कश्मीर में PAK आतंकियों की सीक्रेट सुरंग के बीच जानें, दुनियाभर की खुफिया टनल्स को

नगरोटा एनकाउंटर में आतंकियों से मुठभेड़ के बीच सीमा सुरक्षा बल को एक खुफिया सुरंग मिली- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
इजरायल और फिलिस्तीन (Israel and Philistines) के बीच जमीन या आसमान से ज्यादा सुरंगों से हमले होते हैं. फिलिस्तीन के आतंकी संगठन इन्हीं सुरंगों के जरिए इजरायल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़े हुए हैं.
- News18Hindi
- Last Updated: November 24, 2020, 6:52 AM IST
नगरोटा एनकाउंटर (Nagrota encounter) में आतंकियों से मुठभेड़ के बीच सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) को एक खुफिया सुरंग मिली. इंटरनेशनल बॉर्डर से लगभग डेढ़ सौ मीटर दूर इस सुरंग के बारे में अनुमान है कि मारे गए चारों आतंकी पाकिस्तान से इसी सुरंग के रास्ते आए होंगे. वैसे खुफिया सुरंगों (secret tunnels) का गलत इरादों के लिए इस्तेमाल कोई नई बात नहीं. इससे पहले भी दुनियाभर में ऐसी कई सुरंगों का पता चला है.
सबसे पहले नगरोटा सुरंग के बारे में जानते हैं. यहां जैश-ए-मुहम्मद के चार आतंकी चार रोज पहले ही मारे गए. इसके बाद ही आसपास के इलाकों में सीमा सुरक्षा बलों (BSF) ने गहन छानबीन चलाई. इस दौरान संदिग्ध सुरंग अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास सांबा सेक्टर में मिली. ऐसा लग रहा था जैसे सुरंग हाल ही में खोदी गई हो. साथ में कराची फैक्ट्री का सैंड बैग भी मिला, जिससे ये पक्का हो जाता है कि सुरंग पाकिस्तानियों ने ही तैयार की थी.

सुरंग का रास्ता घनी झाड़ियों में खुलता था, जिसे सावधानी से छिपाते हुए जंगली फूस-पत्तों और मिट्टी से कवर किया गया था. जमीन से 15-20 फीट नीचे बनी ये सुरंग काफी चौड़ी है कि भरपूर कद के लोग आसानी से आ-जा सकें. इतना ही नहीं, जम्मू इलाके में हाल ही में आधा दर्जन सुरंगों का पता चला है, जहां से पाकिस्तान के आतंकी देश में घुसने और आतंक मचा निकल भागने की तैयारी में रहे होंगे.ये भी पढ़ें: क्या सोशल मीडिया के मामले में भी PAK चीन की नकल करने लगा है?
बोस्निया की सराजेवो टनल ऐसी ही एक सुरंग है. इसे बोस्निया के सैनिकों ने साल 1993 में बोस्निया और सर्बिया के बीच लड़ाई में खोदा था. इस सुरंग का मकसद अपने ही देश के एक कटे हुए हिस्से सराजेवो से खुद को जोड़ना था. सुरंग के जरिए सैनिक आने-जाने और रसद से लेकर हथियार लाने- ले जाने का काम करने लगे थे. बोस्निया की लड़ाई खत्म होने के बाद इस जगह को Sarajevo Tunnel Museum की तरह तैयार किया गया.
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जर्मनी में बर्लिन युद्ध के दौरान 70 से भी ज्यादा सुरंगें इसी काम के लिए खोदी गईं और धड़ल्ले से इस्तेमाल की गईं. यहां से पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी से लोग लाए- ले जाए जाते रहे. कई ऐसी सुरंगों का भी पता लगा, जहां बिजली और हवा की पर्याप्त व्यवस्था रही, जिससे ये समझ आता है कि सुरंगों का किसी समय या पकड़ाई में आने से पहले तक काफी बढ़िया तरीके से उपयोग होता रहा होगा.

