Explained: क्या ट्विटर Donald Trump को कानूनन हमेशा के लिए बैन कर सकता है?

न्यूज 18 क्रिएटिव
पहले तो ट्विटर डोनाल्ड ट्रंप को उनके कथित तौर पर भड़काऊ संदेशों के लिए धमकाता आ रहा है लेकिन अब उसने ट्रंप का अकाउंट निलंबित (Donald Trump Twitter account suspension) कर दिया है. ये ट्रंप के 8 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर्स के लिए बड़ा धक्का है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 11, 2021, 12:58 PM IST
बीते बुधवार को कैपिटल हिल हिंसा के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट को पहले अस्थायी तौर पर सस्पेंड कर दिया गया. अकाउंट दोबारा सक्रिय होने पर ट्रंप के लगातार दो संदेश आए, जिसमें तनाव का ही संकेत था. आखिरकार दोबारा हिंसा भड़कने की आशंका से ट्विटर ने उनका अकाउंट हमेशा के लिए बंद कर दिया. तो क्या कानूनन अभिव्यक्ति की आजादी को बैन किया जा सकता है?
ट्विटर ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि ट्रम्प का पर्सनल अकाउंट @realDonaldTrump तुरंत बंद किया जा रहा है. साथ ही उसने ये भी कहा कि किसी भी बड़े नेता का अकाउंट हमारे लिए नियमों (भड़काऊ या किसी भी तरह से एक्सट्रीम) से ऊपर नहीं. ब्लॉग पोस्ट के साथ ट्वि्टर ने ट्रंप के आखिरी दोनों पोस्ट डालकर उनके बारे में बात भी की कि कैसे इनसे हिंसा भड़क सकती है. तो कुल मिलाकर अपना पक्ष देते हुए ट्विटर ने ट्रंप का अकाउंट स्थायी तौर पर बंद कर दिया.
इसके तुरंत बाद ट्रंप समर्थकों से लेकर उनका परिवार भी सक्रिय हो गया. जूनियर ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि अमेरिका में फ्री स्पीच खत्म हो चुकी है. साथ ही ट्वि्टर के शेयर भी तेजी से गिरे. बता दें कि ट्रंप के दुनियाभर में लगभग 8.8 करोड़ से भी ज्यादा फॉलोअर्स हैं. वे लगातार ट्रंप के अकाउंट बैन का विरोध कर रहे हैं.
समर्थकों का कहना है कि ट्रंप का अकाउंट हमेशा के लिए निलंबित करना अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन (First Amendment) यानी अभिव्यक्ति का आजादी पर हिंसा है. हालांकि विश्लेषकों का कहना कुछ और है. उनका मानना है कि ये नियम संविधान में है और सरकारी संस्थाओं पर लागू होता है. ट्विटर एक निजी कंपनी हैतो ऐसे में वो इस तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.
ये भी पढ़ें: क्यों फ्लाइट लेने के लिए इंडोनेशिया दुनिया का सबसे खराब मुल्क है?
इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट विश्लेषकों के हवाले से बात करती है. यूनिवर्सिटी ऑफ उता में कानून के प्रोफेसर रॉनेल एंडरसन जोन्स कहते हैं कि आजकल ये चलन निकल पड़ा है कि किसी भी बात को सीधे पहले संशोधन से जोड़ दिया जाए. लेकिन फर्स्ट अमेंडमेंट केवल सरकारी चीजों से जुड़ा है, सोशल मीडिया कंपनी या बुक पब्लिशर इसके तहत नहीं आते.
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दूसरी तरफ एक सवाल ट्विटर के खिलाफ भी जा रहा है. यहां मुख्य पदों पर बैठे लोगों के बदलने के साथ-साथ पॉलिसी भी कहीं न कहीं बदल जाती है. यानी यहां सबकुछ केवल कुछ ताकतवर लोगों के हाथ में होता है. अगर वे ताकतवर लोग किसी राजनेता या किसी के प्रभाव में आकर कोई फैसला लें तो इसका असर उस दौर में अभिव्यक्ति पर दिखता है. जैसे फिलहाल कहा जा रहा है कि ट्विटर पर ट्रम्प के अकाउंट को सस्पेंड करने का काफी दबाव था और इसकी मांग ओबामा समेत कई बड़े नेता कर रहे थे. तो ऐसे में किसी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

