती है.