यूक्रेन और स्लोवाकिया के बीच एक सुरंग का पता चला, जिसका मकसद बड़ा मजेदार है. जुलाई 2012 में दोनों देशों के बॉर्डर पर लगभग 700 मीटर की एक सुरंग की जानकारी मिली, जिसमें नैरो-गॉज रेलवे लाइन तक बनी हुई थी. सुरंग को देखकर साफ समझ आता था कि इसे काफी प्रोफेशनल लोगों ने तैयार किया होगा. इसका उपयोग महंगी सिगरेट की तस्करी के लिए होता था. सुरंग पर खुफिया तरीके से नजर रखने के बाद अधिकारियों ने कई तस्करों को पकड़ा.
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इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लड़ाई के बारे में सबने खूब पढ़ा-सुना होगा लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि दोनों के बीच लड़ाई में सबसे ज्यादा सुरंगों का इस्तेमाल होता आया है. फिलिस्तीनी शहर गाजा और उसके आस-पास सैकड़ों सुरंगें हैं, जहां से हमास के आतंकी इजरायल की फौजों और यहां तक कि आम लोगों तक पर खुफिया तरीके से हमला करते रहे. ये सुरंगे अस्सी के दशक में बनने लगीं. फिलिस्तीन के लोग पहले तो इनका उपयोग जरूरतों के लिए करते रहे लेकिन जल्द ही इनका इस्तेमाल इजरायल में आतंक फैलाने के लिए होने लगा.
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गाजा पट्टी में अपने लोगों के घरों से, किसी स्कूल या फिर अस्पताल से ऐसी सैकड़ों सुरंगे खुलती हैं जो आतंकियों को वारदातों में मदद करती हैं. ऐसी कितनी सुरंगें हैं, इसका अंदाजा किसी को नहीं. ये हजारों की संख्या में भी हो सकती हैं. ऐसे में फिलिस्तानी आतंकवादी संगठन हमास को कमजोर करने के लिए इजरायल की सेना भी खोज- खोजकर ऐसी सुरंगों को खत्म कर रही है.

साल 2005 की शुरुआत में, कनाडाई ड्रग तस्करों के एक समूह ने एक सुरंग बनाई. ये ब्रिटिश कोलंबिया में एक घर से वॉशिंगटन में दूसरे घर तक जाती थी. इसके लिए तस्करों ने बाकायदा योजना बनाई और दोनों तरफ के प्रॉपर्टी खरीद डाली. निर्माण का काम शुरू हुआ और इसी दौरान एक पड़ोसी ने देखा कि बड़े पैमाने पर जमीन की खुदाई चल रही है, जितनी एक घर की नींव के लिए जरूरत से ज्यादा है.
खुफिया तरीके से जांच शुरू हुई और अधिकारियों की समझ में आ गया कि ये घरों नहीं, बल्कि सुरंग का काम चल रहा है. उसी साल जुलाई में सुरंग बनकर तैयार हो गई लेकिन अधिकारियों ने तब तक मामले में हाथ न डालकर दूर से नजर रखी. जैसे ही सुरंग से नशे की तस्करी शुरू हुई, अधिकारियों ने तुरंत घर पर छापा मारा और गिरफ्तारी शुरू हो गई. इसके बाद सुरंग को सील कर दिया गया था और इसके ऊपर की सड़कों को फिर से बनाया गया. हालांकि वो अमेरिकी घर, जहां से सुरंग निकलती थी, वो अब भी है.
अमेरिका और मैक्सिको की तो बात ही निराली है. यहां नब्बे के दशक से लेकर अब तक लगभग 183 अवैध सुरंगों का पता चला. इसमें से ज्यादातर सुरंगों का उपयोग नशे की तस्करी के लिए किया जाता रहा. इसी साल मार्च में जब सारी दुनिया में कोरोना का कहर बरप रहा था, तभ सैन डिएगो टनल टास्क फोर्स ने लगभग 2,000 फीट लंबी सुरंग का पता लगाया. वहां अंडरग्राउंड रेल, बिजली और प्रकाश जैसी सारी सुविधाएं थीं. छापामारी करने पर सुरंग में रेल से 590 किलोग्राम कोकीन, 7 किलोग्राम हेरोइन, 1,360 मारिजुआना और दूसरे कई तरह के प्रतिबंधित नशे यहां पर पकड़ाए.
सबसे पहले नगरोटा सुरंग के बारे में जानते हैं. यहां जैश-ए-मुहम्मद के चार आतंकी चार रोज पहले ही मारे गए. इसके बाद ही आसपास के इलाकों में सीमा सुरक्षा बलों (BSF) ने गहन छानबीन चलाई. इस दौरान संदिग्ध सुरंग अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास सांबा सेक्टर में मिली. ऐसा लग रहा था जैसे सुरंग हाल ही में खोदी गई हो. साथ में कराची फैक्ट्री का सैंड बैग भी मिला, जिससे ये पक्का हो जाता है कि सुरंग पाकिस्तानियों ने ही तैयार की थी.