जो भी हो, चाहे ट्विटर ने दबाव में आकर ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड किया हो या फिर स्वेच्छा से ऐसा फैसला लिया हो, ये ट्विटर के पक्ष में नहीं जा रहा है. ट्रंप के दुनिया में सबसे ज्यादा फॉलोवर्स हैं. 8.8 करोड़ फॉलोवर्स सीधे ट्रंप की बात एक संदेश के जरिए जान पाते थे. ट्रंप खुद भी सोशल मीडिया के एक रूप को लेकर खासे जागरुक थे और इसका बखूबी इस्तेमाल करते थे.
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अब ट्रंप का अकाउंट बंद होने पर उनके फॉलोअर्स ट्विटर पर नाराज हैं. इसका असर कंपनी के शेयर पर दिख रहा है. लेकिन ये भी हो सकता है कि 20 जनवरी को जो बाइडन के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ट्रंप के फॉलोअर्स खुद कम हो जाएं क्योंकि वे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति हो जाएंगे. तब ये भी हो सकता है कि ट्विटर ने ये कार्रवाई सोच-समझकर की हो क्योंकि अब ट्रंप से उसका कंपनी हित ज्यादा नहीं सधने वाला. बता दें कि शुक्रवार को फेसबुक ने भी ट्रंप को 20 जनवरी तक के लिए बैन कर दिया है. ये दिन उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है. इसके अलावा स्नैपचैट, यूट्यूब, ट्विच और रेडिट ने भी ट्रम्प को बैन कर दिया है.
ट्विटर ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि ट्रम्प का पर्सनल अकाउंट @realDonaldTrump तुरंत बंद किया जा रहा है. साथ ही उसने ये भी कहा कि किसी भी बड़े नेता का अकाउंट हमारे लिए नियमों (भड़काऊ या किसी भी तरह से एक्सट्रीम) से ऊपर नहीं. ब्लॉग पोस्ट के साथ ट्वि्टर ने ट्रंप के आखिरी दोनों पोस्ट डालकर उनके बारे में बात भी की कि कैसे इनसे हिंसा भड़क सकती है. तो कुल मिलाकर अपना पक्ष देते हुए ट्विटर ने ट्रंप का अकाउंट स्थायी तौर पर बंद कर दिया.
After close review of recent Tweets from the @realDonaldTrump account and the context around them we have permanently suspended the account due to the risk of further incitement of violence.https://t.co/CBpE1I6j8Y
— Twitter Safety (@TwitterSafety) January 8, 2021

हिंसा भड़कने की आशंका से ट्विटर ने उनका अकाउंट हमेशा के लिए बंद कर दिया (न्यूज 18 क्रिएटिव)
समर्थकों का कहना है कि ट्रंप का अकाउंट हमेशा के लिए निलंबित करना अमेरिकी संविधान के पहले संशोधन (First Amendment) यानी अभिव्यक्ति का आजादी पर हिंसा है. हालांकि विश्लेषकों का कहना कुछ और है. उनका मानना है कि ये नियम संविधान में है और सरकारी संस्थाओं पर लागू होता है. ट्विटर एक निजी कंपनी हैतो ऐसे में वो इस तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.
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इस बारे में इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट विश्लेषकों के हवाले से बात करती है. यूनिवर्सिटी ऑफ उता में कानून के प्रोफेसर रॉनेल एंडरसन जोन्स कहते हैं कि आजकल ये चलन निकल पड़ा है कि किसी भी बात को सीधे पहले संशोधन से जोड़ दिया जाए. लेकिन फर्स्ट अमेंडमेंट केवल सरकारी चीजों से जुड़ा है, सोशल मीडिया कंपनी या बुक पब्लिशर इसके तहत नहीं आते.
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दूसरी तरफ एक सवाल ट्विटर के खिलाफ भी जा रहा है. यहां मुख्य पदों पर बैठे लोगों के बदलने के साथ-साथ पॉलिसी भी कहीं न कहीं बदल जाती है. यानी यहां सबकुछ केवल कुछ ताकतवर लोगों के हाथ में होता है. अगर वे ताकतवर लोग किसी राजनेता या किसी के प्रभाव में आकर कोई फैसला लें तो इसका असर उस दौर में अभिव्यक्ति पर दिखता है. जैसे फिलहाल कहा जा रहा है कि ट्विटर पर ट्रम्प के अकाउंट को सस्पेंड करने का काफी दबाव था और इसकी मांग ओबामा समेत कई बड़े नेता कर रहे थे. तो ऐसे में किसी संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

अमेरिका के कैपिटल हिल में हिंसा के बाद ये सब हुआ (Photo-news18 English via REUTERS )
जो भी हो, चाहे ट्विटर ने दबाव में आकर ट्रंप का अकाउंट सस्पेंड किया हो या फिर स्वेच्छा से ऐसा फैसला लिया हो, ये ट्विटर के पक्ष में नहीं जा रहा है. ट्रंप के दुनिया में सबसे ज्यादा फॉलोवर्स हैं. 8.8 करोड़ फॉलोवर्स सीधे ट्रंप की बात एक संदेश के जरिए जान पाते थे. ट्रंप खुद भी सोशल मीडिया के एक रूप को लेकर खासे जागरुक थे और इसका बखूबी इस्तेमाल करते थे.
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अब ट्रंप का अकाउंट बंद होने पर उनके फॉलोअर्स ट्विटर पर नाराज हैं. इसका असर कंपनी के शेयर पर दिख रहा है. लेकिन ये भी हो सकता है कि 20 जनवरी को जो बाइडन के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही ट्रंप के फॉलोअर्स खुद कम हो जाएं क्योंकि वे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति हो जाएंगे. तब ये भी हो सकता है कि ट्विटर ने ये कार्रवाई सोच-समझकर की हो क्योंकि अब ट्रंप से उसका कंपनी हित ज्यादा नहीं सधने वाला. बता दें कि शुक्रवार को फेसबुक ने भी ट्रंप को 20 जनवरी तक के लिए बैन कर दिया है. ये दिन उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है. इसके अलावा स्नैपचैट, यूट्यूब, ट्विच और रेडिट ने भी ट्रम्प को बैन कर दिया है.