नगरोटा की सुरंग में कराची फैक्ट्री का सैंड बैग भी मिला- सांकेतिक फोटो (Pixabay)
सुरंग का रास्ता घनी झाड़ियों में खुलता था, जिसे सावधानी से छिपाते हुए जंगली फूस-पत्तों और मिट्टी से कवर किया गया था. जमीन से 15-20 फीट नीचे बनी ये सुरंग काफी चौड़ी है कि भरपूर कद के लोग आसानी से आ-जा सकें. इतना ही नहीं, जम्मू इलाके में हाल ही में आधा दर्जन सुरंगों का पता चला है, जहां से पाकिस्तान के आतंकी देश में घुसने और आतंक मचा निकल भागने की तैयारी में रहे होंगे.ये भी पढ़ें: क्या सोशल मीडिया के मामले में भी PAK चीन की नकल करने लगा है?
बोस्निया की सराजेवो टनल ऐसी ही एक सुरंग है. इसे बोस्निया के सैनिकों ने साल 1993 में बोस्निया और सर्बिया के बीच लड़ाई में खोदा था. इस सुरंग का मकसद अपने ही देश के एक कटे हुए हिस्से सराजेवो से खुद को जोड़ना था. सुरंग के जरिए सैनिक आने-जाने और रसद से लेकर हथियार लाने- ले जाने का काम करने लगे थे. बोस्निया की लड़ाई खत्म होने के बाद इस जगह को Sarajevo Tunnel Museum की तरह तैयार किया गया.
ये भी पढ़ें: क्या है मेघालय के घने जंगलों में हरी-नीली रोशनी वाले मशरूमों का रहस्य?
जर्मनी में बर्लिन युद्ध के दौरान 70 से भी ज्यादा सुरंगें इसी काम के लिए खोदी गईं और धड़ल्ले से इस्तेमाल की गईं. यहां से पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी से लोग लाए- ले जाए जाते रहे. कई ऐसी सुरंगों का भी पता लगा, जहां बिजली और हवा की पर्याप्त व्यवस्था रही, जिससे ये समझ आता है कि सुरंगों का किसी समय या पकड़ाई में आने से पहले तक काफी बढ़िया तरीके से उपयोग होता रहा होगा.

कई ऐसी सुरंगों का भी पता लगा, जहां बिजली और हवा की पर्याप्त व्यवस्था रही सांकेतिक फोटो (Pixabay)
यूक्रेन और स्लोवाकिया के बीच एक सुरंग का पता चला, जिसका मकसद बड़ा मजेदार है. जुलाई 2012 में दोनों देशों के बॉर्डर पर लगभग 700 मीटर की एक सुरंग की जानकारी मिली, जिसमें नैरो-गॉज रेलवे लाइन तक बनी हुई थी. सुरंग को देखकर साफ समझ आता था कि इसे काफी प्रोफेशनल लोगों ने तैयार किया होगा. इसका उपयोग महंगी सिगरेट की तस्करी के लिए होता था. सुरंग पर खुफिया तरीके से नजर रखने के बाद अधिकारियों ने कई तस्करों को पकड़ा.
ये भी पढ़ें: क्या है अराकान आर्मी, जो चीन की शह पर भारत के काम में अड़ंगा डाल रही है?
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लड़ाई के बारे में सबने खूब पढ़ा-सुना होगा लेकिन ये कम ही लोग जानते हैं कि दोनों के बीच लड़ाई में सबसे ज्यादा सुरंगों का इस्तेमाल होता आया है. फिलिस्तीनी शहर गाजा और उसके आस-पास सैकड़ों सुरंगें हैं, जहां से हमास के आतंकी इजरायल की फौजों और यहां तक कि आम लोगों तक पर खुफिया तरीके से हमला करते रहे. ये सुरंगे अस्सी के दशक में बनने लगीं. फिलिस्तीन के लोग पहले तो इनका उपयोग जरूरतों के लिए करते रहे लेकिन जल्द ही इनका इस्तेमाल इजरायल में आतंक फैलाने के लिए होने लगा.
ये भी पढ़ें: क्या बाइडन का आना कट्टर मुल्क ईरान को इजरायल पर हमले की छूट दे देगा?
गाजा पट्टी में अपने लोगों के घरों से, किसी स्कूल या फिर अस्पताल से ऐसी सैकड़ों सुरंगे खुलती हैं जो आतंकियों को वारदातों में मदद करती हैं. ऐसी कितनी सुरंगें हैं, इसका अंदाजा किसी को नहीं. ये हजारों की संख्या में भी हो सकती हैं. ऐसे में फिलिस्तानी आतंकवादी संगठन हमास को कमजोर करने के लिए इजरायल की सेना भी खोज- खोजकर ऐसी सुरंगों को खत्म कर रही है.

इजरायल और फिलिस्तीन के बीच लड़ाई में सबसे ज्यादा सुरंगों का इस्तेमाल होता आया - सांकेतिक फोटो
साल 2005 की शुरुआत में, कनाडाई ड्रग तस्करों के एक समूह ने एक सुरंग बनाई. ये ब्रिटिश कोलंबिया में एक घर से वॉशिंगटन में दूसरे घर तक जाती थी. इसके लिए तस्करों ने बाकायदा योजना बनाई और दोनों तरफ के प्रॉपर्टी खरीद डाली. निर्माण का काम शुरू हुआ और इसी दौरान एक पड़ोसी ने देखा कि बड़े पैमाने पर जमीन की खुदाई चल रही है, जितनी एक घर की नींव के लिए जरूरत से ज्यादा है.
खुफिया तरीके से जांच शुरू हुई और अधिकारियों की समझ में आ गया कि ये घरों नहीं, बल्कि सुरंग का काम चल रहा है. उसी साल जुलाई में सुरंग बनकर तैयार हो गई लेकिन अधिकारियों ने तब तक मामले में हाथ न डालकर दूर से नजर रखी. जैसे ही सुरंग से नशे की तस्करी शुरू हुई, अधिकारियों ने तुरंत घर पर छापा मारा और गिरफ्तारी शुरू हो गई. इसके बाद सुरंग को सील कर दिया गया था और इसके ऊपर की सड़कों को फिर से बनाया गया. हालांकि वो अमेरिकी घर, जहां से सुरंग निकलती थी, वो अब भी है.
अमेरिका और मैक्सिको की तो बात ही निराली है. यहां नब्बे के दशक से लेकर अब तक लगभग 183 अवैध सुरंगों का पता चला. इसमें से ज्यादातर सुरंगों का उपयोग नशे की तस्करी के लिए किया जाता रहा. इसी साल मार्च में जब सारी दुनिया में कोरोना का कहर बरप रहा था, तभ सैन डिएगो टनल टास्क फोर्स ने लगभग 2,000 फीट लंबी सुरंग का पता लगाया. वहां अंडरग्राउंड रेल, बिजली और प्रकाश जैसी सारी सुविधाएं थीं. छापामारी करने पर सुरंग में रेल से 590 किलोग्राम कोकीन, 7 किलोग्राम हेरोइन, 1,360 मारिजुआना और दूसरे कई तरह के प्रतिबंधित नशे यहां पर पकड़ाए.